गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य
अन्नदाता किसानों का पूरे उत्साह के साथ अपने खेतों में पूरी क्षमता से पैदावार करना किसानों के साथ-साथ देश की आत्मनिर्भरता के लिए भी जरूरी है.
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केंद्र सरकार ने गेहूं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी में डेढ़ सौ रुपये वृद्धि की घोषणा की है. यह नरेंद्र मोदी सरकार के वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद से की गयी सबसे बड़ी वृद्धि है. बाजार वर्ष 2024-25 के लिए गेहूं की एमएसपी में सात प्रतिशत की वृद्धि कर इसे प्रति क्विंटल 2,275 रुपये घोषित किया गया है. भारत में किसानों के लिए गेहूं की अलग अहमियत है जो भारत में चावल के बाद दैनिक भोजन का सबसे जरूरी हिस्सा है. गेहूं की एमएसपी बढ़ाने की घोषणा से यह भी इशारा मिलता है कि सरकार अगले साल के लिए गेहूं का सुरक्षित भंडार बढ़ाना चाहती है ताकि अचानक उसकी कीमतों में कोई उछाल आने की स्थिति को नियंत्रित किया जा सका.
इसका जोखिम इसलिए भी है क्योंकि रिपोर्टों के अनुसार पिछले दो फसल वर्षों में सरकार लक्ष्य से कम ही गेहूं खरीद पा रही है. यह कमी पैदावार घटने के अलावा किसानों को दूसरे स्रोतों से बेहतर कीमत मिलने की वजह से हुई है. सरकार का दावा है कि अभी घोषित एमएसपी किसानों की लागत से ज्यादा है. लेकिन, एक बार फिर कुछ किसान संगठन इस पर सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि खाद और डीजल की कीमतें बढ़ने से उनकी लागत बढ़ गयी है, जिसका ध्यान नहीं रखा गया. उनका यह भी कहना है कि एमएसपी में और अधिक वृद्धि होनी चाहिए और ऐसा नहीं होने की वजह से ही पैदावार घट रही है. एमएसपी को लेकर किसानों की ओर से एक शिकायत यह भी होती रही है कि इसकी घोषणा तो होती है, पर खरीद नहीं होती जिससे किसानों को विवश होकर आढ़तियों के पास ही जाना पड़ता है.
किसानों को असुरक्षा से बचाने के उद्देश्य से लायी गयी एमएसपी की व्यवस्था भारतीय कृषि के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण रही है. किसान को इससे उसकी फसल की खरीद के लिए एक निश्चित मूल्य की गारंटी मिल जाती है और बाजार गिरने की स्थिति में वह सरकार को इस पूर्व घोषित मूल्य पर उपज बेच सकता है. भारत समेत सारी दुनिया के लिए खाद्य सुरक्षा एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है. पिछले दिनों यूक्रेन युद्ध के बाद गेहूं की आपूर्ति पर असर पड़ने से पड़ोसी पाकिस्तान समेत कई देशों में आटे की काफी किल्लत हो गयी थी. अन्नदाता किसानों का पूरे उत्साह के साथ अपने खेतों में पूरी क्षमता से पैदावार करना, किसानों के साथ-साथ देश की आत्मनिर्भरता के लिए भी जरूरी है. ऐसे में एमएसपी की व्यवस्था के प्रभावी संचालन के लिए सभी पक्षों को भरोसे में लेकर कीमतों को तय किया जाना चाहिए ताकि किसानों को भी लाभ मिले और देश की खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित रह सके.