अब सरकारी स्कूलों में दरी व फर्श पर बैठकर नहीं पढ़ेंगे छात्र

अब सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्रा दरी, बोरी व फर्श पर बैठकर शिक्षा ग्रहण नहीं करेंगे. इस संबंध में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र भेजकर आवश्यक निर्देश दिया है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 21, 2024 4:26 PM

मधुबनी. अब सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्रा दरी, बोरी व फर्श पर बैठकर शिक्षा ग्रहण नहीं करेंगे. इस संबंध में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र भेजकर आवश्यक निर्देश दिया है. विदित हो कि पिछले दिनों शिक्षा विभाग ने अभियान चलाकर सभी स्कूलों में बेंच-डेस्क की आपूर्ति की है. डीईओ को भेजे गये पत्र में अपर मुख्य सचिव ने जिले से सूचना मांगी है कि अब कितने बेंच-डेस्क की आवश्यकता है. विभाग का लक्ष्य है कि कोई भी बच्चा बेंच-डेस्क के अभाव में जमीन पर बैठकर शिक्षा ग्रहण नहीं करें. विदित हो कि विभाग ने निर्देश दिया था कि बेंच-डेस्क की खरीद में तेजी लाया जाए. एक बेंच-डेस्क की कीमत पांच हजार तय की गयी है. बेंच-डेस्क की गुणवत्ता के लिए शिक्षा विभाग ने मानक भी तय कर दिया है. जिसके अनुरूप ही बेंच-डेस्क की खरीद की जानी है. विभाग ने शुरुआती चरण में किसी एक स्कूल में अधिकतम 100 बेंच-डेस्क की आपूर्ति करने का निर्णय लिया था. फिर भी कुछ स्कूलों में छात्र-छात्राओं की संख्या के अनुपात में बेंच-डेस्क की कमी है. जिसे हर हाल में पूरा करने का निर्देश दिया गया है. निरीक्षण में पता चला था बेंच-डेस्क की कमी की समस्या जुलाई 2023 में सरकारी स्कूलों का नियमित निरीक्षण शुरू की गयी थी. निरीक्षी पदाधिकारियों के निरीक्षण में सामने आयी कि सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं की संख्या के अनुपात में बेंच-डेस्क उपलब्ध नहीं है. नतीजतन सरकारी स्कूलों के बच्चे, दरी, बोरी व फर्श पर बैठकर पठन-पाठन करने को विवश हो रहे थे. जिसे देखते हुए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने जिले के सभी सरकारी स्कूलों को बेंच-डेस्क आपूर्ति करने का निर्देश दिया था. विभागीय निर्देश के आलोक में स्कूलों को बेंच-डेस्क की आपूर्ति की गयी है. ताकि छात्र-छात्राओं को जमीन पर बैठकर शिक्षा ग्रहण करने को विवश न होना पड़े. कहते हैं अधिकारी जिला शिक्षा पदाधिकारी जावेद आलम ने कहा है कि हर हाल में विभागीय निर्देशों का अनुपालन किया जाएगा. स्कूलों को बेंच-डेस्क की आपूर्ति की गयी है. ताकि छात्र-छात्राओं को जमीन पर बैठकर पठन-पाठन करने से मुक्ति मिल जाए.

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