मधेपुरा बकरीद का त्योहार सोमवार को मनाया जायेगा. रमजान खत्म होने के ठीक दो माह बाद यह पर्व मनाया जाता है. शहर के सभी ईदगाह की साफ-सफाई की गयी. यहां बकरीद के दिन नमाज अदा की जायेगी. इसके अलावा अन्य मस्जिदों में भी सफाई का काम पूरा कर लिया गया है. इस त्योहार को कई नामों से जाना जाता है़. इसे बकरा ईद, बकरीद, ईद-उल-अजहा या ईद-उल जूहा भी कहा जाता है. मुसलमानों का यह दूसरा प्रमुख त्योहार है. इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है. इस कुर्बानी के बाद बकरे के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है.
पांच हजार से लेकर 25 हजार तक में बिका बकरा
इस्लाम धर्म में पहला मुख्य त्योहार मीठी ईद होती है. इसे ईद-उल-फितर कहा जाता है. इस मीठी ईद पर मुस्लिमों के घर पर सेवइयां व कई मीठे पकवान बनाये जाते हैं. लेकिन बकरीद के मौके पर मवेशियों की कुर्बानी देने की प्रथा है. जिले भर में इस पर्व को लेकर इस्लाम धर्म के लोगों ने तैयारी को अंतिम दे दिया गया है. शहर के हाट बाजारों में बकरों की जमकर खरीदारी की गयी. पांच हजार से लेकर 25 हजार तक के बकरे बेचे गये. कुर्बानी के लिए बकरों की खरीदारी का अपना ही एक अलग जुनून होता है. इसमें लोग अपनी हैसियत के हिसाब से बकरों की खरीदारी करते हैं. शहर के बाजार में बकरीद को लेकर सेवइयों की भी खूब बिक्री हुई.
जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं. शहर के ईदगाह सहित विभिन्न मस्जिदों में नमाज अदा करने की समय सारिणी जारी कर दी गयी है. जिला प्रशासन द्वारा संवेदनशील इलाकों में भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं. पर्व के अवसर पर सांप्रदायिक भावना आहत न हो एवं सहिष्णुता बनी रहे, इसके लिए जिला प्रशासन ने तैयारी कर ली है. जिला प्रशासन द्वारा सभी वरीय अधिकारी व पुलिस अधिकारियों को विधि व्यवस्था बनाये रखने के दिशा-निर्देश दे दिये हैं. शरारती तत्वों पर अंकुश लगाये जाने के लिए निगरानी एवं सतर्कता रखने के भी निर्देश हैं. सादे लिबास में पुलिस बल बाजारों में प्रतिनियुक्त रहेंगे. वहीं सघन गश्ती की भी व्यवस्था रहेगी.
दीपावली की तरह मनायी जाती है खुशी
ईद-उल-जूहा अत्यधिक खुशी, विशेष प्रार्थनाओं एवं अभिवादन करने का त्योहार है. मुस्लिम धर्मावलंबी इस दिन एक-दूसरे के साथ उपहार बांटते हैं. जिस तरह से हिंदू धर्म में दीपावली पर काफी धूम होती है. ठीक उसी तरह ईद-उल-जूहा के दिन हर मुस्लिम परिवार में रौनक दिखायी देती है. ईद-उल-जूहा यह नाम अधिकतर अरबी देशों में ही लिया जाता है. लेकिन यहां इस त्योहार को बकर-ईद कहा जाता है. इसका कारण इस दिन बकरे की कुर्बानी दिया जाना है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
मधेपुरा बकरीद का त्योहार सोमवार को मनाया जायेगा. रमजान खत्म होने के ठीक दो माह बाद यह पर्व मनाया जाता है. शहर के सभी ईदगाह की साफ-सफाई की गयी. यहां बकरीद के दिन नमाज अदा की जायेगी. इसके अलावा अन्य मस्जिदों में भी सफाई का काम पूरा कर लिया गया है. इस त्योहार को कई नामों से जाना जाता है़. इसे बकरा ईद, बकरीद, ईद-उल-अजहा या ईद-उल जूहा भी कहा जाता है. मुसलमानों का यह दूसरा प्रमुख त्योहार है. इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है. इस कुर्बानी के बाद बकरे के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है.
पांच हजार से लेकर 25 हजार तक में बिका बकरा
इस्लाम धर्म में पहला मुख्य त्योहार मीठी ईद होती है. इसे ईद-उल-फितर कहा जाता है. इस मीठी ईद पर मुस्लिमों के घर पर सेवइयां व कई मीठे पकवान बनाये जाते हैं. लेकिन बकरीद के मौके पर मवेशियों की कुर्बानी देने की प्रथा है. जिले भर में इस पर्व को लेकर इस्लाम धर्म के लोगों ने तैयारी को अंतिम दे दिया गया है. शहर के हाट बाजारों में बकरों की जमकर खरीदारी की गयी. पांच हजार से लेकर 25 हजार तक के बकरे बेचे गये. कुर्बानी के लिए बकरों की खरीदारी का अपना ही एक अलग जुनून होता है. इसमें लोग अपनी हैसियत के हिसाब से बकरों की खरीदारी करते हैं. शहर के बाजार में बकरीद को लेकर सेवइयों की भी खूब बिक्री हुई.
जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं. शहर के ईदगाह सहित विभिन्न मस्जिदों में नमाज अदा करने की समय सारिणी जारी कर दी गयी है. जिला प्रशासन द्वारा संवेदनशील इलाकों में भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं. पर्व के अवसर पर सांप्रदायिक भावना आहत न हो एवं सहिष्णुता बनी रहे, इसके लिए जिला प्रशासन ने तैयारी कर ली है. जिला प्रशासन द्वारा सभी वरीय अधिकारी व पुलिस अधिकारियों को विधि व्यवस्था बनाये रखने के दिशा-निर्देश दे दिये हैं. शरारती तत्वों पर अंकुश लगाये जाने के लिए निगरानी एवं सतर्कता रखने के भी निर्देश हैं. सादे लिबास में पुलिस बल बाजारों में प्रतिनियुक्त रहेंगे. वहीं सघन गश्ती की भी व्यवस्था रहेगी.
दीपावली की तरह मनायी जाती है खुशी
ईद-उल-जूहा अत्यधिक खुशी, विशेष प्रार्थनाओं एवं अभिवादन करने का त्योहार है. मुस्लिम धर्मावलंबी इस दिन एक-दूसरे के साथ उपहार बांटते हैं. जिस तरह से हिंदू धर्म में दीपावली पर काफी धूम होती है. ठीक उसी तरह ईद-उल-जूहा के दिन हर मुस्लिम परिवार में रौनक दिखायी देती है. ईद-उल-जूहा यह नाम अधिकतर अरबी देशों में ही लिया जाता है. लेकिन यहां इस त्योहार को बकर-ईद कहा जाता है. इसका कारण इस दिन बकरे की कुर्बानी दिया जाना है.
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