Bihar Teacher Transfer: बिहार के शिक्षा विभाग के सामने इन दिनों एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है, जहां राज्य के लगभग 1 लाख 90 हजार शिक्षक ट्रांसफर के इंतजार में हैं. हालांकि, सरकार द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार, वह केवल 30 से 40 हजार शिक्षकों के ट्रांसफर पर ही विचार करने वाली है, जबकि बाकी के आवेदनों को स्क्रूटनी में बाहर किया जा सकता है. इस स्थिति ने न केवल शिक्षकों को चिंतित किया है, बल्कि शिक्षा विभाग के लिए भी यह एक बड़ी चुनौती बन गई है.

शिक्षकों ने दूरी और व्यक्तिगत कारणों से ट्रांसफर की मांग की

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने पहले इस साल के पहले सप्ताह में ट्रांसफर प्रक्रिया को पूरा करने का वादा किया था, लेकिन अब तक कोई स्पष्ट हल नजर नहीं आ रहा है. सूत्रों के अनुसार, आवेदन देने वाले ज्यादातर शिक्षकों ने जिलों के भीतर ही ट्रांसफर के लिए आवेदन किया है.

दूसरी तरफ, जिन शिक्षकों की पोस्टिंग दूर के जिलों में है, उन्हें ट्रांसफर में प्राथमिकता मिल सकती है. बिहार के अलग-अलग हिस्सों से जैसे किशनगंज से पश्चिम चंपारण, गया से अररिया तक के दूरदराज जिलों में शिक्षकों की पोस्टिंग की गई थी, और अब सरकार ने इन्हें प्राथमिकता देने का संकेत दिया है.

स्क्रूटनी प्रक्रिया में देरी, शिक्षकों में बढ़ रही नाराजगी

इसी बीच, स्क्रूटनी प्रक्रिया में कुछ अधिकारी इस काम को पूरा करने में मदद नहीं ले सकते, जिससे यह और अधिक जटिल हो गया है. अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे किसी भी सहयोगी, क्लर्क, या कंप्यूटर ऑपरेटर की मदद के बिना एक दिन में 50 फॉर्म की स्क्रूटनी करें. इसके कारण स्क्रूटनी की प्रक्रिया धीमी हो गई है, और इसकी वजह से शिक्षकों में नाराजगी बढ़ रही है.

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तलाक और बीमारी के आधार पर अर्जी डाली

शिक्षकों के ट्रांसफर के कारणों में एक और दिलचस्प पहलू सामने आया है. कई शिक्षकों ने अपनी समस्याओं का जिक्र करते हुए ट्रांसफर के लिए आवेदन किया है. कुछ शिक्षकों के आवेदन तलाक के कारण आए हैं. जिनमें 1,338 शिक्षकों ने इस वजह से ट्रांसफर की मांग की है. इसके अलावा कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के कारण भी 760 शिक्षकों ने आवेदन किया है.