Sankashti Chaturthi 2024: सनातन धर्म में संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है. हर महीने की चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेश को समर्पित है. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी विनायक चतुर्थी कहलाती है, इस दिन लोग सुख, शांति और समृद्धि के लिए गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करते हैं. भगवान गणेश भक्तों के लिए विघ्नहर्ता माने जाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. आइए जानते हैं फाल्गुन माह की संकष्टी चतुर्थी तिथि, पूजा विधि के बारे में…

कब है फाल्गुन मास की संकष्टी चतुर्थी?

पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 28 फरवरी को देर रात 1 बजकर 53 मिनट पर हो रही है, इसका समापन अगले दिन 29 फरवरी को सुबह 4 बजकर 18 मिनट पर होगा. संकष्टी चतुर्थी का व्रत 28 फरवरी दिन बुधवार को रखा जाएगा.

संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त

संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए दो शुभ मुहूर्त हैं. पहला शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 48 मिनट से लेकर सुबह 9 बजकर 41 मिनट तक है. वहीं दूसरा मुहूर्त शाम 4 बजकर 53 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 20 मिनट तक है, इन दोनों मुहूर्त में भगवान गणेश जी की पूजा करना शुभ रहेगा. वहीं 28 फरवरी को चंद्रमा का उदय रात 9 बजकर 42 मिनट पर होगा.

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

संकष्टी चतुर्थी पूजा सामग्री लिस्ट

संकष्टी चतुर्थी की पूजा के लिए लकड़ी की चौकी, पीला कपड़ा, जनेऊ, सुपारी, पान का पत्ता, लौंग, इलायची, गंगाजल, गणपति की मूर्ति, लाल फूल, 21 गांठ दूर्वा, रोली, मेहंदी, सिंदूर, अक्षत, हल्दी, मौली, इत्र, अबीर, गुलाल, गाय का धी, दीप, धूप, 11 या 21 तिल के लड्डू, मोदक, मौसमी फल, सकट चौथ व्रत कथा की पुस्तक, चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए दूध, गंगाजल, कलश, चीनी आदि चीजों की आवश्यकता होगी.

संकष्टी चतुर्थी महत्व

सनातन धर्म में संकष्टी चतुर्थी को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, इस व्रत को सभी कार्यों में सिद्धि प्राप्ति के लिए अचूक माना गया है. संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश और चंद्रमा की उपासना की जाती है. मान्यता है कि इस दिन गणपति की उपासना करने से जीवन के संकट टल जाते हैं, जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है उसकी संतान संबंधी समस्याएं दूर होती हैं. धन और कर्ज संबंधी समस्याओं का भी समाधान होता है.