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शारदीय नवरात्र कल से, मंदिरों व पूजा पंडालों में कलश स्थापित कर की जायेगी मां की आराधना

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रांची : शारदीय नवरात्र गुरुवार से शुरू हो रहा है. इसकी तैयारी में लोग जुट गये हैं. गुरुवार को प्रात: सूर्योदय के बाद से ही कलश स्थापना व मां की आराधना शुरू हो जायेगी. गुरुवार को प्रतिपदा 9:58 बजे तक ही है. दिन के 12.37 से 1.25 बजे तक अभिजीत मुहूर्त है. यह भी कलश […]

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रांची : शारदीय नवरात्र गुरुवार से शुरू हो रहा है. इसकी तैयारी में लोग जुट गये हैं. गुरुवार को प्रात: सूर्योदय के बाद से ही कलश स्थापना व मां की आराधना शुरू हो जायेगी. गुरुवार को प्रतिपदा 9:58 बजे तक ही है.
दिन के 12.37 से 1.25 बजे तक अभिजीत मुहूर्त है. यह भी कलश स्थापना के लिए अच्छा मुहूर्त है. कलश स्थापना के बाद मां के पहले स्वरूप शैल पुत्री की पूजा की जायेगी अौर इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ होगा. इस दिन पूरे विधि-विधान से विभिन्न दुर्गा मंदिरों व पूजा पंडालों में कलश स्थापित कर मां की आराधना शुरू की जायेगी. इस बार मां का आगमन डोली पर हो रहा है और घोड़ा पर प्रस्थान करेंगी. वाराणसी पंचांग के अनुसार, इसका फल शुभ नहीं है. मां के घोड़े पर जाने से युद्ध व अत्यधिक वृष्टि खेती में क्षति होगी.
पूजा सामग्री
कलश, गेहूं , जौ, अक्षत,बालू, पंच पल्लव अथवा आम का पल्लव, ढक्कन,चंदन, द्रव्य,गंगाजल,पान पत्ता, कसेली, सर्व अौषधि,जटामासी, द्रव्य, वस्त्र,हल्दी, दूब,पंच रत्न, सप्तमृतिका, सर्वअौषधि, जनेऊ, दूब,गाय का गोबर, गौ मूत्र,पीला सरसों, चौकी, धूप,दीप,गुड़, मधु, लौंग, इलाइची, पंचमेवा, विल्वपत्र, फूल,फूल का माला, अबीर,गुलाल, मेंहदी,काजल,कमलगट्टा,भोजपत्र सहित अन्य सामाग्री.
किस दिन क्या है
21 सितंबर को प्रतिपदा, 22 को द्वितीय, 23 को तृतीया, 24 को चतुर्थी, 25 को पंचमी, 26 को षष्ठी, 27 को महासप्तमी, 28 को महा अष्टमी, 29 को महानवमी और 30 सितंबर को विजयादशमी है.
ऐसे करें मां की आराधना
मां दुर्गे की आराधना घर में कलश स्थापित कर या फिर बिना कलश स्थापना के भी की जा सकती है. कलश बैठाकर आराधना करने से भक्ति में अौर शक्ति मिलती है. क्योंकि, माता रानी सहित अन्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना इसी कलश पर आह्वान कर की जाती है. कलश की स्थापना आप स्वयं अथवा पंडित जी के माध्यम से करा सकते हैं.
यदि स्वयं कर रहे हैं, तो पास में एक सहयोगी रख लें, ताकि किसी तरह की कोई परेशानी न हो. पूजा शुरू करने से पूर्व माता रानी का ध्यान कर लें अौर पूरे मन के साथ उनका आह्वान करें. इसके बाद पीले सरसों का सभी दिशा में छिड़काव कर लें, ताकि पूजा के दौरान किसी भी तरह की बाधा न उत्पन्न हो.
इसके बाद संकल्प कर लें. इससे पूर्व यदि आप कलश बैठाना चाहते हैं, तो मां की तस्वीर के सामने मिट्टी व बालू मिला कर रख लें अथवा अपने सुविधानुसार इसे व्यवस्थित कर लें अौर उसमें गंगा जल का छिड़काव करते हुए हल्का-हल्का शुद्ध जल डाल कर माता रानी का स्मरण करते हुए जौ का छिड़काव कर दें. इसके बाद कलश को बैठा लें. इससे पूर्व कलश के अंदर जल सहित अन्य सामाग्री को डाल कर उसके ऊपर पंच पल्लव अथवा आम का पल्लव डाल कर ढक्कन रख दें अौर उसके ऊपर पीले अथवा लाल कपड़े में नारियल को लपेट कर रख दें.
इसके बाद सबसे पहले गणेश भगवान अौर उसके बाद सभी देवी-देवता का आह्वान कर पूजा-अर्चना कर लें. संभव हो तो कलश पर गाय के गोबर से गणेश जी की आकृति बना लें अौर उसकी पूजा-अर्चना कर लें. इसके बाद यदि आप अखंड दीप प्रज्जवलित करना चाहते हैं, तो प्रज्जवलित कर लें. ध्यान रहे कि यह दीप विसर्जन के पूर्व बुझना नहीं चाहिए. इस अखंड दीप में मां की शक्ति समाहित रहती है.
इसके बाद मां की आराधना कर लें व उनका श्रृंगार कर उन्हें फूल, पुष्प माला व प्रसाद सहित अन्य कुछ अर्पित करते हुए दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करें. दुर्गा सप्तशती का पूरा पाठ करने के बाद पुष्पांजलि अौर उसके बाद आरती कर लें. आरती सुबह के अलावा शाम में भी हर दिन नित्य रूप से करें. यदि आपके पास समय का अभाव है अौर आप पूरा पाठ नहीं कर पा रहे हैं, तो सिद्ध कुंजिका स्त्रोत, कवच ,अर्गला ,कील व नवार्ण मंत्र की एक माला व रात्रि सुक्त का पाठ कर एक से चार अध्याय का पाठ कर लें. इसके बाद देवी सुक्त का पाठ करें. क्षमा प्रार्थना कर आरती कर लें अौर प्रसाद का वितरण करें.
साफ-सफाई का रखें ध्यान
महालया होने के बाद भक्तों ने घर विशेष कर पूजा घर की साफ-सफाई शुरू कर दी है. रसोई घर की भी सफाई कर ली. अब पूरे नवरात्र तक अधिकतर घरों में सात्विक भोजन ही तैयार होगा अौर भगवान का प्रसाद भी तैयार होगा. इस कारण रसोई घर की शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जायेगा.
दुकानों में भीड़ रही
मंगलवार को कपड़ा, पूजा की दुकानों व मिट्टी के बर्तन की दुकानों में लोगों की भीड़ लगी रही. सभी लोग अपने पसंद व जरूरत के हिसाब से सामान की खरीदारी कर रहे थे. कई जगहों पर रंगीन कलश व दीये की खूब बिक्री हुई. वहीं फूलों की दुकानों में इसकी अग्रिम बुकिंग करायी गयी. फलों की दुकानों में भी खरीदारों की भीड़ लगी रही. भक्तों ने अपनी जरूरत के हिसाब से फलों की खरीदारी की.

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