17.1 C
Ranchi
Thursday, February 13, 2025 | 12:01 am
17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

शारदीय नवरात्र: शिव-शक्तियों से वरदान प्राप्त करने की वास्तविक विधि

Advertisement

अनु दीदीआदि शक्ति का क्या स्वरूप है? प्रश्न उठता है कि शक्तिओं ने क्यों और कैसे असुरों को मारा और शक्तिओं का अपना जन्म कैसे हुआ? नवरात्रि में जो शक्तियों की पूजा होती है उसका भी कुछ अर्थ है. दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती आदि देवियां जिनका कीर्तन करते समय लोग उनसे शक्ति तथा बुद्घि-बल मांगते […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

अनु दीदी
आदि शक्ति का क्या स्वरूप है?

प्रश्न उठता है कि शक्तिओं ने क्यों और कैसे असुरों को मारा और शक्तिओं का अपना जन्म कैसे हुआ? नवरात्रि में जो शक्तियों की पूजा होती है उसका भी कुछ अर्थ है. दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती आदि देवियां जिनका कीर्तन करते समय लोग उनसे शक्ति तथा बुद्घि-बल मांगते हैं वो कौन थीं? इस विषय में जानकारी के लिए नवरात्रि से संबंधित तीन मुख्य प्रसंग हैं जिनको कथा रूप में भक्त-जन सविस्तार सुनते हैं. एक आख्यान में कहा गया है कि पिछली चतुयरुगी के अंतिम चरण में जब विश्व का विनाश निकट था तब श्रीनारायण मोह निंद्रा में सोए हुए थे. तब ब्रrाजी के द्वारा आदि कन्या प्रकट हुई, जिसने मधु और कैटभ का नाश कर देवी देवताओं को मुक्त कराया. दूसरे आख्यान में कहा गया है कि त्रिदेव की शक्ति से एक कन्या के रूप में जो आदि शक्ति प्रकट हुई वह दिव्य अस्त्रों-शस्त्रों से सुसज्जित थी, त्रिनेत्री थी और अष्ट भुजाओं वाली थी. उसने महिषासुर का वध किया और देवी-देवताओं को मुक्त कराया. तीसरे आख्यान में कहा गया है कि शिव जी की शक्ति से आदि कुमारी प्रकट हुई और उसके विकराल रूप से काली प्रकट हुई. उसने चंड-मुंड का विनाश किया और फिर कालिका ने अपनी योगिनी शक्ति द्वारा धूम्रलोचन और रक्तबिंदु का भी विनाश किया. आदि शक्ति ने रक्तबिंदु का इस तरह विनाश किया कि उसका एक भी बिंदु अथवा बीज नहीं रहा. दुर्गा सप्तशती में ब्रह्माजी ने कहा है-

त्वमेव संध्या सावित्री त्वं देवि जननी परा।

त्वयैतद्घार्यते विश्वं त्वैतत्सृज्यते जगत्॥

त्वयैतत्पाल्यते देवि त्वमत्स्यन्ते च सर्वदा।

विसृष्टौ सृष्टिरूपा त्वं स्थितिरूपा च पालने॥

तथा संहृतिरूपान्ते जगतोअस्य जगन्मये।

महाविद्या महामाया महामेधा महास्मृति:॥

महामोहा च भवती महादेवी महासुरी।

प्रकृतिस्त्वं च सर्वस्य गुणत्रयविभाविनी॥

अर्थात् ‘देवी! तुम्ही संध्या, सावित्री तथा परम जननी हो. तुम्ही इस विश्व-ब्रह्मांड को धारण करती हो. तुमसे ही इस जगत की सृष्टि होती है. तुम्ही से इसका पालन होता है और सदा तुम्ही कल्प के अंत में सबको अपना ग्रास बना लेती हो. जगन्मयी देवी! इस जगत की उत्पति के समय तुम सृष्टिरूपा हो, पालन-काल में स्थितिरूपा हो तथा कल्पान्त के समय संहाररूप धारण करनेवाली हो. तुम्ही महाविद्या, महामाया, महामेधा, महास्मृति, महामोहरूपा, महादेवी और महासुरी हो. तुम्ही तीनो गुणों को उत्पन्न करनेवाली सबकी प्रकृति हो.

एवं स्तुता तदा देवी तामसी तत्र वेधसा।

विष्णो: प्रबोधनार्थाय निहंतुं मधुकैटभौ॥

नेत्रस्यनासिकाबाहुहृदयेभ्यस्तथोरस: ॥।

निर्गम्य दर्षने तस्थौ ब्रह्मणोअव्यक्तजन्मन:।

उत्तस्थौ च जगन्नाथस्तया मुक्तो जनार्दन:॥

तुम तो अपने इन उदार प्रभावों से ही प्रशंसित हो. ये जो दोनों दुर्घर्ष असुर मधु और कैटभ हैं, इनको मोह में डाल दो और विष्णु को शीघ्र ही जगा दो. साथ ही विष्णु के भीतर इन दोनों असुरों को मार डालने की बुद्धि उत्पन्न कर दो.

अत: दुर्गा सप्तशती में आदि शक्तियों के लिए वर्णित तीनों आख्यानों का वास्तविक भाव यह है कि पिछली चतुयरुगी के अंत में जब विनाश काल निकट था और सृष्टि पर अज्ञान तथा तमोगुण की प्रधानता हो गयी थी, तब राग और द्वेष जैसे विकारों ने उन नर-नारियों को जोकि सतयुग में दिव्यता संपन्न होने के कारण देवी-देवता कहलाते थे उनको अपना बंदी बना लिया था. यहां तक कि सतयुग के आरंभ में जो श्री नारायण थे वे भी कई जन्मों के पश्चात् मोह रूपी निंद्रा में विलीन हो गये थे. ऐसे धर्म-ग्लानि के समय कल्पान्त में परमपिता परमात्मा शिव ने त्रिदेव अथवा ब्रह्मा, विष्णु और महेश को रचकर भारत की कन्याओं को ज्ञान, योग तथा दिव्य गुणों रूपी शक्तियों से सुसज्जित किया.

यह ज्ञान ही उनका तीसरा नेत्र था और अंतमरुखता, सहनशीलता आदि दिव्य शक्तियां हीं उनकी अष्ट भुजाएं थीं. इन्हीं शक्तियों के कारण वे आदि शक्ति अथवा शिव शक्ति कहलायीं. इन आदि कुमारियों अथवा शक्तियों ने भारत के नर-नारियों को, जो कि कल्प के आरंभ अथवा सतयुग में देवी-देवता थे, उनका कलियुग के अंत समय में उत्साह बढ़ाया और आसुरी प्रवृत्तियों अर्थात् पांच विकारों के नाश का ज्ञान दिया. और ऐसा ज्ञान दिया कि पांच विकारों का बीज, अंश या बिंदु भी नहीं रहने दिया, जिससे संसार में आसुरीयता पनप सके. उन द्वारा ज्ञान दिये जाने के यादगार के रूप में आज नवरात्रियों के प्रारंभ में कलश की स्थापना की जाती है. उन द्वारा जगाए जाने की स्मृति में आज भक्तजन जागरण करते हैं तथा योग द्वारा आत्मिक प्रकाश किये जाने के कारण ही वे अखंड दीप जगाते हैं.

परंतु जन-जन को यह मालूम नहीं है कि अब पुन: कलियुग के अंत का समय चल रहा है और पुन: आसुरीयता तथा भ्रष्टाचार का बोलबाला है. तब परमपिता शिव पुन: कन्याओं को ज्ञान शक्ति देकर पुन: जन-जन की आत्मिक ज्योत जगा रहे हैं और आसुरीयता के अंत का कार्य करा रहे हैं. इसलिए हम सभी का कर्तव्य है कि हम केवल जयघोष या कर्मकांड में ही न लगे रहें बल्कि अपने मन में बैठे महिषासुर, मधु-कैटभ, रक्तबिंदु या धूम्रलोचन का नाश कर दें. शिव शक्तियां अथवा ब्रह्मापुत्रियां अथवा ब्रह्माकुमारियां ही आदि देवी कहलाती हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें