तापमान पहुंचा 40 डिग्री, नागी-नकटी में अब भी साइबेरियन पक्षी हैं मौजूद
प्रवासी पक्षियों को भा रहा नागी-नकटी
झाझा. नागी- नकटी में अब भी साइबेरियन पक्षी भारी तादाद में मौजूद हैं. इसे हमसबों को संरक्षित करने की जरूरत है. फिलहाल हमलोग इसकी गिनती व अवलोकन कर बिहार सरकार को भेज रहे हैं. मंदार नेचर के संस्थापक व विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा ने बताया कि यह अद्भुत और इस क्षेत्र के लिए अहम है. उन्होंने बताया कि बिहार के एशियाई जल पक्षियों की गणना का कार्यक्रम वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार सरकार द्वारा वर्ष 2022 से ही चलाया जा रहा है, जो बिहार जैसे राज्य में पक्षियों के लिए चलाया जा रहा एक अभूतपूर्व अभियान साबित हुआ है. राज्य के लगभग 90 जलाशयों में जल पक्षियों की गणना इस वर्ष 2024 में हुयी. जिनमें से चुनिंदा 9 क्षेत्रों में मध्य शीतकाल के अलावा शीतकाल की शुरुआत जब प्रवासी पक्षी हमारे यहां आना शुरू करते हैं और शीत काल के बाद जब प्रवासी पक्षी अपने वतन वापस लौटने लगते हैं. उस समय भी जल पक्षियों की गणना कराई जा रही है. जिनमें जिले के झाझा के निकट नागी और नकटी जलाशय भी शामिल हैं. इसी क्रम में नागी और नकटी जलाशयों में पक्षियों की गणना का कार्य मंदार नेचर क्लब के संस्थापक अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में किया गया. जिसमें भागलपुर के पक्षीविद वतन कुमार और जमुई के बर्ड गाइड मनीष कुमार यादव और संदीप कुमार भी शामिल थे. इस कार्यक्रम में जमुई के वन प्रमंडल पदाधिकारी तेजस जायसवाल का विशेष सहयोग रहा.
39 प्रजाति के पक्षी नकटी व 40 प्रजाति के पक्षी नागी में
पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा ने बताया कि बिहार में ठंड का मौसम शुरू होते ही नवंबर माह से विदेशी पक्षी आने लगते हैं और गर्मी का मौसम शुरू होते ही ये सभी विदेशी पक्षी अपने-अपने मूल निवास में प्रजनन करने को लौटने लगते हैं. अभी जबकि तापमान 40 डिग्री को छू रहा है. तब भी नागी और नकटी में बहुतेरे प्रवासी पक्षी नजर आ रहे हैं. जिनमें मुख्य रूप से रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, कॉमन कूट, गार्गेनी, यूरेशियन वीजन, गडवाल, पिनटेल, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब, ऑस्प्रे, ग्रीन शैंक, वुड सैंडपाइपर, टेमिंक्स स्टिंट आदि शामिल हैं. देशी प्रजातियों में लेसर व्हिसलिंग टील और कॉटन पिग्मी गूज के अलावा व्हाइट आईबिस, ब्लैक आईबिस, ब्लैक विन्ग्ड स्टिल्ट, स्माल प्रेटिंकोल, लिटिल कोर्मोरेंट, लिटिल ग्रीब आदि शामिल हैं. करीब 39 प्रजाति के पक्षी नकटी और 40 प्रजाति के पक्षी नागी में नजर आये. जबकि नकटी में पक्षियों की संख्या अधिक देखी गयी, जहां पर्यटन और नौका चालन का दबाव नहीं रहता. उन्होंने कहा कि 5 अप्रैल का दिन विशेष रूप से नागी और इसके इर्द गिर्द पाये जाने वाले पक्षियों के लिए विशेष रहा. जहां संभवतः पहली बार पेंटेड स्नाईप का जोड़ा दिखा, इंडियन थिकनी अपने प्रजनन क्रिया में नजर आये और चेस्टनट बेलिड सैंडग्राउज भी नजर आये. अरविंद मिश्रा ने बताया कि वर्ष 1995 के आस -पास ही उन्होंने इस क्षेत्र में इंडियन कोर्सर और चेस्टनट बेलीड सैंडग्राउज को देखा था. जो नागी-नकटी की पुरानी सूची में भी शामिल हैं. उन्होंने बताया कि ये ऐसे पक्षी होते है, जो पथरीली जमीन और मिट्टी के रंग में ऐसे घुल-मिल जाते हैं कि बाजू में बैठे भी दिखाई नहीं देते. गर्मी का मौसम ऐसे पक्षियों के लिये प्रजनन का काल होता है. इस शीतकाल, शीतकाल के पूर्व और पश्चात के अध्ययन से विभिन्न मौसम में देसी और प्रवासी पक्षियों का क्या व्यवहार होता है. इसका पता चलेगा जो कि एक शोध का विषय होगा. फिलहाल इसे संरक्षित करने की जरूरत है.