Pitru Paksh 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक का समय श्राद्ध पक्ष कहलाता है. इस बार श्राद्ध पक्ष का प्रारंभ 10 सितंबर दिन शनिवार से हो रहा है, जिसका समापन 25 सितम्बर 2022 दिन रविवार को होगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष हो, वे अगर श्राद्ध पक्ष में इस दोष के निवारण के लिए उपाय व पूजन करें तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है. अगर किसी व्‍यक्ति की मृत्‍यु के बाद उसका विधि विधान से अंतिम संस्‍कार न किया गया हो, या फिर किसी की अकाल मृत्यु हो जाए तो उस व्‍यक्ति से जुड़े परिवार के लोगों को कई पीढ़ियों तक पितृ दोष झेलना पड़ता है. उनके जीवन में कई प्रकार की समस्याएं होती है. पितृ दोष के अशुभ प्रभाव से बचे रहने के लिए जीवन भर उपाय करने पड़ते हैं. आइए जानते है ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ संजीत कुमार मिश्रा से पितृ दोष दूर करने का उपाय…

पितृ दोष के संकेत

  • कुंडली में राहु ग्रह यदि केंद्र स्थानों या त्रिकोण में हो और उनकी राशि नीच यानी की नकारात्मक स्थित है तो पितृ दोष का निर्माण होता है. इसके अलावा अगर राहु का संबंध कुंडली में सूर्य और चंद्र ग्रह से हो, तो ऐसी कुंडली में पितृ दोष का निर्माण होता है.

  • यदि कुंडली में राहु का सम्बन्ध शनि या बृहस्पति से हो, तब भी पितृ दोष का निर्माण होता है. वहीं राहु अगर द्वितीय या अष्टम भाव में हो, तब भी कुंडली में पितृ दोष का निर्माण होता है.

  • यदि कुंडली में नवम भाव में राहू के साथ सूर्य बैठे है तो पितृदोष बनेगा.

पितृ दोष से आपके करियर पर प्रभाव

  • यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष के लक्षण होते हैं, तो उसके परिवार के सदस्य हमेशा बीमार रहते हैं. इसकी वजह से सदस्य हमेशा अस्पताल के चक्कर काटने को मजबूर रहते हैं.

  • कुंडली में पितृ दोष होने पर शादी में कई तरह की परेशानियां आती है. शादी होने के बाद भी पति-पत्नी में अक्सर विवाद बना रहता है. इसके अलावा जातक को संतान पैदा करने में दिक्कतें आती हैं.

  • नौकरी और व्‍यवसाय में कड़ी मेहनत करने के बावजूद भी हानि होगा. मेहनत अधिक करने के बाद भी उसका लाभ नहीं मिलता है. परिवार में अक्‍सर कलह बने रहना या फिर एकता न होना पितृ दोष का संकेत होता है.

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  • परिवार के लड़का या लड़की के विवाह योग्‍य होने के बाद विवाह न हो पाना, या फिर विवाह होने के बाद तलाक हो जाना या फिर अलगाव रहना पितृ दोष का कारण होता है.

  • पितृदोष होने पर अपनों से ही अक्‍सर धोखा मिलता है. व्‍यक्ति बार-बार दुर्घटना का शिकार होता है तथा उसके जीवन में होने वाले मांगलिक कार्यों में बाधाएं आती हैं.

  • परिवार के सदस्‍यों पर अक्‍सर किसी प्रेत बाधा का प्रभाव बने रहना. घर में अक्‍सर तनाव और क्‍लेश रहना. पितरों का विधिवत अंतिम संस्कार और श्राद्ध न होना. पितरों की विस्‍मृति या अपमान करना. धर्म के विरुद्ध आचरण करना पितृ दोष का लक्षण है.

संजीत कुमार मिश्रा

ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ

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