16.1 C
Ranchi
Tuesday, February 11, 2025 | 07:43 am
16.1 C
Ranchi
HomeReligionखुशहाल अस्तित्व जरूरी

खुशहाल अस्तित्व जरूरी

- Advertisment -

बच्चे कुदरती तौर पर खुशमिजाज होते हैं और वे आबादी का ऐसा हिस्सा हैं, जिनके साथ काम करना सबसे आसान होता है. तो फिर सवाल है कि पढ़ाने के लिए माहौल को खुशनुमा बनाना एक मुश्किल काम क्यों हो जाता है? आज हमारे पास ऐसे कई वैज्ञानिक और चिकित्सकीय प्रमाण मौजदू हैं, जिनसे साबित होता है कि अगर आप एक खुशनुमा माहौल में होते हैं, तो आपका शरीर व दिमाग सर्वश्रेष्ठ तरीके से काम करता है.

अगर आप एक भी पल बिना उत्तेजना, चिड़चिड़ाहट, चिंता, बैचेनी या गुस्से के रहते हैं, अगर आप सहज रूप से खुश रहते हैं, तो कहा जाता है कि बुद्धि का इस्तेमाल करने की आपकी क्षमता एक ही दिन में सौ फीसदी बढ़ सकती है. आपका खुशहाल व्यक्तित्व आपकी बोध की उच्च क्षमता और कामकाज के लिए अधिक सक्षम बनाता है. जब तक आप खुद खुशमिजाज नहीं होंगे, तब तक आप किसी और को खुश रहने के लिए प्रेरित नहीं कर सकते. जीवन में बहुत सारे ‘लेकिन’ हैं.

अगर हम अपने जीवन से इन सारे ‘लेकिन’ को लात मार कर बाहर निकाल दें, तो शिक्षा का खुशनुमा माहौल बनाना एक स्वाभाविक प्रक्रिया हो जायेगी. अगर हम खुशमिजाज हैं, तो हम जो भी करेंगे, जो भी बनायेंगे, जिसकी भी रचना करेंगे, उसमें यह खूबी दिखेगी. फिलहाल हम सबसे बड़ी गलती यह कर रहे हैं कि हम बहुत ज्यादा लक्ष्य-केंद्रित हो गये हैं, जो चीजों को करने का पश्चिमी तरीका है. हम सबसे बड़ा आम तो चाहते हैं, लेकिन हमारी दिलचस्पी पेड़ में नहीं, मिट्टी में तो बिलकुल नहीं है. योग में हम कहते हैं कि अगर आपकी एक आंख लक्ष्य पर है, तो अपना मार्ग तलाशने के लिए आपके पास सिर्फ एक आंख बचती है, जो कि बिल्कुल बेअसर तरीका होगा. चाहे कोई विद्यार्थी हो या कोई कारोबारी, चाहे देश चलाना हो या दुनिया के अन्य सभी काम, जब हम बहुत ज्यादा लक्ष्य-केंद्रित हो जाते हैं, तो बस अंतिम नतीजा महत्वपूर्ण हो जाता है, जीवन नहीं. हम यह देखने से चूक जाते हैं कि जीवन का अंतिम नतीजा तो बस मृत्यु है. हम चाहे जो भी काम करें, चाहे उसका जो भी नतीजा निकले, हमारा मुख्य फोकस इस बात पर होना चाहिए कि हम उस काम को सबसे सुंदर तरीके से कैसे करें.

– सद्गुरु जग्गी वासुदेव

बच्चे कुदरती तौर पर खुशमिजाज होते हैं और वे आबादी का ऐसा हिस्सा हैं, जिनके साथ काम करना सबसे आसान होता है. तो फिर सवाल है कि पढ़ाने के लिए माहौल को खुशनुमा बनाना एक मुश्किल काम क्यों हो जाता है? आज हमारे पास ऐसे कई वैज्ञानिक और चिकित्सकीय प्रमाण मौजदू हैं, जिनसे साबित होता है कि अगर आप एक खुशनुमा माहौल में होते हैं, तो आपका शरीर व दिमाग सर्वश्रेष्ठ तरीके से काम करता है.

अगर आप एक भी पल बिना उत्तेजना, चिड़चिड़ाहट, चिंता, बैचेनी या गुस्से के रहते हैं, अगर आप सहज रूप से खुश रहते हैं, तो कहा जाता है कि बुद्धि का इस्तेमाल करने की आपकी क्षमता एक ही दिन में सौ फीसदी बढ़ सकती है. आपका खुशहाल व्यक्तित्व आपकी बोध की उच्च क्षमता और कामकाज के लिए अधिक सक्षम बनाता है. जब तक आप खुद खुशमिजाज नहीं होंगे, तब तक आप किसी और को खुश रहने के लिए प्रेरित नहीं कर सकते. जीवन में बहुत सारे ‘लेकिन’ हैं.

अगर हम अपने जीवन से इन सारे ‘लेकिन’ को लात मार कर बाहर निकाल दें, तो शिक्षा का खुशनुमा माहौल बनाना एक स्वाभाविक प्रक्रिया हो जायेगी. अगर हम खुशमिजाज हैं, तो हम जो भी करेंगे, जो भी बनायेंगे, जिसकी भी रचना करेंगे, उसमें यह खूबी दिखेगी. फिलहाल हम सबसे बड़ी गलती यह कर रहे हैं कि हम बहुत ज्यादा लक्ष्य-केंद्रित हो गये हैं, जो चीजों को करने का पश्चिमी तरीका है. हम सबसे बड़ा आम तो चाहते हैं, लेकिन हमारी दिलचस्पी पेड़ में नहीं, मिट्टी में तो बिलकुल नहीं है. योग में हम कहते हैं कि अगर आपकी एक आंख लक्ष्य पर है, तो अपना मार्ग तलाशने के लिए आपके पास सिर्फ एक आंख बचती है, जो कि बिल्कुल बेअसर तरीका होगा. चाहे कोई विद्यार्थी हो या कोई कारोबारी, चाहे देश चलाना हो या दुनिया के अन्य सभी काम, जब हम बहुत ज्यादा लक्ष्य-केंद्रित हो जाते हैं, तो बस अंतिम नतीजा महत्वपूर्ण हो जाता है, जीवन नहीं. हम यह देखने से चूक जाते हैं कि जीवन का अंतिम नतीजा तो बस मृत्यु है. हम चाहे जो भी काम करें, चाहे उसका जो भी नतीजा निकले, हमारा मुख्य फोकस इस बात पर होना चाहिए कि हम उस काम को सबसे सुंदर तरीके से कैसे करें.

– सद्गुरु जग्गी वासुदेव

You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, दुनिया, बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस अपडेट, टेक & ऑटो, क्रिकेट राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां.

- Advertisment -

अन्य खबरें

- Advertisment -
ऐप पर पढें