बिहार में शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच टकराव टला, सरकार ने कुलपति पद पर नियुक्ति का विज्ञापन लिया वापस
बिहार शिक्षा विभाग ने राज्य के सात पारंपरिक विश्वविद्यालयों के कुलपति पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन मांगने से जुड़ी अपनी अधिसूचनाएं वापस ले ली हैं. शिक्षा विभाग ने इस संबंध में शुक्रवार को अधिसूचना जारी कर दी है.
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बिहार में राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर चल रहा विवाद शुक्रवार को समाप्त हो गया. इस टकराव को टालने में सबसे अहम भूमिका सीएम नीतीश कुमार की बताई जा रही है. मुख्यमंत्री बुधवार 23 अगस्त को राजभवन गए थे, जहां उन्होंने राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर से मुलाकात की थी. इस मुलाकात में दोनों के बीच विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति को लेकर शुरू हुए विवाद पर चर्चा हुई थी. इस मुलाकात के बाद शुक्रवार को शिक्षा विभाग ने नियुक्ति के लिए आवेदन मांगने से जुड़ी अधिसूचनाएं वापस ले ली हैं. अब राज्यपाल द्वारा ही कुलपतियों की नियुक्ति की जाएगी.
इन सात विश्वविद्यालयों के कुलपति पद के लिए जारी किया गया था विज्ञापन
दरअसल, शिक्षा विभाग ने बीते सोमवार को राज्य के सात पारंपरिक विश्वविद्यालयों मसलन केएसडी संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा , जय प्रकाश विश्वविद्यालय छपरा, पटना विश्वविद्यालय, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर, एलएन मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा, बीएनमंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा और आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय पटना के कुलपति पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन को लेकर एक विज्ञापन जारी किया था. इसी विज्ञापन को शिक्षा विभाग ने शुक्रवार को वापस लिया. इसके साथ ही शिक्षा विभाग की तरफ से कुलपति पद के लिए जारी विज्ञापन अप्रभावी हो गये हैं.
शिक्षा विभाग ने जारी की अधिसूचना
शिक्षा विभाग के सचिव वैधनाथ यादव के हस्ताक्षर के साथ शुक्रवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गयी है. इससे पहले शिक्षा विभाग ने 21 अगस्त को अधिसूचना जारी कर इन विश्वविद्यालयों में कुलपति पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किये थे. विभाग ने आवेदन करने की आखिरी तिथि 13 सितंबर तय की थी. जबकि राजभवन ने इन्हीं संबंधित सातों विश्वविद्यालयों में कुलपति पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन मांगने की अधिसूचना पहले ही जारी कर दी थी. इस विज्ञापन के तहत 25 अगस्त आवेदन करने की आखिरी तारीख है.
क्यों पैदा हुई टकराव की स्थिति…
शिक्षा विभाग एवं राजभवन दोनों के द्वारा ही सातों विश्वविद्यालयों में कुलपति पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन मांगने की अधिसूचना जारी करने की वजह से राज्य सरकार और राजभवन के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई थी. समान विश्वविद्यालयों में कुलपति पद के लिए दो अलग-अलग संस्थाओं की तरफ से विज्ञापन मांगने पर विश्वविद्यालयों में वैधानिक संकट खड़ा हो गया था. वहीं जो लोग राजभवन द्वारा निकाली गई नियुक्ति के लिए आवेदन कर चुके थे, वो भी कन्फ्यूज हो गए.
सीएम नीतीश कुमार ने राज्यपाल से की थी मुलाकात
टकराव की स्थिति उत्पन्न होने के बाद इस मामले को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे. इसके बाद 23 अगस्त को राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच राजभवन में मुलाकात हुई. जहां दोनों के बीच करीब 25 मिनट तक सकारात्मक विमर्श हुआ. दोनों के बीच हुए इस विमर्श पर राजभवन की तरफ से कहा गया कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने उच्च शिक्षा और विश्वविद्यालयों से जुड़े विभिनन मसलों पर उच्चस्तरीय बातचीत की.
राज्यपाल सह कुलाधिपति की अधिसूचनाओं के लिए रास्ता साफ
राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच सकारात्मक विमर्श के बाद राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच उत्पन्न संकट अब समाप्त हो गया है. इस मुलाकात के बाद शिक्षा विभाग की तरफ से कुलपति नियुक्ति के संदर्भ में आवेदन मांगने वाली अधिसूचनाएं शुक्रवार को वापस ले ली गई हैं. अब राजभवन की तरफ से कुलपतियों के चयन के लिए जारी अधिसूचना यथावत रहेंगी. उनमें आये आवेदनों पर विचार के लिए सर्च कमेटी की गठन की प्रक्रिया शुरू हो सकती है.
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इस विषय पर भी राजभवन व शिक्षा विभाग हो गए थे आमने-सामने
उल्लेखनीय है कि इसी बीच सर्च कमेटी पर सदस्यों के नामांकन के मसले पर राजभवन सचिवालय और शिक्षा विभाग पत्राचार कर चुके हैं. इस मामले में भी दोनों आमने सामने देखे गये थे. अब नये सिरे से शिक्षा विभाग सर्च कमेटी के लिए नाम की अनुशंसा कर सकता है. बता दें कि इससे पहले राजभवन ने शिक्षा विभाग के उस आदेश को भी रद्द कर दिया था. जिसमें मुजफ्फरपुर स्थित बिआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रति कुलपति के वेतन को रोकने के लिए कहा गया था.