सीताराम विवाह उत्सव के दूसरे दिन महावीर मंदिर में राम कलेबा का आयोजन

जनकपुर में धनुष यज्ञ में शिवधनुष भंग होने के बाद विवाह मंडप में एक साथ राम-लक्ष्मण-भरत शत्रुघ्न सभी का विवाह हुआ. किशोरी जी समेत चारों बहनें राजा दशरथ की पुत्रवधु हो गयीं. विवाह के बाद मिथिला परंपरा के अनुसार चारों दूल्हा कोहबर में आये.

By Prabhat Khabar News Desk | December 7, 2024 7:47 PM

संवाददाता, पटना जनकपुर में धनुष यज्ञ में शिवधनुष भंग होने के बाद विवाह मंडप में एक साथ राम-लक्ष्मण-भरत शत्रुघ्न सभी का विवाह हुआ. किशोरी जी समेत चारों बहनें राजा दशरथ की पुत्रवधु हो गयीं. विवाह के बाद मिथिला परंपरा के अनुसार चारों दूल्हा कोहबर में आये. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की आभा से मिथिलावासी अचंभित थे. ऐसा दिव्य पुरुष उन्होंने इससे पहले कभी नहीं देखा था. मिथिला की स्त्रियां गाती हैं- आज मिथिला नगरिया नेहाल सखिया, चारों दुल्हा में बड़का कमाल सखिया. महावीर मंदिर में आयोजित दो दिवसीय श्री सीताराम विवाह उत्सव के दूसरे दिन शनिवार को त्रेतायुग के राम-जानकी विवाह का यह दृश्य जीवंत हो उठा. जनकपुर की गुरु-शिष्य परंपरा की नाट्य मंडली ने संगीतमय प्रस्तुति से श्रद्धालुओं को भक्तिरस से सराबोर कर दिया. भक्तों के बीच प्रसाद का हुआ वितरण राम विवाह के बाद दूसरे दिन शनिवार को राम-कलेबा का आयोजन हुआ. कोहबर में मिथिला परंपरा से पहले कुलदेवता का पूजन हुआ. अब बारी थी कौड़ी के खेल की. दुल्हा राम को अपनी अर्धांगिनी किशोरीजी के साथ कौड़ी खेलना था. मिथिला की लोक परंपरा में पली-बढ़ीं सीता जी कौड़ी खेलने में सहज थीं. लेकिन अवध के राघव कौड़ी क्या जानें. किशोरीजी ने उन्हें हरा दिया. एक दिन पहले ही संसार के सभी राजा-महाराजा शूरवीरों को पराजित कर दशरथनंदन ने स्वयंवर में जिस जानकी जी को जीता था, उन्हीं से वे हार गये. महावीर मंदिर के प्रथम तल पर आयोजित राम-कलेबा के समापन पर सभी उपस्थित भक्तों के बीच नाना प्रकार के व्यंजनों का मिश्रित प्रसाद वितरित किया गया. नाट्यमंडली में राम की भूमिका मधुबनी जिले के सोनू कुमार ने निभायी, जबकि सीता की भूमिका में कृष्ण कुमार थे. नाट्यमंडली के संचालक विपिन ठाकुर, व्यास सरोहन चौधरी, सह गायक गोपाल मिश्रा, मोहन चौधरी, शत्रुघ्न चौधरी, तबला वादक देवेन्द्र कुमार निराला, नाल वादक मनीष कुमार, हारमोनियम वादक योगेन्द्र दास, बैन्जो वादक सुभाष की टीम ने संगीतमय प्रस्तुति दी. सियाराघवशरण महाराज के निर्देशन में दो दिवसीय संगीतमय झांकी प्रस्तुत की गयी.

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