21.1 C
Ranchi
Monday, February 10, 2025 | 08:13 pm
21.1 C
Ranchi
HomeBiharArrahउपलब्धता के बाद भी मरीजों को नहीं दी जा रही दवा

उपलब्धता के बाद भी मरीजों को नहीं दी जा रही दवा

- Advertisment -

आरा.

सदर अस्पताल में कर्मियों की मनमानी चरम पर है. इससे मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. सरकार मरीजों को अस्पतालों में कई तरह की सुविधाएं देने का दावा करती है, लेकिन स्थानीय स्तर पर विभाग के अधिकारी और कर्मी मनमानी करते हुए मरीजों को परेशान कर रहे हैं. हालिया मामला तो ऐसा आया है, जिसमें पीड़ित ने कहा कि अस्पताल में दवा रहते हमें बाहर से दवा खरीदने की बात कही गयी. दवा वितरण केंद्र के कर्मियों द्वारा बाहर से दवा खरीदने को मरीजों को किया जाता है मजबूर :दवा वितरण केंद्र के कर्मियों द्वारा मरीजों को दवा उपलब्ध कराने में काफी परेशान किया जाता है. उन्हें निर्धारित दवाई नहीं दी जाती हैं. कई दवाएं बाहर से खरीदने को कहा जाता है. मजबूरी में मरीज बाहर की दुकानों से दवा खरीद कर ले आता है. जब दवा वितरण केंद्र के कर्मियों को उस दवा को दिखाता है, तो कर्मियों द्वारा कहा जाता है कि इस कंपनी का नहीं, बल्कि कंपनी का नाम बता कर कहते हैं कि इस कंपनी की दवा लाएं. जबकि वह दवा काफी महंगी होती है. अब मरीजों को काफी आर्थिक क्षति उठानी पड़ती है. इसके बावजूद अधिकारियों द्वारा इसकी जांच नहीं की जाती है एवं इस पर कार्रवाई नहीं की जाती है.

डॉक्टर लिखते हैं जानबूझकर महंगी दवाइयां : सदर अस्पताल के डॉक्टर जानबूझकर दूसरी दवा लिखते हैं. जबकि सरकार ने आउटडोर पेशेंट एवं इंडोर पेशेंट के लिए अलग-अलग दवाएं निर्धारित की है. इतना ही नहीं केंद्र सरकार द्वारा सस्ती जेनरिक दवाएं मरीज को देने के लिए कहा गया है, पर सदर अस्पताल में ऐसा नहीं हो रहा है. डॉक्टरों की मनमानी चल रही है. सरकार द्वारा निर्धारित दवाओं से अलग हटकर मरीजों को 3 से 4 दवाएं लिखी जाती हैं.

दवा वितरण केंद्र पर डॉक्टर की लिखी दवा रहने के बाद भी मरीज से बाहर से खरीदने को कहा जा रहा : हालात यह है कि एक तरफ डॉक्टर मनमानी करते हैं, तो दूसरी तरफ उनके द्वारा लिखे पुर्जे में लिखी दवाओं में से भी कुछ दवा इनके द्वारा बाहर से लाने को कही जाती है. जबकि वे दवाएं अस्पताल में मौजूद रहती हैं. इसमें कर्मियों की कमाई अच्छी होती है.

निर्धारित हैं सरकार की दवायां : मरीजों के लिए सरकार द्वारा सरकारी अस्पताल में दवाओं को निर्धारित किया गया है. वहीं, स्टॉक रजिस्टर प्रतिदिन चेक किया जाता है. फिर दवाएं समाप्त होने के एक सप्ताह पहले ही सदर अस्पताल प्रबंधन द्वारा विभाग से दवाओं की मांग क्यों नहीं की जाती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

आरा.

सदर अस्पताल में कर्मियों की मनमानी चरम पर है. इससे मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. सरकार मरीजों को अस्पतालों में कई तरह की सुविधाएं देने का दावा करती है, लेकिन स्थानीय स्तर पर विभाग के अधिकारी और कर्मी मनमानी करते हुए मरीजों को परेशान कर रहे हैं. हालिया मामला तो ऐसा आया है, जिसमें पीड़ित ने कहा कि अस्पताल में दवा रहते हमें बाहर से दवा खरीदने की बात कही गयी. दवा वितरण केंद्र के कर्मियों द्वारा बाहर से दवा खरीदने को मरीजों को किया जाता है मजबूर :दवा वितरण केंद्र के कर्मियों द्वारा मरीजों को दवा उपलब्ध कराने में काफी परेशान किया जाता है. उन्हें निर्धारित दवाई नहीं दी जाती हैं. कई दवाएं बाहर से खरीदने को कहा जाता है. मजबूरी में मरीज बाहर की दुकानों से दवा खरीद कर ले आता है. जब दवा वितरण केंद्र के कर्मियों को उस दवा को दिखाता है, तो कर्मियों द्वारा कहा जाता है कि इस कंपनी का नहीं, बल्कि कंपनी का नाम बता कर कहते हैं कि इस कंपनी की दवा लाएं. जबकि वह दवा काफी महंगी होती है. अब मरीजों को काफी आर्थिक क्षति उठानी पड़ती है. इसके बावजूद अधिकारियों द्वारा इसकी जांच नहीं की जाती है एवं इस पर कार्रवाई नहीं की जाती है.

डॉक्टर लिखते हैं जानबूझकर महंगी दवाइयां : सदर अस्पताल के डॉक्टर जानबूझकर दूसरी दवा लिखते हैं. जबकि सरकार ने आउटडोर पेशेंट एवं इंडोर पेशेंट के लिए अलग-अलग दवाएं निर्धारित की है. इतना ही नहीं केंद्र सरकार द्वारा सस्ती जेनरिक दवाएं मरीज को देने के लिए कहा गया है, पर सदर अस्पताल में ऐसा नहीं हो रहा है. डॉक्टरों की मनमानी चल रही है. सरकार द्वारा निर्धारित दवाओं से अलग हटकर मरीजों को 3 से 4 दवाएं लिखी जाती हैं.

दवा वितरण केंद्र पर डॉक्टर की लिखी दवा रहने के बाद भी मरीज से बाहर से खरीदने को कहा जा रहा : हालात यह है कि एक तरफ डॉक्टर मनमानी करते हैं, तो दूसरी तरफ उनके द्वारा लिखे पुर्जे में लिखी दवाओं में से भी कुछ दवा इनके द्वारा बाहर से लाने को कही जाती है. जबकि वे दवाएं अस्पताल में मौजूद रहती हैं. इसमें कर्मियों की कमाई अच्छी होती है.

निर्धारित हैं सरकार की दवायां : मरीजों के लिए सरकार द्वारा सरकारी अस्पताल में दवाओं को निर्धारित किया गया है. वहीं, स्टॉक रजिस्टर प्रतिदिन चेक किया जाता है. फिर दवाएं समाप्त होने के एक सप्ताह पहले ही सदर अस्पताल प्रबंधन द्वारा विभाग से दवाओं की मांग क्यों नहीं की जाती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, दुनिया, बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस अपडेट, टेक & ऑटो, क्रिकेट राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां.

- Advertisment -

अन्य खबरें

- Advertisment -
ऐप पर पढें