Magh Purnima 2024: माघ मास में पड़ने वाली पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा कहते है. धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है. माघ पूर्णिमा के दिन सभी सरोवरों, तीर्थस्थानों और नदियों में शुद्धता पूर्वक स्नान करने की महत्ता बताई गई है. माघ पूर्णिमा 24 फरवरी 2024 को है, इसी दिन रविवदास जयंती और ललिता जयंती भी है. माघ पूर्णिमा व्रत कर घर में भगवान सत्यनारायण की पूजा और कथा का विशेष महत्व है. माघ पूर्णिमा के दिन प्रयागराज में माघ मेले का समापन होता है. माघ पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 23 फरवरी 2024 की शाम 3 बजकर 36 मिनट पर होगी. वहीं माघ पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 24 फरवरी की शाम 6 बजकर 3 मिनट पर होगी. पंचांग के अनुसार माघ पूर्णिमा व्रत 24 फरवरी को रखा जाएगा.

माघ पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

  • स्नान-दान मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 11 मिनट से सुबह 06 बजकर 02 मिनट तक
  • अभिजित मुहूर्त – दोपहर 12 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक
  • सत्यनारायण पूजा – सुबह 08 बजकर 18 मिनट से सुबह 9 बजकर 43 मिनट तक
  • चंद्रोदय समय – शाम 06 बजकर 12 मिनट पर
  • मां लक्ष्मी पूजा समय – प्रात: 12 बजकर 09 मिनट से रात 12 बजकर 59 मिनट तक

माघ पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि

  • माघ पूर्णिमा पर स्नान, दान, हवन, व्रत और जप किए जाते हैं.
  • भगवान विष्णु का पूजन पितरों का श्राद्ध और गरीब व्यक्तियों को दान देना चाहिए.
  • माघ पूर्णिमा के दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, कुआं या बावड़ी स्नान करना चाहिए.
  • स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य को अर्घ्य दें.
  • व्रत का संकल्प लेकर भगवान मधुसूदन की पूजा करनी चाहिए.
  • गरीब व्यक्ति और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान दक्षिणा जरुर देनी चाहिए.
  • इस दिन सफेद और काले तिल का विशेष रूप से दान देना चाहिए.
  • माघ मास में काले तिल में हवन और काले तिल से पितरों का तर्पण करना चाहिए.

माघ पूर्णिमा के दिन जरूर करें ये काम

माघ पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए?

माघी पूर्णिमा पर भक्तों को एक पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. स्नान के बाद सूर्य मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें. भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा अर्चना करें. गरीबों, जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन का दान करना चाहिए. माघ पूर्णिमा को व्रत रखने, दान करने और गरीबों को भोजन कराने के लिए एक शुभ दिन माना जाता है. दान भोजन, वस्त्र, घी, फल और गुड़ के रूप में किया जाता है.