लालू यादव नहीं चाहते थे डॉ. मनमोहन सिंह बने प्रधानमंत्री, पढ़ें सोनिया-लालू और मनमोहन सिंह के बीच का वो रोचक कन्वर्सेशन

Manmohan Singh Political Stories: डॉ. मनमोहन सिंह का बिहार के नेताओं के साथ कई यादे हैं. एक समय पर राजद सुप्रीमो लालू यादव नहीं चाहते थे कि मनमोहन सिंह पीएम बने. लेकिन, अंत में वो इसके लिए राजी हुए. जानिए वो रोचक कन्वर्सेशन.

By Aniket Kumar | December 27, 2024 12:53 PM

Dr. Manmohan Singh Political Stories: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात करीब 10 बजे 92 साल की उम्र में निधन हो गया. 2004 में वे देश के 14वें प्रधानमंत्री बने और इस पद पर लगातार दो टर्म रहे. डॉ. मनमोहन सिंह देश के पहले सिख और चौथे सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे. डॉ. मनमोहन सिंह के निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत प्रदेश के अन्य नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. मनमोहन सिंह जब प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने बिहार को कई सौगातें दी थी. खासकर 2008 में बाढ़ से मची तबाही के दौरान वो हालात देखने भी बिहार पहुंचे थे और सरकार के खजाने भी प्रदेश के लिए खोल दिए थे.

मनमोहन सिंह को पीएम नहीं बनाना चाहते थे लालू यादव 

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की बिहार के नेताओं के साथ कई यादें जुड़ी हैं. एक रोचक किस्सा यह भी है कि राजद सुप्रीमो लालू यादव मनमोहन सिंह को पीएम नहीं बनाना चाहते थे. उन्होंने उनका विरोध किया था. हालांकि, सोनिया गांधी के मनाने पर वो मान गए थे. लालू यादव अपनी आत्मकथा ‘गोपालगंज टू रायसीना: माय पॉलिटिकल जर्नी’ में लिखते हैं, ‘साल 2004 में मेरी पार्टी राजद के पास 22 सांसद थे. मेरा मानना था कि अगर सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनती हैं तो यह मेरी विचारधारा की जीत होगी, क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान विरोधियों ने सोनिया गांधी के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया था. मैं उनके अलावा किसी और नाम को स्वीकार नहीं कर सकता था. जब उन्होंने मुझसे कहा कि मैं डॉ. मनमोहन सिंह को पीएम के रूप में स्वीकार कर लूं, तो मैंने मान कर दिया. इसके बाद वह मनमोहन सिंह के साथ मेरे आवास पर आईं और कारण जानना चाहा कि मैं डॉ. सिंह को समर्थन क्यों नहीं देना चाहता?’ 

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मैं सोनिया गांधी को नई पीएम के रूप में देखना चाहता था: लालू

आगे लालू यादव लिखते हैं, ‘मेरे घर सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को राजी किया कि वो मुझसे आग्रह करें कि मैं उन्हें पीएम के रूप में स्वीकार कर लूं. मैं दुविधा में था, एक ओर तो मैं सोनिया गांधी को नई पीएम के रूप में देखना चाहता था, तो दूसरी तरफ मैं उनका आग्रह भी ठुकरा नहीं सकता था. जो कष्ट उठाकर डॉ. सिंह के साथ मेरे घर तक आई थीं. आखिरकार मैं नरम पड़ा और मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाने के लिए हामी भरी.’

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