दरभंगा. इस बार गर्मी कहर ढा रही है. आम से लेकर खास सभी को हलकान कर रखा है. बिजली पंखे में भी राहत नहीं मिल रही. शीतल पेयजल के लिए मन तरसता रहता है. ऐसे मेंं आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोग मिट्टी के सुराही व मटका की ओर मुखातिब हो गये हैं. हालांकि यह तबका पहली बार भीषण गर्मी में पेयजल को ठंडा करने के लिए इसकी खरीदारी नहीं कर रहा, पहले के वर्षों में भी लोग इसका सहारा लेते रहे हैं, लेकिन इस वर्ष समय से काफी पहले ही भीषण गर्मी आ जाने के कारण मिट्टी के बर्तनों की डिमांड काफी बढ़ गयी है. बर्तन बनाने वालों ने पहले से ही इसे तैयार कर रखा है. दुकानों पर इसे सजा रखा है. दूर-दूर से लोग इसकी खरीदारी के लिए पहुंच रहे हैं. उल्लेखनीय है कि इस बार अप्रैल के शुरूआत से ही तापमान में तेंजी से वृद्धि होने लगी. आधा अप्रैल गुजरा भी नहीं था कि पारा 40 डिग्री के पार पहुंच गया. आर्थिक रूप से समृद्ध लोगों के पास इस विकराल मौसम में राहत पाने के लिए कई साधन-संसाधन उपलब्ध है, लेकिन गरीब तबका इसके बारे में सोच भी नहीं सकता. ऐसे में उनके लिए मिट्टी के घड़े, मटका, सुराही बड़ी मददगार साबित हो रहे हैं. यूं तो जिला के विभिन्न स्थलों पर मिट्टी के ये बर्तन तैयार कर बेचे जाते हैं, लेकिन व्यवसायिक स्वरूप मुख्य रूप से मौलागंज के बाजार ने ही ले रखा है. दूर से ही खींच रहे रंग-बिरंगे मिट्टी के बर्तन लोगों की आवश्यकता एवं मांग के साथ सुविधा को ध्यान में रखते हुए कई डिजाइन एवं रंग के मटके व सुराही बनाये गये हैं. आकर्षक रंग से रंगकर इसे दुकानों पर सजा रखा गया है. दूर से ही लोगों को यह अपनी ओर खींच रहा है. दरभंगा-लहेरियासराय मुख्य पथ में मौलागंज मोहल्ले की सड़क के दोनों तरफ दर्जनों दुकानें सजी हैं. इसमें सामान्य सुराही के अलावा नल की टोटी लगी सुराही भी उपलब्ध है. छोटा से लेकर बड़े आकार का मटका भी मिल रहा है. ग्राहकों की डिमांड को देखते हुए नलयुक्त मटका भी उपलब्ध है. घड़ा व सुराही की अधिक मांग यूं तो पानी को ठंडा रखने के लिए मिट्टी के प्राय: सभी तरह के बर्तन ग्राहक खरीद रहे, लेकिन सबसे अधिक मांग मिट्टी के घड़े व सुराहियों की है. मौलागंज के शंभु पंडित बताते हैं कि घड़ा 70 से सौ रुपये तक में मिल जाता है. इसलिए गरीब तबके के लोग इसकी खरीदारी अधिक कर रहे हैं. वैसे सुराही की भी अच्छी बिक्री हो रही है. समस्तीपुर के अलावा मधुबनी एवं सहरसा तक से कारोबारी यहां से बर्तन लेकर अपने इलाके में बेचने के लिए जाते हैं. इस जिला के ग्रामीण क्षेत्र के कारोबारी भी बड़ी संख्या में बर्तन ले जाते हैं. कीमत में मामूली वृद्धि मिट्टी के पानी रखने वाले बर्तनों की कीमत में मामूली वृद्धि इस बार दर्ज की गयी है. सुराही व मटका के दाम महज 50 से सौ रुपये अधिक हुए हैं. वहां की सावित्री देवी ने बताया कि अब गोबर की चिपड़ी सहज रूप में नहीं मिलती. कोयले से आवा लगाना पड़ता है. इसलिए लागत बढ़ गयी है. मिट्टी भी महंगी हो गयी है, फिर भी सुराही दो सौ से 350 तथा मटका 250 से 450 रुपये तक बिक रहे हैं. हमलोगों के लिए तो यही फ्रिज है साहब मौलागंज में सुराही का मोलभाव कर रहे सोहन मुखिया ने बताया कि इस गर्मी में ठंडा पानी पीने के लिए मन तरस जाता है. फ्रिज और वाटर कूलर की सोच भी नहीं सकते. हमलोगों के लिए तो यही फ्रिज है, जिसमें पानी डाल देने के बाद यह अपने-आप शीतल हो जाता है.
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गर्मी बढ़ने के साथ बढ़ी मटका व सुराही की डिमांड
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इस बार गर्मी कहर ढा रही है. आम से लेकर खास सभी को हलकान कर रखा है

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