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Hariyali Teej 2020 Date, Puja Vidhi, Timings: मां पार्वती और शिव के पुनर्मिलन का दिन है हरियाली तीज, जानिए महत्व, पूजा विधि और कथा

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लाइव अपडेट

आज बहनों और बहुओं को दिया जाता है सिंघारा

कल हरियाली तीज है. आज महिलाएं अपने हाथों में मेहंदी रचाती है. इसके बाद कल व्रत रखेंगी. इस दौरान घेवर, फेनी और सेवईयों का प्रचलन अधिक है. तीज से एक दिन पहले बहनों और बहुओं को सिंघारा दिया जाता है. इसमें वस्त्र, सौभाग्य सामग्री, घेवर, फेनी, फल आदि झूल-पटरी शामिल होता है. हरियाली तीज को ठाकुरजी को भी मालपुओं का भोग निवेदित किया जाता है.

हरियाली तीज का धार्मिक महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, कहा जाता है कि हरियाली तीज के दिन सावन में भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था. इसका वर्णन शिवपुराण में भी मिलता है, इसलिए इस दिन सुहागिन महिलाएं मां पार्वती और शिवजी की आराधना करती हैं, जिससे उनका दांपत्य जीवन खुशहाल बना रहे. उत्तर भारत के राज्यों में तीज का पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. अच्छे वर की प्राप्ति के लिए कुंवारी कन्याएं भी इस दिन व्रत कर सकती हैं.

इस मंत्र का करें जाप

सुबह उठ कर स्‍नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद मन में पूजा करने का संकल्प लें और 'उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये' मंत्र का जाप करें. पूजा शुरू करने से पूर्व काली मिट्टी से भगवान शिव और मां पार्वती तथा भगवान गणेश की मूर्ति बनाएं. फिर थाली में सुहाग की सामग्रियों को सजा कर माता पार्वती को अर्पण करें. ऐसा करने के बाद भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाएं. उसके बाद तीज की कथा सुने या पढ़ें.

जानिए क्यों मनाई जाती है हरियाली तीज

भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने 107 जन्म लिए थे. धार्मिक मान्यता है कि मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108वें जन्म में भगवान शिव ने देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया. तभी से इस व्रत की शुरुआत हुई. इस दिन जो सुहागन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं, उनका सुहाग लंबे समय तक बना रहता है.

हरियाली तीज को क्यों कहा जाता है कजली तीज

राजस्थान में तीज धूमधाम से मनाया जाता है. इस पर्व को ऋतु उत्सव के रूप में मनाते है. आसमान में काली घटाओं के कारण इस पर्व को कजली तीज और हरियाली के कारण हरियाली तीज के नाम से पुकारते हैं. इस तीज-त्योहार पर राजस्थान में झूले लगते हैं और नदियों के तटों पर मेलों का आयोजन होता है. इस त्योहार के आस-पास खेतों में खरीफ फसलों की बुआई भी शुरू हो जाती है. इस बार कोरोना वायरस के कारण आयोजन नहीं होंगे.

हरियाली तीज पूजा मंत्र

देहि सौभाग्य आरोग्यं देहि मे परमं सुखम्।

पुत्रान देहि सौभाग्यम देहि सर्व।

कामांश्च देहि मे।।

Haryali Teej 2020: हरियाली तीज सावन माह शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाई जाती है. इस बार हरियाली तीज 23 जुलाई गुरुवार के दिन पड़ रही है. यह पर्व विशेषकर सुहागिन महिलाओं के द्वारा मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं. सावन के झूलों में झूला झूलती हैं. मान्यता के अनुसार, हरियाली तीज का व्रत करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस दिन मां पार्वती और शिव जी की पूजा करने का विधान है. हरियाली तीज में महिलाएं एकसाथ मिलकर भजन व लोक गीत गाती हैं. कहा जाता है कि हरियाली तीज का व्रत करवा चौथ से भी ज्यादा कठिन होता है. महिलाएं पूरा दिन बिना भोजन और जल के ग्रहण किए रहती हैं. कल हरियाल तीज है, आइए जानते पूजा विधि के बारे में...

हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त

श्रावण तृतीया आरम्भ: 22 जुलाई शाम 7 बजकर 23 मिनट

श्रावण तृतीया समाप्त: 23 जुलाई शाम 5 बजकर 4 मिनट तक

हरियाली तीज व्रत विधि

- हरियाली तीज के दिन सुबह उठ कर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.

- उसके बाद भगवान के समक्ष मन में पूजा, व्रत करने का संकल्प लें.

- पूरे घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करने के बाद तोरण से मंडप सजाएं.

- एक चौकी या पटरी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश, माता पार्वती की प्रतिमा के साथ उनकी सखियों की प्रतिमा भी बनाएं.

- शृंगार का सामान माता पार्वती को अर्पित करें, फिर प्रतिमाओं के सम्मुख आवाह्न करें.

- माता-पार्वती, शिव जी और उनके साथ गणेश जी की पूजा करें.

- शिव जी को वस्त्र अर्पित करें और हरियाली तीज की कथा सुनें.

हरियाली तीज से एक दिन पहले महिलाएं हाथों में रचाती है मेहंदी

हरियाली तीज से एक दिन पहले महिलाएं अपने हाथों में मेहंदी रचाती है. कहा जाता है कि हरियाली तीज के दिन ही भगवान शिव ने देवी पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया था, इसलिए इस दिन महिलाएं व्रत करके मां पार्वती और भोलेनाथ से अटल सुहाग की कामना करती हैं. मां पार्वती ने भगवान शिव को मनाने के लिए अपने हाथों में मेंहदी रचाई थी. मां पार्वती की हथेली में रची मेहंदी को देखकर भगवान शिव बेहद प्रसन्न हुए और उन्हें स्वीकार कर लिया. इस लिए महिलाएं इस दिन मेहंदी हाथों में रचाती है.

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आज बहनों और बहुओं को दिया जाता है सिंघारा

कल हरियाली तीज है. आज महिलाएं अपने हाथों में मेहंदी रचाती है. इसके बाद कल व्रत रखेंगी. इस दौरान घेवर, फेनी और सेवईयों का प्रचलन अधिक है. तीज से एक दिन पहले बहनों और बहुओं को सिंघारा दिया जाता है. इसमें वस्त्र, सौभाग्य सामग्री, घेवर, फेनी, फल आदि झूल-पटरी शामिल होता है. हरियाली तीज को ठाकुरजी को भी मालपुओं का भोग निवेदित किया जाता है.

हरियाली तीज का धार्मिक महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, कहा जाता है कि हरियाली तीज के दिन सावन में भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था. इसका वर्णन शिवपुराण में भी मिलता है, इसलिए इस दिन सुहागिन महिलाएं मां पार्वती और शिवजी की आराधना करती हैं, जिससे उनका दांपत्य जीवन खुशहाल बना रहे. उत्तर भारत के राज्यों में तीज का पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. अच्छे वर की प्राप्ति के लिए कुंवारी कन्याएं भी इस दिन व्रत कर सकती हैं.

इस मंत्र का करें जाप

सुबह उठ कर स्‍नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद मन में पूजा करने का संकल्प लें और 'उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये' मंत्र का जाप करें. पूजा शुरू करने से पूर्व काली मिट्टी से भगवान शिव और मां पार्वती तथा भगवान गणेश की मूर्ति बनाएं. फिर थाली में सुहाग की सामग्रियों को सजा कर माता पार्वती को अर्पण करें. ऐसा करने के बाद भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाएं. उसके बाद तीज की कथा सुने या पढ़ें.

जानिए क्यों मनाई जाती है हरियाली तीज

भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने 107 जन्म लिए थे. धार्मिक मान्यता है कि मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108वें जन्म में भगवान शिव ने देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया. तभी से इस व्रत की शुरुआत हुई. इस दिन जो सुहागन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं, उनका सुहाग लंबे समय तक बना रहता है.

हरियाली तीज को क्यों कहा जाता है कजली तीज

राजस्थान में तीज धूमधाम से मनाया जाता है. इस पर्व को ऋतु उत्सव के रूप में मनाते है. आसमान में काली घटाओं के कारण इस पर्व को कजली तीज और हरियाली के कारण हरियाली तीज के नाम से पुकारते हैं. इस तीज-त्योहार पर राजस्थान में झूले लगते हैं और नदियों के तटों पर मेलों का आयोजन होता है. इस त्योहार के आस-पास खेतों में खरीफ फसलों की बुआई भी शुरू हो जाती है. इस बार कोरोना वायरस के कारण आयोजन नहीं होंगे.

हरियाली तीज पूजा मंत्र

देहि सौभाग्य आरोग्यं देहि मे परमं सुखम्।

पुत्रान देहि सौभाग्यम देहि सर्व।

कामांश्च देहि मे।।

Haryali Teej 2020: हरियाली तीज सावन माह शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाई जाती है. इस बार हरियाली तीज 23 जुलाई गुरुवार के दिन पड़ रही है. यह पर्व विशेषकर सुहागिन महिलाओं के द्वारा मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं. सावन के झूलों में झूला झूलती हैं. मान्यता के अनुसार, हरियाली तीज का व्रत करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस दिन मां पार्वती और शिव जी की पूजा करने का विधान है. हरियाली तीज में महिलाएं एकसाथ मिलकर भजन व लोक गीत गाती हैं. कहा जाता है कि हरियाली तीज का व्रत करवा चौथ से भी ज्यादा कठिन होता है. महिलाएं पूरा दिन बिना भोजन और जल के ग्रहण किए रहती हैं. कल हरियाल तीज है, आइए जानते पूजा विधि के बारे में...

हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त

श्रावण तृतीया आरम्भ: 22 जुलाई शाम 7 बजकर 23 मिनट

श्रावण तृतीया समाप्त: 23 जुलाई शाम 5 बजकर 4 मिनट तक

हरियाली तीज व्रत विधि

- हरियाली तीज के दिन सुबह उठ कर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.

- उसके बाद भगवान के समक्ष मन में पूजा, व्रत करने का संकल्प लें.

- पूरे घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करने के बाद तोरण से मंडप सजाएं.

- एक चौकी या पटरी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश, माता पार्वती की प्रतिमा के साथ उनकी सखियों की प्रतिमा भी बनाएं.

- शृंगार का सामान माता पार्वती को अर्पित करें, फिर प्रतिमाओं के सम्मुख आवाह्न करें.

- माता-पार्वती, शिव जी और उनके साथ गणेश जी की पूजा करें.

- शिव जी को वस्त्र अर्पित करें और हरियाली तीज की कथा सुनें.

हरियाली तीज से एक दिन पहले महिलाएं हाथों में रचाती है मेहंदी

हरियाली तीज से एक दिन पहले महिलाएं अपने हाथों में मेहंदी रचाती है. कहा जाता है कि हरियाली तीज के दिन ही भगवान शिव ने देवी पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया था, इसलिए इस दिन महिलाएं व्रत करके मां पार्वती और भोलेनाथ से अटल सुहाग की कामना करती हैं. मां पार्वती ने भगवान शिव को मनाने के लिए अपने हाथों में मेंहदी रचाई थी. मां पार्वती की हथेली में रची मेहंदी को देखकर भगवान शिव बेहद प्रसन्न हुए और उन्हें स्वीकार कर लिया. इस लिए महिलाएं इस दिन मेहंदी हाथों में रचाती है.

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