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सदर अस्पताल में कर्मियों की मनमानी से मरीजों को हो रही है परेशानी

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आरा.

जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में कर्मियों की मनमानी चरम पर है. इस मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. जबकि सरकार मरीजों को सरकारी अस्पतालों में कई तरह की सुविधाएं देने का दावा करती है. इन दावों का हवा अस्पताल के कर्मी ही निकाल दे रहे हैं. ऐसे कर्मियों का मनोबल इतना ऊंचा रहता है कि इन्हें किसी भी तरह की कार्रवाई या विरोध का भय नहीं रहता है.

निर्धारित निबंधन शुल्क दो रुपये की जगह लिया जा रहा है 15 से 20 रुपये :

अस्पताल में मनमानी एवं कुव्यवस्था का आलम यह है कि अपने इलाज के लिए निबंधन करानेवाले मरीजों से निबंधन काउंटर पर कार्यरत कर्मियों द्वारा सरकार द्वारा निर्धारित निबंधन शुल्क दो रुपये की जगह 15 से 20 रुपये लिए जा रहे हैं. जो मरीज इसका विरोध करते हैं, उन्हें इन कर्मियों द्वारा प्रताड़ित किया जाता है. उनका निबंधन नहीं किया जाता है. मजबूरी में ऐसे मरीज वापस लौट जाते हैं या फिर मजबूर होकर अधिक राशि देकर निबंधन करते हैं. वरिष्ठ नागरिकों के लिए सरकार ने निबंधन शुल्क में छूट दिया है. उनका निबंधन शुल्क नहीं लगता है. जबकि सदर अस्पताल में निबंधन काउंटर वाले कर्मियों द्वारा उनसे भी निबंधन शुल्क लिया जाता है. ग्रामीण क्षेत्र से पहुंचे मरीजों के साथ तो और भी बदसलूकी की जाती है.

वर्षों से चल रही है यह मनमानी :

सदर अस्पताल में अधिक निबंधन शुल्क लेने का कर्मियों की मनमानी वर्षों से चल रहा है. इस पर रोक नहीं लगाई जा रही है. मरीज सदर अस्पताल में सस्ता इलाज होने की आस में पहुंचते हैं. जबकि यहां पहुंचने पर उन्हें अलग ही अनुभव मिलता है. उन्हें अनावश्यक अपनी जेब ढीली करनी पड़ती है इससे सभी मरीजों खासकर गरीब मरीजों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

आरा.

जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में कर्मियों की मनमानी चरम पर है. इस मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. जबकि सरकार मरीजों को सरकारी अस्पतालों में कई तरह की सुविधाएं देने का दावा करती है. इन दावों का हवा अस्पताल के कर्मी ही निकाल दे रहे हैं. ऐसे कर्मियों का मनोबल इतना ऊंचा रहता है कि इन्हें किसी भी तरह की कार्रवाई या विरोध का भय नहीं रहता है.

निर्धारित निबंधन शुल्क दो रुपये की जगह लिया जा रहा है 15 से 20 रुपये :

अस्पताल में मनमानी एवं कुव्यवस्था का आलम यह है कि अपने इलाज के लिए निबंधन करानेवाले मरीजों से निबंधन काउंटर पर कार्यरत कर्मियों द्वारा सरकार द्वारा निर्धारित निबंधन शुल्क दो रुपये की जगह 15 से 20 रुपये लिए जा रहे हैं. जो मरीज इसका विरोध करते हैं, उन्हें इन कर्मियों द्वारा प्रताड़ित किया जाता है. उनका निबंधन नहीं किया जाता है. मजबूरी में ऐसे मरीज वापस लौट जाते हैं या फिर मजबूर होकर अधिक राशि देकर निबंधन करते हैं. वरिष्ठ नागरिकों के लिए सरकार ने निबंधन शुल्क में छूट दिया है. उनका निबंधन शुल्क नहीं लगता है. जबकि सदर अस्पताल में निबंधन काउंटर वाले कर्मियों द्वारा उनसे भी निबंधन शुल्क लिया जाता है. ग्रामीण क्षेत्र से पहुंचे मरीजों के साथ तो और भी बदसलूकी की जाती है.

वर्षों से चल रही है यह मनमानी :

सदर अस्पताल में अधिक निबंधन शुल्क लेने का कर्मियों की मनमानी वर्षों से चल रहा है. इस पर रोक नहीं लगाई जा रही है. मरीज सदर अस्पताल में सस्ता इलाज होने की आस में पहुंचते हैं. जबकि यहां पहुंचने पर उन्हें अलग ही अनुभव मिलता है. उन्हें अनावश्यक अपनी जेब ढीली करनी पड़ती है इससे सभी मरीजों खासकर गरीब मरीजों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है.

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