एसडीएसवीएम स्कूल बटहा में हुई श्रीकृष्ण रूपसज्जा प्रतियोगिता

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पूर्व दिवस पर सुंदरी देवी सरस्वती विद्यामंदिर सैनिक स्कूल बटहा के सभागार में श्रीकृष्ण रुपसज्जा प्रतियोगिता हुई.

By Prabhat Khabar News Desk | August 25, 2024 12:44 AM

रोसड़ा : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पूर्व दिवस पर सुंदरी देवी सरस्वती विद्यामंदिर सैनिक स्कूल बटहा के सभागार में श्रीकृष्ण रुपसज्जा प्रतियोगिता हुई. रेशमी पीताम्बरी से सुशोभित बालरुप में भगवान श्रीकृष्ण, राधा, बलराम, सुदामा और अन्य ग्वाल सखाओं के भावनृत्य ने द्वापर युग को मानो साकार सा कर दिया. बंशी की मधुर धुन सुनकर लोगों ने तारीफ की. मटकी फोड़कर माखन खाने की प्रस्तुति भी मनमोहक रही. मीडिया प्रभारी विजयव्रत कंठ ने आज हमारे विद्यालय में कृष्ण कन्हैया आये, बंशी बजाई मटकी फोड़ी बहुत सा माखन खाये काव्य पंक्तियों के सस्वर पाठ से समां बांधा. संगीताचार्य तान्या दास ने मंच संचालन किया. प्रतिभागियों में सार्थक, मयंक, आलोक, मनीष, भवानी, दिव्यांश, अनिरुद्ध, अवनीश, आयुष, अनुनय, आदर्श, अनन्त, शौर्य, लव, आयुष्मान, सन्नी, ओम, ऋतिक, अंश आदि शामिल रहे. बाद में झांकी दल ने विद्यालय का भ्रमण भी किया. जिसे देखने के लिए विद्यालय परिवार के अन्य सदस्य उमड़ पड़े. मौके पर आचार्य घनश्याम मिश्र, राज कुमार सिंह, राम कुमार सिंह, पूनम कुमारी, पूनम सिंह, रामबाबू कुमार, धीरज कुमार, सीताकांत झा, प्रसेनजीत घोष तत्पर थे. इनोवेटिव विजन स्कूल में मनाई गई जन्माष्टमी समस्तीपुर : इनोवेटिव विजन स्कूल में जन्माष्टमी उत्साह के साथ मनायी गयी. इसमें नर्सरी से कक्षा 2 तक के छात्रों ने राधा और कृष्ण के परिधान में कला की प्रस्तुति कर दर्शकों को विभोर कर दिया. शुरुआत जीवंत रैंपवॉक के साथ हुई. इसके बाद छात्रों ने नृत्य प्रस्तुत किया. शिक्षकों ने छात्रों का मार्गदर्शन करने व बच्चों को जन्माष्टमी के महत्व बताये. उत्सव का उद्देश्य बच्चों में सांस्कृतिक मूल्यों और परंपराओं को स्थापित करना है. स्कूल की प्रिंसिपल प्रवीण अरोड़ा ने भारतीय संस्कृति और विरासत में इसके महत्व पर जोर देते हुए जन्माष्टमी मनाने के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने छात्रों को इतने उत्साह के साथ उत्सव की भावना को अपनाते हुए देखकर प्रसन्नता व्यक्त की. निदेशक नागेंद्र चौधरी ने कहा कि हम अपने छात्रों को जन्माष्टमी मनाते हुए देखकर रोमांचित हैं. यह त्योहार हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक अनिवार्य हिस्सा है. हम इन परंपराओं को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

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