जन्म से नेत्रहीन, पर समय सटीक बताते हैं
जन्म से नेत्रहीन, पर समय सटीक बताते हैं
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-समय बताने वाले भिक्षुक के रूप में लखेंद्र की पहचान
-शहर में रहकर 40 वर्षों से भिक्षा मांग कर रहे हैं गुजारा-हैरत में पड़ जाते हैं लोग, वक्त पूछ कर देते हैं बख्शीश
मुजफ्फरपुर.
समय का पता करने के लिए लोगों को घड़ी देखनी पड़ती है. कोई अगर किसी से समय पूछे तो वे बिना घड़ी या मोबाइल देखे समय नहीं बता सकता, लेकिन शहर में एक ऐसा भी शख्स है, जो नेत्रहीन होने के बाद भी सटीक समय बताते हैं. उन्होंने कभी आज तक घड़ी नहीं देखी, लेकिन समय का अंदाजा इतना परफेक्ट है कि लोग उनसे समय पूछ कर अपनी घड़ी मिलाते हैं. समय बताने में वह घंटा व मिनट ही नहीं, सेकेंड भी ठीक-ठीक बता लेते हैं. उनकी इस प्रतिभा के पूरे शहर के लोग कायल हैं. शहर का ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं होगा, जहां लोग उनसे परिचित नहीं हो. अक्सर लोग उनसे समय पूछ कर अपनी घड़ी देखते हैं और उन्हें बख्शीश देते हैं. उन्हें भिक्षा मांगने के लिए किसी को कुछ कहना नहीं पड़ता, जिस दुकान में भी वे पहुंच जाएं, दुकानदार बिना कहे उनके हाथ पर पांच-दस रुपये रख देते हैं. इस भिक्षुक का नाम लखेंद्र पासवान है. इनकी उम्र करीब 70 वर्ष है. यह पिछले 40 वर्षों से शहर में घूम-घूमकर भिक्षा मांगते हैं.बगैर चप्पल, हाथ में घंटी वाली छड़ी लेकर करते हैं भ्रमण
लखेंद्र पासवान किसी भी सीजन में चप्पल नहीं पहनते. ये भगवानपुर चौक से रोज बिना चप्पल व हाथ में घंटी वाली छड़ी लेकर निकलते हैं. जिधर पैर बढ़ जाए, उधर चल पड़ते हैं. सुबह से शाम तक बाजार में घूमते हुए जो रकम जमा होती है, उसी से गुजारा करते हैं. लखेंद्र ने बताया कि उनके दो बेटे हैं, एक मैकेनिक है दूसरा ड्राइवर है. पत्नी की मौत दो साल पहले हो गयी थी. नेत्रहीन होने के कारण वह कुछ कर नहीं पाते, इसलिए कोई उनकी देखरेख नहीं करता. भगवानपुर में ही एक घर के बाहर सोते हैं. भिक्षा मांगने से जितना पैसा मिलता है, उसी से गुजारा कर लेते हैं. समय बताने की बात पर वे कहते हैं कि मैं मन की ऑंखों से देखता हूं. नहीं पता कि घड़ी कैसी हाेती है. लोग पूछते हैं तो समय बता देता हूं.अक्सर लोग समय पूछ कर मेरे हाथ में बख्शीश डाल देते हैंजिले में 15 हजार 732 दिव्यांगों को मिल रही पेंशन
जिले में 15 हजार 732 लोग दिव्यांग हैं. इनका यूडीआइडी कार्ड निर्गत हो चुका है. इनमें 7225 लोकमोटर यानी पैर से दिव्यांग, 500 दृष्टि बाधित व अन्य पैर सहित दूसरी तरह के अस्थि रोग से दिव्यांग है. सभी का यूडीआइडी कार्ड जारी हो चुका है ओर इन्हें सामाजिक सुरक्षा कोषांग से प्रति महीने 400 रुपये पेंशन भी मिल रही है. इसके अलावा अन्य सरकारी सुविधाओं का भी लाभ दिया जा रहा है. सदर अस्पताल में मेडिकल जांच की सुविधा होने से दिव्यांगों को अब प्रमाण-पत्र बनाने में सुविधा मिल रही है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाए गए जांच अभियान में अधिकतर लोगों का आइडीयूडी कार्ड बनवाया गया.स्वावलंबन डॉट कॉम पर हो रहा ऑनलाइन आवेदन
दिव्यांगों को प्रमाण-पत्र के लिए स्वावलंबन डॉट कॉम पर ऑनलाइन आवेदन की सुविधा दी गयी है. यहां ऑनलाइन आवेदन के बाद लोगों को उसकी कॉपी और आधार कार्ड लेकर सदर अस्पताल आना पड़ता है. यहां प्रत्येक मंगलवार को मेडिकल टीम दिव्यांगों की जांच करती है और उसकी रिपोर्ट ऑनलाइन सबमिट कर दी जाती है. इसके 20 दिनों बाद व्यक्ति के घर पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग की ओर से आइडीयूडी कार्ड भेज दिया जाता है. व्यक्ति को मोबाइल पर मैसेज भी भेजा जाता है, जिसके जरिए वे संबंधित साइट से प्रमाण-पत्र डाउनलोड कर सकते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है