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नहीं रहा साहित्य जगत का एक सबल स्तंभ नंदकुमार ‘उन्मन’

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जमशेदपुर : प्रलय की विभीषिका में/ शीत झेलते/ नौका पर परंपरागत/ बीज को ढोते/ मैं मनुस्मृति नहीं गढ़ सकता / मुझे उगाने होंगे / घने अंधेरे में / चेतना के अंकुर / नष्ट करने होंगे / विषाणु से सड़े-गले / रूढ़िग्रस्त बीज ! नंदकुमार उन्मन के असामयिक निधन से रूढ़ियों का शिकार बन चुके परंपरागत […]

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जमशेदपुर
: प्रलय की विभीषिका में/ शीत झेलते/ नौका पर परंपरागत/ बीज को ढोते/ मैं मनुस्मृति नहीं गढ़ सकता / मुझे उगाने होंगे / घने अंधेरे में / चेतना के अंकुर / नष्ट करने होंगे / विषाणु से सड़े-गले / रूढ़िग्रस्त बीज !

नंदकुमार उन्मन के असामयिक निधन से रूढ़ियों का शिकार बन चुके परंपरागत चिंतन के दरकिनार कर नयी चेतना के अंकुर उगाने के दृढ़ निश्चय का यह चिंतन लेकर साहित्य सृजन में प्रवृत्त रहनेवाला नगर के साहित्य जगत का एक सबल स्तंभ अब नहीं रहा. संवेदनशील साहित्यकार, उच्च कोटि के गीतकार, समीक्षक एवं प्रबुद्ध चिंतक और सबसे ऊपर शरद ऋतु की नदी-से निर्मल व्यक्तित्व के धनी नंदकुमार उन्मन नगर के साहित्य जगत के अजातशत्रु थे. उनकी अबतक मात्र दो साहित्यिक कृतियां, सफे उदास हैं (गजल संग्रह) तथा सुनो कथावाचक (लंबी कविता) प्रकाशित हैं, जबकि उनकी इससे कई गुणा अधिक साहित्यिक कृतिया अभी अप्रकाशित हैं, जिनमें कविताएं, एकांकी, समीक्षा की पुस्तकें शामिल हैं.

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बिहार के शिवहर जिला के तरियानी छपरा गांव के मूल निवासी नंदकुमार सिंह ‘उन्मन’ का कर्मक्षेत्र मुख्य रूप से जमशेदपुर ही रहा, लेकिन उनकी साहित्यिक मेधा शहर और राज्य की सीमाएं लांघते हुए राष्ट्रीय फलक तक पहुंची और साहित्य संसार में समादृत भी हुई. जनवादी लेखक संघ से जुड़े ‘उन्मन’ वर्तमान में जनवादी लेखक संघ की सिंहभूम इकाई के अध्यक्ष के अलावा प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष एवं राष्ट्रीय समिति के सदस्य थे. इसके अलावा नगर की अनेक संस्थाओं से उनका संबंध रहा. आज मेहरबाई अस्पताल में निधन से पूर्व नगर के एक दर्जन से अधिक साहित्यकार उन्हें देखने और हालचाल जानने पहुंचे. सबने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की, लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था. आज उनसे मिलने पहुंचनेवालों में नगर के वरीय साहित्यकार दिनेश्वर प्रसाद सिंह ‘दिनेश’, मनोकामना सिंह अजय, राजदेव सिन्हा, श्यामल सुमन, उदय प्रताप हयात, चंद्रकांत, अशोक शुभदर्शी तता अन्य अनेक साहित्यकार शामिल थे.

आजादी से पूर्व जन्मे श्री उन्मन ने आजादी भी देखी और आजादी के बाद सुराज की धूप में भी आम जन की दुरवस्था भी, और इसी की पीड़ा उनके साहित्य का मूल स्वर बनती गयी.
नंदकुमार सिंह उन्मन
जन्म : तरियानी छपरा (शिवहर, बिहार) वर्ष 1942
निधन : मेहरबाई कैंसर अस्पताल, जमशेदपुर (23 अक्तूबर, 17)
प्रकाशित पुस्तकें
सफे उदास हैं (गजल संग्रह)
सुनो कथावाचक (लंबी कविता)
अप्रकाशित रचनाएं
प्रमेय (महाकाव्य) और किशनचंदर मर गया (एकांकी संग्रह) बबूल के साये में (गीत संग्रह) जीवन और जगत ही सत्य (वैचारिक निबंध संग्रह) रचनाकार की काव्य चेतना (समीक्षात्मक निबंध)
संपादन : निशांत (अर्धवार्षिक पत्रिका) संबद्धता : अध्यक्ष जनवादी लेखक संघ (सिंहभूम)Àउपाध्यक्ष : जलेस (प्रदेश इकाई) सदस्य केंद्रीय समिति : (जलेस) अध्यक्ष : निशांत (जमशेदपुर) अध्यक्ष : लोक सांस्कृतिक चेतना मंच, जमशेदपुर उपाध्यक्ष : बेनीपुरी साहित्य परिषद् (जमशेदपुर) संरक्षक : साहित्य सेवा समिति, (जमशेदपुर)

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