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30 से 45 उम्र की महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का खतरा अधिक

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मधुबनी . सर्वाइकल कैंसर से बचाव बहुत जरूरी है. इसका प्रभाव गर्भाशय ग्रीवा से शुरू होकर लिवर, ब्लाडर, योनि, फेंफड़े और किडनी तक फैल जाता है. सदर अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. रागनी कुमारी ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार ब्रेस्ट कैंसर के बाद 25 प्रतिशत महिलाओं में मौत का दूसरा कारण सर्वाइकल कैंसर है. डॉ रागिनी ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय ग्रीवा से शुरू होकर शरीर के दूसरे अंगों तक फैलता है. यह बीमारी ज्यादातर पैपीलोमा वायरस के कारण होती है. 30-45 उम्र में महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का सबसे अधिक खतरा होता है. इसके अलावा अल्कोहल या सिगरेट पीना, एचपीवी संक्रमण के कारण, कम उम्र में मां बनना, बार-बार प्रेग्नेंट होना और असुरक्षित यौन संबंध बनाने के कारण महिलाएं इस बीमारी की चपेट में आ जाती हैं. सर्वाइकल कैंसर के लक्षण सर्वाइकल कैंसर का मुख्य लक्षण महिलाओं का पीरियड्स अनियमित, असामान्य रक्तस्राव, बार-बार यूरिन आना, पेट के निचले हिस्से व पेड़ू में दर्द या सूजन, बुखार, थकावट, भूख न लगना, विजाइना से लाइट पिंक जेलनुमा डिस्चार्ज होना इसका मुख्य लक्षण है. चेकअप है जरूरी सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए चिकित्सक की सलाह पर महिलाओं को 2- 3 वर्ष में एक बार पैप स्मीयर टेस्ट करानी चाहिए. इससे समय रहते बीमारी पता लग जाता है. इन सावधानियों से सर्वाइकल कैंसर से करें बचाव असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने से बचें, एक से ज्यादा पार्टनर के साथ संबंध नहीं बनाएं. धूम्रपान, शराब जैसी नशीली वस्तुओं से जितना हो सके दूरी बनाए रखे. इसमें निकोटीन होता है, जो गर्भाशय ग्रीवा में जमा होकर कैंसर सेल्स को बढ़ावा देता है. महिलाएं अपनी डाइट में सब्जियां, डेयरी प्रोडक्ट्स, फाइबर फूड्स, साबुत अनाज, दही, सूखे मेवे, बीन्स आदि अधिक लें. इसके साथ ही जंक फू्ड्स और बाहरी खाद्य पदार्थ से दूरी बनाये रखें. प्रतिदिन 30 मिनट व्यायाम व योग करें. इसके अलावा फिजिकल एक्टिविटी भी ज्यादा से ज्यादा करें. भोजन के बाद भी 10 मिनट जरूर टहलें. सबसे जरूरी बात अपना मोटापा कंट्रोल में रखें, क्योंकि यह सिर्फ कैंसर ही नहीं बल्कि कई बीमारियों की जड़ है. डॉ रागिनी ने कहा कि इस बीमारी से बचने के लिए सबसे जरूरी है टीकाकरण. इस बीमारी से बचने के लिए एचपीवी इंजेक्शन लगवाना न भूलें. पोलियो की तरह यह इंजेक्शन भी कम समय में लगवाया जा सकता है. लेकिन इसके लिए चिकित्सक से परामर्श पर लेना आवश्यक है.

मधुबनी . सर्वाइकल कैंसर से बचाव बहुत जरूरी है. इसका प्रभाव गर्भाशय ग्रीवा से शुरू होकर लिवर, ब्लाडर, योनि, फेंफड़े और किडनी तक फैल जाता है. सदर अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. रागनी कुमारी ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार ब्रेस्ट कैंसर के बाद 25 प्रतिशत महिलाओं में मौत का दूसरा कारण सर्वाइकल कैंसर है. डॉ रागिनी ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय ग्रीवा से शुरू होकर शरीर के दूसरे अंगों तक फैलता है. यह बीमारी ज्यादातर पैपीलोमा वायरस के कारण होती है. 30-45 उम्र में महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का सबसे अधिक खतरा होता है. इसके अलावा अल्कोहल या सिगरेट पीना, एचपीवी संक्रमण के कारण, कम उम्र में मां बनना, बार-बार प्रेग्नेंट होना और असुरक्षित यौन संबंध बनाने के कारण महिलाएं इस बीमारी की चपेट में आ जाती हैं. सर्वाइकल कैंसर के लक्षण सर्वाइकल कैंसर का मुख्य लक्षण महिलाओं का पीरियड्स अनियमित, असामान्य रक्तस्राव, बार-बार यूरिन आना, पेट के निचले हिस्से व पेड़ू में दर्द या सूजन, बुखार, थकावट, भूख न लगना, विजाइना से लाइट पिंक जेलनुमा डिस्चार्ज होना इसका मुख्य लक्षण है. चेकअप है जरूरी सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए चिकित्सक की सलाह पर महिलाओं को 2- 3 वर्ष में एक बार पैप स्मीयर टेस्ट करानी चाहिए. इससे समय रहते बीमारी पता लग जाता है. इन सावधानियों से सर्वाइकल कैंसर से करें बचाव असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने से बचें, एक से ज्यादा पार्टनर के साथ संबंध नहीं बनाएं. धूम्रपान, शराब जैसी नशीली वस्तुओं से जितना हो सके दूरी बनाए रखे. इसमें निकोटीन होता है, जो गर्भाशय ग्रीवा में जमा होकर कैंसर सेल्स को बढ़ावा देता है. महिलाएं अपनी डाइट में सब्जियां, डेयरी प्रोडक्ट्स, फाइबर फूड्स, साबुत अनाज, दही, सूखे मेवे, बीन्स आदि अधिक लें. इसके साथ ही जंक फू्ड्स और बाहरी खाद्य पदार्थ से दूरी बनाये रखें. प्रतिदिन 30 मिनट व्यायाम व योग करें. इसके अलावा फिजिकल एक्टिविटी भी ज्यादा से ज्यादा करें. भोजन के बाद भी 10 मिनट जरूर टहलें. सबसे जरूरी बात अपना मोटापा कंट्रोल में रखें, क्योंकि यह सिर्फ कैंसर ही नहीं बल्कि कई बीमारियों की जड़ है. डॉ रागिनी ने कहा कि इस बीमारी से बचने के लिए सबसे जरूरी है टीकाकरण. इस बीमारी से बचने के लिए एचपीवी इंजेक्शन लगवाना न भूलें. पोलियो की तरह यह इंजेक्शन भी कम समय में लगवाया जा सकता है. लेकिन इसके लिए चिकित्सक से परामर्श पर लेना आवश्यक है.

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