Surya Grahan kitne baje lagega, se hoga: कल लगाने वाला सूर्य ग्रहण इस साल का सबसे लंबा सूर्य ग्रहण होगा. यह सूर्यग्रहण लोगों को काफी कुछ दे जाएगा. इसमें कुछ गर्भवती महिलाओं को परेशानियां होगी. यह ग्रहण इतना लंबा होगा कि कई घंटे पृथ्वी पर रात जैसा अंधेरा छाया रहेगा. इस साल का सबसे लंबा और पहला सूर्य ग्रहण कल लगेगा. यह सूर्य ग्रहण करीब 6 घंटे का होगा. भारतीय समयानुसार यह सूर्य ग्रहण सुबह 09:15 पर शुरू होगा और 03:04 बजे खत्म होगा. सूर्य ग्रहण दोपहर 12:10 बजे अपने चरम पर होगा. करीब 6 घंटे के लम्बे समय तक दिन में भी पृथ्वी पर रात जैसा अंधेरा रहेगा क्योंकि सूर्य ग्रहण लगने से सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर नहीं आएगा और अंधेरा रहेगा. सूतक काल के समय गर्भवती महिलाओं को चाकू, छूरी, सिलाई-कटाई भूल कर भी नहीं करना चाहिए. वहीं सूतक काल के समय तुलसी नहीं छूना चाहिए. ये करने से काफी नुकसान पहुंचता है.

कैसे लगता है सूर्य ग्रहण

पृथ्वी हमारे सौर मंडल का एक ग्रह है. पृथ्वी सूर्य के चारों और चक्कर लगाती है. जबकि चंद्रमा पृथ्वी के चारों और चक्कर लगाता है. जब चंद्रमा घूमते घूमते सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है तो वह सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक नहीं पहुंचने देता. इस लिए सूर्य का प्रकाश हम तक नहीं पहुंच पाता और सूर्य हमें दिखाई नहीं देता. इसे सूर्य ग्रहण कहते है. संक्षेप में कहें तो सूर्य और पृथ्वी के मध्य जब चंद्रमा आ जाता है तो सूर्य ग्रहण होता है.

सूर्यग्रहण का प्रभाव

ज्योतिष के अनुसार सूर्य ग्रहण एक महत्त्वपूर्ण खगोलीय घटना है. इसका प्रभाव देश दुनिया के साथ साथ मानव जीवन एवं अन्य जीवों पर भी पड़ता है. मानव जीवन पर ये प्रभाव मुख्य रूप से दो प्रकार से पड़ता है. एक सकारात्मक और दूसरा नकारात्मक, मानव जीवन पर यह प्रभाव उनके राशि में विद्यमान ग्रह, नक्षत्र की स्थिति के अनुसार होता है. इस सूर्य ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव जिन राशियों पर पड़ता है. उनके जातकों को इसे दूर करने के लिए कुछ विशेष पूजा करनी चाहिए. इससे इस ग्रहण का दुष्प्रभाव कम या ख़त्म हो जाता है.

ग्रहण से बचने के लिए करना होगा विशेष पूजा

सूर्यग्रहण के समय सूर्य मंत्र का जाप करें: सूर्य ग्रहण लगने और खत्म होने के दौरान लोगों को सूर्य मंत्र सहित निम्नलिखित मंत्रो का जाप करना चाहिए.

इन मंत्रों का करें जाप: सूर्य मंत्र: ‘ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ’ के अलावा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’