26.4 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 04:32 pm
26.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

इश्क़ ने ”ग़ालिब” निकम्मा कर दिया ….

Advertisement

बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसाँ होना इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया वर्ना हम भी आदमी थे काम के जी हां यह कुछ पंक्तियां हैं, जो अकसर हमारे जुबां पर होती है और इन सदाबहार शेर के रचयिता हैं मिर्जा गालिब. मिर्ज़ा असदुल्लाह बेग ख़ान यानी […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना
आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसाँ होना
इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के

जी हां यह कुछ पंक्तियां हैं, जो अकसर हमारे जुबां पर होती है और इन सदाबहार शेर के रचयिता हैं मिर्जा गालिब. मिर्ज़ा असदुल्लाह बेग ख़ान यानी मिर्जा गालिब को शायरी की दुनिया का बेताज बादशाह माना जाता है. उनकी शायरी जीवन के हर मौके पर फिट हो जाती है. यही कारण है कि गालिब की शायरी आज भी लोगों के जुबां पर है, भले ही आज की पीढ़ी यह नहीं जानती कि उसे लिखने वाले कौन हैं. मुगल काल के अवसान काल में गालिब का दौर था. उनका जन्म 27 दिसंबर 1797 में आगरा में हुआ था, जबकि 71 वर्ष की आयु में 15 फरवरी 1869 को उनका देहांत हुआ था. उन्होंने एक से बढ़कर शेर और गजलें लिखीं. उनके जन्मदिन पर अर्ज है उनकी कुछ गजलें:-
1.
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक
2.
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है
3.
बस-कि दुश्वार है हर काम का आसां होना
आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसां होना
4.
दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ
5.
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है
6.
हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है
7.
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
8.
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
9.
काबा किस मुंह से जाओगे ‘ग़ालिब’
शर्म तुम को मगर नहीं आती
10.
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें