गोपालगंज. मणिपुर में उपद्रवियों के शिकार हुए राजवाही बीन टोली के दशरथ सहनी अपने बड़े भाई संतोष सहनी के साथ गये थे. एक नवंबर को दोनों भाई गांव के 10-12 लोगों के साथ मणिपुर के काकचिंग जिले में मजदूरी करने गये, जहां 500 रुपये प्रतिदिन की दर से दिहाड़ी मिलती थी. ओवरटाइम करने पर दो-दो सौ रुपये दोनों भाइयों को मिल जाते थे. होली में दोनों भाईयों का घर आने का प्लान था, क्योंकि शादी के लिए दोनों भाईयों की बात चल रही थी. मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था.

बेसुध पड़े थे दशरथ के पिता

बेटे की गोली मारकर हत्या की खबर से आहत पिता मोहन सहनी बीन टोली में घर के बाहर बेसुध पड़े हुए थे. आंगन में दशरथ की मां राधिका देवी बेटे की तस्वीर लेकर दहाड़ मारकर रो रही थीं और गांव की महिलाएं ढाढ़स बंधाते हुए सांत्वना दे रही थीं. छह भाईयों में दशरथ तीसरे नंबर पर था, उसके दो बड़े भाईयों के शादी हो चुकी है. दशरथ और संतोष की शादी होनी थी, लेकिन घर नहीं था. मकान बनाने के लिए पैसे की जरूरत थी और यहां काम नहीं मिल रहा था. घर पर काम नहीं मिलने से दोनों भाईयों ने गांव के अन्य लोगों के साथ मणिपुर जाने का फैसला किया, जहां दशरथ सहनी की गोली मारकर हत्या कर दी गयी. दशरथ के पिता मोहन सहनी ने कहा, बेटे का सपना था कि घर बनने के बाद धूमधाम से शादी करूंगा, लेकिन यह सपना अधूरा रह गया. अपने घर पर काम नहीं मिल रहा था, इसलिए दोनों मेहनत मजदूरी कर कमाने के लिए मणिपुर गये थे, वहां उप्रदवियों ने गोली मारकर मेरे बेटे की हत्या कर दी गयी. उसने किसी का क्या बिगाड़ा था.

मणिपुर से संतोष ने बतायी आपबीती

वहीं, मणिपुर में भाई की हत्या से दहशत में आये संतोष कुमार ने फोन पर बताया कि वहां बीच सड़क पर गोली मारकर घटना को अंजाम दिया गया है. दशरथ और सोनेलाल साइकिल से अपने किराये के मकान पर जा रहे थे, उसके पीछे 500 मीटर की दूरी पर बाकी सभी लोग पैदल मकान पर जा रहे थे, इसलिए उन सभी लोगों की जान बच गयी, नहीं तो इनलोगों के साथ भी अनहोनी हो सकती थी. घटना की आपबीती फोन पर सुनाते हुए संतोष फफक कर रो पड़ रहे थे.

पार्थिव शरीर लाने की चल रही तैयारी

मणिपुर से दोनों मजदूरों के शवों को लाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई चल रही है. बताया जा रहा है कि रविवार को दोनों शवों का इम्फाल के सरकारी अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया गया है और पैतृक गांव के लिए लाने की तैयारी की गयी है. वहीं, दशरथ के पिता मोहन सहनी ने बताया कि ठेकेदार ने दोनों के शवों को मणिपुर में ही दाह-संस्कार कर दिये जाने का दबाव बनाया, लेकिन परिवार ने शवों को मंगाने के लिए प्रशासन व सरकार से गुहार लगायी है.

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