Durgapuja Guidelines in Bihar: दुर्गा पूजा को लेकर नियम तय, मूर्ति 20 फुट और पंडाल 40 फुट से ऊंचे नहीं बनेंगे

प्रत्येक पूजा समिति यह सुनिश्चित करेगी कि मूर्तियों को प्राकृतिक सामग्री जैसे मिट्टी, बांस आदि से बनाया जायेगा. मूर्ति निर्माण में प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग नहीं करना है. फूल, कागज और प्लास्टिक से बनी सजावटी सामग्री को मूर्तियों के विसर्जन से पहले हटा लेना होगा.

By RajeshKumar Ojha | September 21, 2023 7:54 AM

Navratri and Durgapuja Guidelines in Bihar दशहरा में मां दुर्गा की मूर्ति की ऊंचाई 20 फुट से अधिक और पंडाल की ऊंचाई 40 फुट से अधिक नहीं होनी चाहिए. मूर्ति के ऊपरी ढांचे की ऊंचाई भी 40 फुट से कम होनी चाहिए. पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग ने दुर्गा पूजा पर पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए 2021 में बनी नियमावली के अनुसार 12 निर्देश दिये हैं. प्रत्येक पूजा समिति यह सुनिश्चित करेगी कि मूर्तियों को प्राकृतिक सामग्री जैसे मिट्टी, बांस आदि से बनाया जायेगा. मूर्ति निर्माण में प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग नहीं करना है. फूल, कागज और प्लास्टिक से बनी सजावटी सामग्री को मूर्तियों के विसर्जन से पहले हटा लेना होगा.

पूजा समितियों को अनिवार्य रूप से देनी होगी घोषणा पत्र

पूजा समितियों को जिला प्रशासन या संबंधित विभाग को अनिवार्य रूप से घोषणा पत्र देना होगा, जिसमें यह बताना होगा कि मूर्तियों के निर्माण और ऊपरी संरचना को खड़ा करने में प्लास्टर ऑफ पेरिस और पारा, कैडमियम, आर्सेनिक, शीशा और क्रोमियम जैसी जहरीली भारी धातुओं वाले कृत्रिम रंग का उपयोग नहीं किया गया है. विसर्जन के समय मूर्ति विर्सजन की प्रक्रिया के संबंध में जिला प्रशासन द्वारा जारी सभी निर्देशों का पालन करना होगा.

कृत्रिम तालाबों में ही मूर्तियों का विसर्जन

क्षेत्र के अनुसार मूर्तियों के विसर्जन के लिए पर्याप्त कृत्रिम तालाब का निर्माण कर पूजा समितियों को इनके साथ टैग या चिह्नित किया जायेगा. मूर्ति विसर्जन प्रक्रिया के दौरान विसर्जन स्थल पर ठोस कचरा जैसे फूल, कपड़ा, सजावट सामग्री आदि को जलाने पर रोक रहेगी.

नियमों का उल्लंघन करने पर लगेगा जुर्माना

यदि कोई पूजा समिति नियमों का पालन नहीं करती है, तो जिला प्रशासन या संबंधित विभाग उससे क्षतिपूर्ति की राशि वसूल सकता है. पंचायत क्षेत्र में स्थित पूजा समिति के मामले में पांच हजार रुपये और नगर निगम, नगर पालिका या नगर पंचायत के क्षेत्र में स्थित पूजा समिति के मामले में दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है.

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