घर पर कहां नहीं बनाएं ॐ का निशान, हो सकता है बड़ा नुकसान
Ravi Pradosh Vrat Katha 2024: आज 15 सितंबर को प्रदोष व्रत रखा जा रहा है. रविवार को प्रदोष व्रत पड़ने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत कहते हैं. प्रदोष व्रत कथा का पाठ करने से भोले शंकर की विशेष कृपा बरसती है और भोलेनाथ की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. यहां जानें इस दिन किस कथा का पाठ करें
रवि प्रदोष व्रत कथा
एक ग्राम में एक दीन-हीन ब्राह्मण रहता था. उसकी धर्मनिष्ठ पत्नी प्रदोष व्रत करती थी. उनके एक पुत्र था. एक बार वह पुत्र गंगा स्नान को गया. दुर्भाग्य से मार्ग में उसे चोरों ने घेर लिया और डराकर उससे पूछने लगे कि उसके पिता का गुप्त धन कहां रखा है. बालक ने बताया कि वे अत्यन्त निर्धन और दुःखी हैं . उनके पास गुप्त धन कहां से आया. चोरों ने उसकी हालत पर तरस खाकर उसे छोड़ दिया. बालक अपनी राह हो लिया. चलते-चलते वह थक गया और बरगद के एक वृक्ष के नीचे सो गया. तभी इस शहर की पुलिस चोरों की तलाश में उस ओर आ गई. उसने ब्राह्मण बालक को चोर समझकर पकड़ लिया और राजा के पास ले आया.राजा ने उसकी बात सुने बिना ही उसे कारागार में डाल दिया.जब ब्राह्मणी का पुत्र घर नहीं लौटा तो वह बहुत चिंतित हो गयी.अगले दिन प्रदोष व्रत था. ब्राह्मणी को तुरंत प्रदोष का ध्यान आया और वह मन ही मन अपने पुत्र की सलामती के लिए भगवान शंकर से प्रार्थना करने लगी.उसी रात राजा को स्वप्न आया कि बालक निर्दोष है.यदि उसे नहीं छोड़ा गया तो तुम्हारा राज्य और वैभव नष्ट हो जाएगा. सुबह जागते ही राजा ने बालक को बुलवाया . बालक ने राजा को सच्चाई बताई . राजा ने उसके माता-पिता को दरबार में बुलवाया . उन्हें भयभीत देख राजा ने मुस्कुराते हुए कहा- ‘तुम्हारा बालक निडर और निर्दोष है . तुम्हारी दरिद्रता के कारण हम तुम्हें पांच गांव दान में देते हैं .’ इस तरह ब्राह्मण आनन्द से रहने लगा. शिव जी की कृपा से उसकी दरिद्रता दूर हो गई.