15.1 C
Ranchi
Thursday, February 27, 2025 | 06:04 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

अन्य पिछड़ा वर्ग का कल्याण

Advertisement

राज्यों द्वारा सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान सुनिश्चित करने और सूचीबद्ध करने से उनको सरकारी योजनाओं का लाभ एवं सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ समुचित रूप से मिल सकेगा.

Audio Book

ऑडियो सुनें

संसद का मॉनसून सत्र विपक्ष के तर्कहीन अवरोध के बावजूद उपलब्धि भरा रहा. मोदी सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति एवं जनता के प्रति उत्तरदायित्व के निर्वहन में सफलता प्राप्त करते हुए कई महत्वपूर्ण विधेयक इस सत्र में पास हुए. सबसे महत्वपूर्ण अन्य पिछड़ा वर्ग के हित संरक्षण को लेकर पास हुआ संविधान संशोधन विधेयक रहा.

संविधान निर्माता जब संविधान बना रहे थे तब यह विषय चर्चा में आया कि अनुसूचित जाति अैर अनुसूचित जनजाति वर्ग की तो सूची है, लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची नहीं है. उस समय सरकार के मुखिया नेहरू ने कहा कि संविधान लागू होने के बाद एक वर्ष के अंदर अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया जायेगा और संबंधित विषयों को उस आयोग की सिफारिश के अनुसार हल किया जायेगा.

डॉ भीमराव आंबेडकर को नेहरू मंत्रिमंडल में कानून मंत्री बनाया गया, लेकिन सरकार की नीतियों से असंतोष व्यक्त करते हुए उन्होंने 27 सितंबर, 1951 को मंत्रिमंडल से अपना त्यागपत्र दे दिया. नियमानुसार उन्हें सदन में स्पष्टीकरण देने का अधिकार था, किंतु उन्हें ऐसा करने से रोका गया. उन्होंने 10 अक्तूबर, 1951 को अपने स्पष्टीकरण का पत्र प्रेस के माध्यम से रिलीज किया.

बाबासाहेब द्वारा त्यागपत्र देने के चार प्रमुख कारण बताये गये थे, जिनमें एक प्रमुख कारण यह था कि अन्य पिछड़ा वर्ग के उत्थान के लिए जो आयोग गठन का वादा सरकार ने किया था, उस आयोग का गठन नहीं किया गया. एक वर्ष पांच महीने बीतने के बाद भी आयोग का गठन नहीं करना उनकी पीड़ा थी. तब से अन्य पिछड़ा वर्ग का मामला चल रहा था. उसके बाद 1953 में काका कालेलकर आयोग का गठन हुआ. तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा इस आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं किया गया.

उसके बाद 1979 में जनता पार्टी की सरकार द्वारा, जिसमें जनसंघ भी शामिल था, बीपी मंडल की अध्यक्षता में मंडल आयोग का गठन किया गया. आयोग ने अपनी रिपोर्ट 1980 में सरकार को सौंपी, किंतु इस आयोग की सिफारिशों को भी तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा लागू नहीं किया गया.

मंडल आयोग की सिफारिश 1990 में तब लागू हुई जब केंद्र में वीपी सिंह सरकार थी और भाजपा बाहर से समर्थन दे रही थी. इस प्रकार अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गयी. उसके बाद 1993 में अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन हुआ, किंतु संवैधानिक दर्जा नहीं दिया गया. वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तब जाकर इस विषय में गंभीरता आयी. साल 2018 में अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया.

यहां उल्लेखनीय है कि 2018 में जब लोकसभा द्वारा पारित अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का विधेयक राज्यसभा में लाया गया तो चर्चा के दौरान कांग्रेस के सदस्य दिग्विजय सिंह द्वारा संशोधन प्रस्तुत किया गया और कहा गया कि आयोग के सदस्यों में मुस्लिम वर्ग को सम्मिलित किया जाये. इस प्रकार दिग्विजय सिंह द्वारा आयोग को सांप्रदायिक स्वरूप देने का प्रयास किया गया. इसके बाद इसे पास होने में छह महीने और लग गये.

वर्तमान में मराठा आरक्षण आंदोलन के कारण यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया. माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2018 में उसकी संवैधानिक वैधता का परीक्षण किया गया और 3-2 के अनुपात में फैसले से माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने राज्यों द्वारा निर्मित सूची को अवैध कर दिया. अब वर्तमान में मोदी जी के नेतृत्व में संसद ने तुरंत ही संविधान का 127वां संशोधन प्रस्तुत किया जो 105वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में पारित किया गया, जिसके द्वारा राज्यों को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान करने और उनकी सूची बनाने का अधिकार प्रदान किया गया है.

इस व्यवस्था से विभिन्न पिछड़ी जातियां जो अपने को अन्य पिछड़ा वर्ग में सम्मिलित कराने के लिए आंदोलनरत हैं तथा जिनके आवेदन काफी समय से लंबित हैं, उन पर राज्यों द्वारा उचित निर्णय लेने का मार्ग प्रशस्त होगा. देश इस समय भारतीय स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है. प्रधानमंत्री द्वारा इसे ‘आजादी का अमृत महोत्सव‘ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है. हम 12 मार्च, 2021 से आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने साबरमती आश्रम से इसका आरंभ किया था, तब से लगातार जनभागीदारी को सुनिश्चित करते हुए विभिन्न कार्यक्रम किये जा रहे हैं, लेकिन 15 अगस्त, 2021 से 15 अगस्त, 2022 तक आजादी के अमृत महोत्सव की धूम रहेगी. आजादी के अमृत महोत्सव में अन्य पिछड़ा वर्ग के हित संरक्षण और संवर्धन का कार्य मोदी सरकार द्वारा किया गया है जो इस समाज के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा.

राज्यों द्वारा सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान सुनिश्चित करने और सूचीबद्ध करने से उनको सरकारी योजनाओं का लाभ एवं सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ समुचित रूप से मिल सकेगा. आजादी के अमृत महोत्सव में अमृत चखने का लाभ सच्चे अर्थों में इस समाज को भी मिल सकेगा. कर्पूरी ठाकुर, राममनोहर लोहिया व अन्य नेताओं द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग के सामाजिक व शैक्षणिक विकास का जो सपना देखा गया था तथा जिसके लिए जीवन भर संघर्ष किया था, आज देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र की भाजपा नीत राजग सरकार उसको साकार रूप देने का पुनीत कार्य कर रही है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
Home होम Videos वीडियो
News Snaps NewsSnap
News Reels News Reels Your City आप का शहर