गांवों में बढ़तीं कामकाजी महिलाएं
Working Women : श्रमबल में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ने के मामले में राज्यों और क्षेत्रों के बीच अंतर है. जैसे, बिहार और झारखंड के ग्रामीण इलाकों में महिला श्रमबल दर में भारी वृद्धि हुई. पूर्वोत्तर के राज्यों में भी महिला श्रमबल में वृद्धि देखी गयी. हालांकि पंजाब और हरियाणा में महिला श्रमबल दर में अधिक वृद्धि नहीं हुई.
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Working Women : प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने अपने हालिया शोध रिपोर्ट में बताया है कि 2017-18 से 2022-23 के बीच देश के सभी राज्यों में महिला श्रमबल भागीदारी दर (एलएफपीआर) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान ग्रामीण महिला श्रमबल भागीदारी दर 24.6 फीसदी से बढ़कर 41.5 प्रतिशत हो गयी, जो कि 69 फीसदी की वृद्धि है. दूसरी तरफ इस दौरान शहरी महिला श्रमबल दर 20.4 प्रतिशत से बढ़कर 25.4 फीसदी हो गयी, जो कि 25 फीसदी की ही वृद्धि है. इस बदलाव को इसलिए बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि 2004 से 2017 तक महिला श्रमबल भागीदारी दर में लगातार गिरावट आ रही थी. लेकिन महिला श्रमबल में आयी गिरावट पर जितनी चर्चा हुई, इसमें हुई वृद्धि पर उतनी बात नहीं हुई.
रिपोर्ट ने इस आलोचना को खारिज कर दिया है कि महिला श्रमबल दर में यह वृद्धि अवैतनिक श्रम से संचालित है. इसके बजाय 2004-05 से 2022-23 तक घरेलू उद्यमों में अवैतनिक पारिवारिक श्रमिकों या सहायकों के रूप में काम करने वाली महिलाओं को बाहर कर देने के बाद भी महिला श्रमबल दर में वृद्धि हुई है और 2017-18 के बाद, यानी महामारी से पहले भी महिला श्रमबल दर में वृद्धि हुई. यह वृद्धि पिछले दशक में सरकार की ओर से उठाये गये कई कदमों का परिणाम है. इनमें से कई कदम खासकर ग्रामीण महिलाओं को लक्षित कर उठाये गये. इनमें से मुद्रा ऋण, ड्रोन दीदी योजना और दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों को संगठित करने जैसे कदम प्रमुख हैं.
हालांकि श्रमबल में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ने के मामले में राज्यों और क्षेत्रों के बीच अंतर है. जैसे, बिहार और झारखंड के ग्रामीण इलाकों में महिला श्रमबल दर में भारी वृद्धि हुई. पूर्वोत्तर के राज्यों में भी महिला श्रमबल में वृद्धि देखी गयी. हालांकि पंजाब और हरियाणा में महिला श्रमबल दर में अधिक वृद्धि नहीं हुई. शोध रिपोर्ट से यह तथ्य भी सामने आया है कि झारखंड और राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में विवाहित महिलायें अविवाहित महिलाओं की तुलना में ज्यादा कामकाजी हैं.
शोध रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि महिला श्रमबल में 30-40 साल की महिलाओं की हिस्सेदारी सबसे अधिक होती है. इससे अधिक उम्र की महिलायें काम करना बंद कर देती हैं, जबकि पुरुष की श्रमबल में हिस्सेदारी 30 से 50 वर्ष के बीच ऊंची बनी रहती है. कुल मिलाकर, यह शोध रिपोर्ट ग्रामीण भारत में आर्थिक गतिविधियों के विस्तार और उनमें महिलाओं की बढ़ती भूमिका के बारे में बताती है.