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विक्रमशिला गंगेटिक डॉल्फिन सेंचुरी में पहली बार दिखा ग्रेट फ्लेमिंगो पक्षी

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वरीय संवाददाता, भागलपुर गंगानदी में विक्रमशिला गंगेटिक डॉल्फिन सेंचुरी में पहली बार ग्रेटर फ्लेमिंगो जुवेनाइल पक्षी दिखा. इसकी दुर्लभ पक्षी की फोटो वन विभाग की ओर से सोशल मीडिया पर जारी किया गया. विभाग ने जानकारी दी कि यह पक्षी सुलतानगंज के पास गंगातट पर देखा गया. इससे पहले गंगानदी क्षेत्र में इस पक्षी को नहीं देखा गया था. वन विभाग के अनुसार यह पक्षी या तो अपने झुंड से अलग होकर एकांत बैठा मिला. वहीं इसके आसपास इसका झुंड भी मौजूद हो. यह पक्षी ठंड में अपना प्रवास देश के पश्चिमी समुद्रीतट पर करता था. यह पक्षी मूलरूप से हिमालय क्षेत्र समेत भूमध्यसागरीय इलाके, पूर्व मध्य, उत्तरी अफ्रीका महादेश में रहता है. लेकिन मौसम परिवर्तन के कारण यह देश के पश्चिमी समुद्री तट के आसपास रहता है. बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसइटी की रिसर्चर वर्तिका पटेल ने बताया कि 1991 में हुए सर्वे के अनुसार यह पक्षी पहले बेगूसराय के कांवर झील के आसपास दिखता था. ग्रेट फ्लेमिंगो कई वर्षों से उत्तर भारत के इलाके में नहीं दिखा है. इस पक्षी का गंगानदी बेसिन में दिखना बर्ड एक्सपर्ट के लिए शोध व हर्ष का विषय है. इससे इलाके की जैव विविधता और भी समृद्ध होगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

वरीय संवाददाता, भागलपुर गंगानदी में विक्रमशिला गंगेटिक डॉल्फिन सेंचुरी में पहली बार ग्रेटर फ्लेमिंगो जुवेनाइल पक्षी दिखा. इसकी दुर्लभ पक्षी की फोटो वन विभाग की ओर से सोशल मीडिया पर जारी किया गया. विभाग ने जानकारी दी कि यह पक्षी सुलतानगंज के पास गंगातट पर देखा गया. इससे पहले गंगानदी क्षेत्र में इस पक्षी को नहीं देखा गया था. वन विभाग के अनुसार यह पक्षी या तो अपने झुंड से अलग होकर एकांत बैठा मिला. वहीं इसके आसपास इसका झुंड भी मौजूद हो. यह पक्षी ठंड में अपना प्रवास देश के पश्चिमी समुद्रीतट पर करता था. यह पक्षी मूलरूप से हिमालय क्षेत्र समेत भूमध्यसागरीय इलाके, पूर्व मध्य, उत्तरी अफ्रीका महादेश में रहता है. लेकिन मौसम परिवर्तन के कारण यह देश के पश्चिमी समुद्री तट के आसपास रहता है. बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसइटी की रिसर्चर वर्तिका पटेल ने बताया कि 1991 में हुए सर्वे के अनुसार यह पक्षी पहले बेगूसराय के कांवर झील के आसपास दिखता था. ग्रेट फ्लेमिंगो कई वर्षों से उत्तर भारत के इलाके में नहीं दिखा है. इस पक्षी का गंगानदी बेसिन में दिखना बर्ड एक्सपर्ट के लिए शोध व हर्ष का विषय है. इससे इलाके की जैव विविधता और भी समृद्ध होगी.

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