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भरतखंड के यदुवंश नगर में बह रही भक्ति की सरिता

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परबत्ता. प्रखंड क्षेत्र के यदुवंश नगर भरतखंड में स्थित श्री राधाकृष्ण मंदिर परिसर में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है. आयोजन के दसवें दिन श्री वृंदावन धाम से पधारे पूज्य गुरुदेव बालकृष्ण लाल महाराज ने कहा कि मनुष्य अपने पास कितना भी धन एकत्र क्यों न कर ले, लेकिन यदि वो धन किसी के कल्याण कार्य में नहीं लगा तो ऐसे धन का होना और न होना दोनों बराबर है. बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर, पंछी को छाया नहीं फल लागे अति दूर, अंतिम प्रसंग में नारद द्वारा द्वारिकापूरी जाकर भगवान श्री कृष्ण के गृहस्थ जीवन का अवलोकन करना और एक समय में सभी रानी के साथ देखकर आश्चर्य करना. देवताओं द्वारा भगवान के स्वधाम गमन के लिए प्रार्थना करना, श्री भगवान कृष्ण की इच्छा से दुर्वासा आदि ऋषियों द्वारा यदुवंश के विनाश का श्राप,दारूक को लेकर भगवान का प्रभास क्षेत्र जाना, द्वारिकापुरी का समुद्र में डूब जाने की कथा. भगवान के स्वधाम गमन,सुदामा चरित्र की कथा श्रवण कराते हुए कहा कि सुदामा दरिद्र नहीं संकोची थे. फिर कलियुग के धर्मों का वर्णन करते हुए, नरक वर्णन आदि कि कथा श्रवण कराये, श्री शुकदेव जी का पूजन के साथ विदाई, आगे राजा परीक्षित के मोक्ष प्राप्ति की कथा के साथ निर्विघ्न रूप से श्रीमद् भागवत कथा का विश्राम हुआ. आज बड़ा ही सुन्दर देशभक्ति कार्यक्रम बालक-बालिकायें नृत्य प्रस्तुत करेंगे. श्री राधाकृष्ण भगवान की दिव्य होली लीला का कार्यक्रम के साथ कथा का विश्राम होगा. साथ ही 27 को प्रातःकाल संगीतमय दिव्य श्रीमद्भागवत कथा का हवन व पूर्णाहुति होगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

परबत्ता. प्रखंड क्षेत्र के यदुवंश नगर भरतखंड में स्थित श्री राधाकृष्ण मंदिर परिसर में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है. आयोजन के दसवें दिन श्री वृंदावन धाम से पधारे पूज्य गुरुदेव बालकृष्ण लाल महाराज ने कहा कि मनुष्य अपने पास कितना भी धन एकत्र क्यों न कर ले, लेकिन यदि वो धन किसी के कल्याण कार्य में नहीं लगा तो ऐसे धन का होना और न होना दोनों बराबर है. बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर, पंछी को छाया नहीं फल लागे अति दूर, अंतिम प्रसंग में नारद द्वारा द्वारिकापूरी जाकर भगवान श्री कृष्ण के गृहस्थ जीवन का अवलोकन करना और एक समय में सभी रानी के साथ देखकर आश्चर्य करना. देवताओं द्वारा भगवान के स्वधाम गमन के लिए प्रार्थना करना, श्री भगवान कृष्ण की इच्छा से दुर्वासा आदि ऋषियों द्वारा यदुवंश के विनाश का श्राप,दारूक को लेकर भगवान का प्रभास क्षेत्र जाना, द्वारिकापुरी का समुद्र में डूब जाने की कथा. भगवान के स्वधाम गमन,सुदामा चरित्र की कथा श्रवण कराते हुए कहा कि सुदामा दरिद्र नहीं संकोची थे. फिर कलियुग के धर्मों का वर्णन करते हुए, नरक वर्णन आदि कि कथा श्रवण कराये, श्री शुकदेव जी का पूजन के साथ विदाई, आगे राजा परीक्षित के मोक्ष प्राप्ति की कथा के साथ निर्विघ्न रूप से श्रीमद् भागवत कथा का विश्राम हुआ. आज बड़ा ही सुन्दर देशभक्ति कार्यक्रम बालक-बालिकायें नृत्य प्रस्तुत करेंगे. श्री राधाकृष्ण भगवान की दिव्य होली लीला का कार्यक्रम के साथ कथा का विश्राम होगा. साथ ही 27 को प्रातःकाल संगीतमय दिव्य श्रीमद्भागवत कथा का हवन व पूर्णाहुति होगी.

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