Rakshabandhan 2023 Sukarma Yog: हर साल की भाति इस साल भी  रक्षाबंधन  का त्योहार को  लेकर बहुत ही संशय बना हुआ है. लोग भर्मित में पड़ गए है .कब इस त्योहार को मनाया जाये पंचांग के अनुसार यह त्योहार सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है यह त्योहार भाई -बहन के स्नेह की डोर में बांधने वाला त्योहार है, इस दिन बहन भाई के हाथ में रक्षा बंधती है तथा मंगल की कमाना के चंदन का टीका लगाती है.

रक्षाबंधन में राखी या रक्षा सूत्र का सबसे अधिक महत्व है रक्षाबंधन भाई -बहन  के रिश्ते का प्रसिद्ध त्योहार है. राखी सामान्तः बहने भाई को ही बंधती है परन्तु ब्राह्मणों गुरुओ और परिवार में छोटी लड़कियों  द्वारा समानित सम्बंधित के रूप में जैसे (पुत्री अपने पिता को ) प्रतिष्ठित व्यक्ति को राखी बंधी जाती है.

कैसे मिला भद्रा को शुभ कार्य करने से मनाही  

भद्रा में शुभ कार्य करना शुभ नहीं होता है.यह शनि की तरह कड़क है जन्म लेते ही भद्रा यज्ञ में विध्य -बाधा करने लगती है, मंगल कार्यो में बाधा उत्पन करती है, एक बार ब्रह्मा जी ने भद्रा से कहा की हे भद्रे बव, बालव , कौलव, आदि करण के अंत में निवास करो तथा भद्रा के दौरान  विवाह संस्कार ,मुंडन संस्कार ,यात्रा, यज्ञोपवीत,नया कार्य तथा रक्षा बंधन एवं मांगलिक कार्य  करे उसमे  में विध्न डालो इस तरह से उपदेश देकर ब्रह्मा जी अपने लोक चले गए उस समय से भद्रा काल में शुभ कार्य नहीं किया जाता है .

रक्षाबंधन के दिन कब से बन रहा है भद्रा योग 

भद्रा का शुरुआत 30 अगस्त 2023 दिन बुधवार सुबह 10 :13 मिनट से

भद्रा काल की समाप्ति 30 अगस्त 2023 दिन बुधवार रात्रि  08 :47 मिनट तक रहेगा. 

भद्रा का समय रक्षाबंधन करना निषिद्ध माना गया है सभी शुभ कायो के लिए भद्रा का त्याग करना चाहिए भद्रा के पूर्व -अर्ध भाग में व्याप्त रहती है अतः भद्रा काल में रक्षाबंधन नहीं करना  चाहिए यह समय शुभ कार्यो के लिए शुभ नहीं होता है

पूर्णिमा कब से है जाने समय क्या है

 पूर्णिमा तिथि का शुरुआत 30 अगस्त 2023 दिन बुधवार सुबह 10 :13 मिनट से .

पूर्णिमा तिथि का समाप्ति 31अगस्त 2023 दिन गुरुवार सुबह 07 :46 मिनट तक .

जाने क्या है रक्षाबंधन का शास्त्रीय नियम

शास्त्रीय नियम के अनुसार रक्षाबंधन और 30 अगस्त दिन बुधवार को रात्रि 08 :48 मिनट से रक्षाबंधन मनाया जायेगा जाएगा. जो अगले दिन यानि 31अगस्त 2023 दिन गुरुवार को सुबह 07:45 मिनट रक्षाबंधन किया जायेगा.धर्म सिंधु के अनुसार अपराह्न या प्रदोष व्यापिनी श्रावण शुक्ल रक्षाबंधन  मनाया जाता है. किंतु शर्त यह हैं कि उस समय भद्रा व्याप्त नही होनी चाहिए, उपरोक्त विवरण के अनुसार यह योग 30 अगस्त दिन बुधवार के रात में 8:48 मिनट के बाद  मिल रहा है उस समय  कर सकते है .

धर्मसिन्धु के अनुसार क्या है रक्षाबंधन का निर्णय

पूर्णिमायां भद्रारहितायां त्रिमुहुर्ताधिकोदय व्यापिन्यामपराह्ने प्रदोषे वा कार्यम्।

जैसा धर्मसिंधु में उल्लेख  है कि

भद्रायां द्वे न कर्तव्यम् श्रावणी फाल्गुनी वा। श्रावणी नृपतिं हन्ति,ग्रामों दहति फाल्गुनी।

अर्थात भद्रा काल में दो त्यौहार नहीं मनाने चाहिए.श्रावणी अर्थात रक्षाबंधन,भद्रा काल में रक्षाबंधन मनेगा तो राजा के लिए कष्टकारी है.

जाने रक्षाबंधन पर कंफ्जून क्यों बना हुआ है

रक्षाबंधन का त्योहार भाई -बहन के प्रेम का प्रतिक है लौकिक व्यवहार में रक्षा विधान हमेशा सुबह के समय अथवा दोपहर में होता है इसीलिए इस दिन में उदया तिथि ली जाती है इस बार इस तरह के कोई संयोग नहीं बन रहा है .इसलिए ऐसा कंफ्जून बना हुआ है . दूसरी कनफूजन यह है बहन अपने भाई के घर अपने ससुराल से आती है जो उनके रात्रि में आने जाने  को लेकर परेशानी होगा ऐसे लोग 31 अगस्त को रक्षाबंधन करे शास्त्रसमय अनुसार .  

राखी बांधने का मंत्र:

 येन बद्धो बलि राजा दानवेंद्रो महाबल:।

 तेनत्वां प्रति बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।

संजीत कुमार मिश्रा 

ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ 

8080426594/9545290847