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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत भोजपुर के एसपी रहे राकेश कुमार दुबे के खिलाफ इनफोर्समेंट केस इन्फार्मेशन रिपोर्ट यानी इसीआइआर दर्ज कर लिया है. दुबे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप में निलंबित चल रहे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इडी कभी भी नोटिस जारी कर उनको तलब कर सकती है. आर्थिक अपराध इकाई की रिपोर्ट के आधार पर इडी ने यह कार्रवाई की है. इओयू ने 15 सितंबर 2021 को राकेश दुबे पर आय से अधिक संपत्ति (डीए) का मुकदमा दर्ज किया था. इस मामले में पटना और झारखंड में छापेमारी की गयी थी. दुबे बालू के अवैध खनन मामले में 2021 से निलंबित चल रहे हैं.
बिना वेतन निकाले बनायी दो करोड़ से अधिक की संपत्ति
भोजपुर के एसपी रहे राकेश कुमार दुबे के खिलाफ जांच में यह सामने आया है कि उन्होंने अब तक की नौकरी में वेतन निकाला ही नहीं है. बिना वेतन निकाले ही दो करोड़ 55 लाख 49 हजार 691 रुपये की आय से अधिक संपत्ति बनायी. राकेश दुबे के खिलाफ पत्नी, स्वजनों, मित्रों व व्यावसायिक सहभागियों के जरिए काले धन को सफेद बनाने के प्रमाण मिले थे. आधा दर्जन से अधिक रियल इस्टेट कंपनियों में निवेश के साक्ष्य मिले थे. ऐसे में अब इनफोर्समेंट केस इन्फार्मेशन रिपोर्ट यानी इसीआइआर दर्ज करने के बाद इडी कभी भी नोटिस जारी कर उनको तलब कर सकती है. गौरतलब है कि भोजपुर के तत्कालीन एसपी रहे राकेश कुमार दुबे को आर्थिक अपराध इकाई द्वारा बालू के अवैध खनन को लेकर दी गयी रिपोर्ट के आधार पर 27 जुलाई 2021 को निलंबित किया गया था.
ऐसे समझिए इसीआइआर
मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े किसी भी केस में इडी ने इनफोर्समेंट केस इन्फार्मेशन रिपोर्ट (इसीआइआर) यानी प्रवर्तन मामलों की सूचना रिपोर्ट दर्ज करती है. इसमें उस मामले में आरोप और आरोपी के बारे में पूरी जानकारी होती है. इसीआइआर तुलना एफआइआर से नहीं की जा सकती है.
पहले थे इंस्पेक्टर, बाद में बने डीएसपी फिर हुए आइपीएस
राकेश दुबे ने 42वीं बैच के बिहार पुलिस सेवा के पदाधिकारी के तौर पर नवंबर, 2000 में डीएसपी के पद पर ज्वाइन किया. इससे पहले वह पुलिस इंस्पेक्टर थे और इसी दौरान बीपीएससी में प्रवेश किया. आइपीएस में प्रोन्नति के बाद पहली पोस्टिंग भोजपुर में बतौर एसपी हुई थी. दुबे सितंबर, 2027 में सेवानिवृत्त होने वाले हैं.