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Masik Shivratri: आज है भादो की शिवरात्रि, जानिए व्रत के नियम, पूजा विधि और इसका महत्व

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Masik Shivratri Date 2020, Puja Vidhi: आज भादो की शिवरात्रि है. शिवरात्रि शिव और शक्ति के संगम का एक पर्व है. हिंदू पंचाग के अनुसार हर महीने कृष्ण पक्ष के 14वें दिन को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. यह पर्व न केवल उपासक को अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करने में मदद करता है, बल्कि उसे क्रोध, ईर्ष्या, अभिमान और लालच जैसी भावनाओं को रोकने में भी मदद करता है. मासिक शिवरात्रि हर महीने मनाई जाती है. शास्त्रों के अनुसार साप्ताहिक त्योहारों में भगवान शिव को सोमवार का दिन समर्पित किया गया है.

ऐसे तो साल में एक बार मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन इसके अलावा भी पूरे वर्ष में 12 शिवरात्रियां आती हैं जिन्हें प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाते हैं. हिन्दू धर्म में मासिक शिवरात्रि का अपना अलग ही महत्व है, जहां शिव के भक्त साल में एक बार बड़ी ही धूमधाम से महाशिवरात्रि मनाते हैं.

भोलेनाथ की आराधना में प्रत्येक महीने एक मासिक शिवरात्रि मनाने की भी परंपरा हैं. शिवरात्रि हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है जिसे न केवल 1 या 2 क्षेत्र के लोग मनाते हैं बल्कि पूरे देश भर में बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है. इस व्रत को महिला और पुरुष दोनों कर सकते है. श्रद्धालुओं को शिवरात्रि की रात को जाग कर शिव जी की पूजा करनी चाहिए. आइये जानते हैं मासिक शिवरात्रि पूजा विधि…

मासिक शिवरात्रि पूजा विधि

– मासिक शिवरात्रि वाले दिन आप सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लें.

– अब आप किसी मंदिर में जा कर भगवान शिव और उनके परिवार (पार्वती, गणेश, कार्तिक, नंदी) की पूजा करें.

– सबसे पहले आप शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, शुद्ध घी, दूध, शक़्कर, शहद, दही आदि से करें. ऐसी मान्यता है कि रुद्राभिषेक करने से भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं.

– अब आप शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं. ध्यान रहे कि बेलपत्र अच्छी तरह साफ़ किये होने चाहिए.

– अब आप भगवान शिव की धुप, दीप, फल और फूल आदि से पूजा करें.

– शिव पूजा करते समय आप शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें.

– संध्या के समय आप फलहार कर सकते हैं. उपासक को अन्न ग्रहण नही करना चाहिए.

– अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद अपना उपवास खोलें.

शिवरात्रि व्रत रखने का नियम

शिवरात्रि व्रत और उसका उद्यापन विधिवत तरीके से किया जाना चाहिए. शिवरात्रि के पूजन समय मध्य रात्रि के समय होता है. भगवान शिव की पूजा रात को 12 बजे के बाद करें और पूजा के समय श्री हनुमान चालीसा का पाठ भी करें. ऐसा करने से उपासक की आर्थिक परेशानी दूर होती हैं. यदि कोई भी सच्चे मन और पूरी निष्ठा से भगवान की पूजा और उनका स्मरण करेगा उसे मनोवांछित फल अवश्य प्राप्त होगा. इस दिन सफेद वस्तुओं का दान करने की अधिक महिमा होती है, जिससे आपके घर में कभी भी धन की कमी नहीं होगी. यह भी कहा जाता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन शिव पार्वती की पूजा व्यक्ति को हर तरह के कर्जों से मुक्ति दिलाती है.

News posted by : Radheshyam kushwaha

Masik Shivratri Date 2020, Puja Vidhi: आज भादो की शिवरात्रि है. शिवरात्रि शिव और शक्ति के संगम का एक पर्व है. हिंदू पंचाग के अनुसार हर महीने कृष्ण पक्ष के 14वें दिन को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. यह पर्व न केवल उपासक को अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करने में मदद करता है, बल्कि उसे क्रोध, ईर्ष्या, अभिमान और लालच जैसी भावनाओं को रोकने में भी मदद करता है. मासिक शिवरात्रि हर महीने मनाई जाती है. शास्त्रों के अनुसार साप्ताहिक त्योहारों में भगवान शिव को सोमवार का दिन समर्पित किया गया है.

ऐसे तो साल में एक बार मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन इसके अलावा भी पूरे वर्ष में 12 शिवरात्रियां आती हैं जिन्हें प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाते हैं. हिन्दू धर्म में मासिक शिवरात्रि का अपना अलग ही महत्व है, जहां शिव के भक्त साल में एक बार बड़ी ही धूमधाम से महाशिवरात्रि मनाते हैं.

भोलेनाथ की आराधना में प्रत्येक महीने एक मासिक शिवरात्रि मनाने की भी परंपरा हैं. शिवरात्रि हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है जिसे न केवल 1 या 2 क्षेत्र के लोग मनाते हैं बल्कि पूरे देश भर में बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है. इस व्रत को महिला और पुरुष दोनों कर सकते है. श्रद्धालुओं को शिवरात्रि की रात को जाग कर शिव जी की पूजा करनी चाहिए. आइये जानते हैं मासिक शिवरात्रि पूजा विधि…

मासिक शिवरात्रि पूजा विधि

– मासिक शिवरात्रि वाले दिन आप सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लें.

– अब आप किसी मंदिर में जा कर भगवान शिव और उनके परिवार (पार्वती, गणेश, कार्तिक, नंदी) की पूजा करें.

– सबसे पहले आप शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, शुद्ध घी, दूध, शक़्कर, शहद, दही आदि से करें. ऐसी मान्यता है कि रुद्राभिषेक करने से भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं.

– अब आप शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं. ध्यान रहे कि बेलपत्र अच्छी तरह साफ़ किये होने चाहिए.

– अब आप भगवान शिव की धुप, दीप, फल और फूल आदि से पूजा करें.

– शिव पूजा करते समय आप शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें.

– संध्या के समय आप फलहार कर सकते हैं. उपासक को अन्न ग्रहण नही करना चाहिए.

– अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद अपना उपवास खोलें.

शिवरात्रि व्रत रखने का नियम

शिवरात्रि व्रत और उसका उद्यापन विधिवत तरीके से किया जाना चाहिए. शिवरात्रि के पूजन समय मध्य रात्रि के समय होता है. भगवान शिव की पूजा रात को 12 बजे के बाद करें और पूजा के समय श्री हनुमान चालीसा का पाठ भी करें. ऐसा करने से उपासक की आर्थिक परेशानी दूर होती हैं. यदि कोई भी सच्चे मन और पूरी निष्ठा से भगवान की पूजा और उनका स्मरण करेगा उसे मनोवांछित फल अवश्य प्राप्त होगा. इस दिन सफेद वस्तुओं का दान करने की अधिक महिमा होती है, जिससे आपके घर में कभी भी धन की कमी नहीं होगी. यह भी कहा जाता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन शिव पार्वती की पूजा व्यक्ति को हर तरह के कर्जों से मुक्ति दिलाती है.

News posted by : Radheshyam kushwaha

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