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थोक में मिल रहा विजयी भव का आशीर्वाद, उम्मीदवार परेशान

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राजपुर. इंडी गठबंधन, पूरा गांव आपको ही वोट करने जा रहा है. आप जीत रहे हैं. निश्चिंत रहिए. एनडीए, आपको आने की जरूरत ही नहीं. पूरा गांव आपका है. आपको कौन हरा सकता है. निर्दलीय, अरे आपसे बढ़कर कौन हो सकता है? एक-एक वोट आपका है. आप अपने हैं. आपकी जीत पक्की है. इस तरह के वाक्य काराकाट लोकसभा क्षेत्र के गांवों में बहुत प्रचलित हो गये हैं. इन शब्दों के कारण प्रत्याशी कंफ्यूज हो रहे हैं. उन्हें पता ही नहीं चल रहा है कि जनता किसके साथ है. सोमवार की सुबह राजपुर बाजार में निर्दलीय से लेकर गठबंधनों के प्रत्याशी और समर्थक बारी-बारी से आते-जाते रहे. सजग और सतर्क मतदाता नपे-तुले वाक्य बोलते रहे. समीप खड़ा एक मतदाता बोल पड़ा कि आखिर में वह किसे वोट देंगे. दूसरे ने कहा-शांत रहो. 30 व 31 मई को बात करेंगे. किसे वोट देना है. तब तक सबको कहते रहो. आपकी जीत पक्की है. सभी का खूब आवभगत करो. उन्हें मन से नहीं, तो ऊपर से विजयी भव का आशीर्वाद देते रहो. आशीर्वाद देने में क्या है? कुछ लगता तो नहीं. यही नहीं लगना, इस चुनाव में अपना भाव बनाये रखेगा. जिस दिन दिल से बोल दिये कि आपको वोट देंगे. उस दिन से ये नेता तुम्हारे गांव-घर आना बंद कर देंगे. जनता के इस खेल से राजनीतिक दल के उम्मीदवार व समर्थक परेशान हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

राजपुर. इंडी गठबंधन, पूरा गांव आपको ही वोट करने जा रहा है. आप जीत रहे हैं. निश्चिंत रहिए. एनडीए, आपको आने की जरूरत ही नहीं. पूरा गांव आपका है. आपको कौन हरा सकता है. निर्दलीय, अरे आपसे बढ़कर कौन हो सकता है? एक-एक वोट आपका है. आप अपने हैं. आपकी जीत पक्की है. इस तरह के वाक्य काराकाट लोकसभा क्षेत्र के गांवों में बहुत प्रचलित हो गये हैं. इन शब्दों के कारण प्रत्याशी कंफ्यूज हो रहे हैं. उन्हें पता ही नहीं चल रहा है कि जनता किसके साथ है. सोमवार की सुबह राजपुर बाजार में निर्दलीय से लेकर गठबंधनों के प्रत्याशी और समर्थक बारी-बारी से आते-जाते रहे. सजग और सतर्क मतदाता नपे-तुले वाक्य बोलते रहे. समीप खड़ा एक मतदाता बोल पड़ा कि आखिर में वह किसे वोट देंगे. दूसरे ने कहा-शांत रहो. 30 व 31 मई को बात करेंगे. किसे वोट देना है. तब तक सबको कहते रहो. आपकी जीत पक्की है. सभी का खूब आवभगत करो. उन्हें मन से नहीं, तो ऊपर से विजयी भव का आशीर्वाद देते रहो. आशीर्वाद देने में क्या है? कुछ लगता तो नहीं. यही नहीं लगना, इस चुनाव में अपना भाव बनाये रखेगा. जिस दिन दिल से बोल दिये कि आपको वोट देंगे. उस दिन से ये नेता तुम्हारे गांव-घर आना बंद कर देंगे. जनता के इस खेल से राजनीतिक दल के उम्मीदवार व समर्थक परेशान हैं.

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