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यूपी में सत्ता बदली, लेकिन हालात नहीं

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आशुतोष चतुर्वेदी प्रधान संपादक, प्रभात खबर ashutosh.chaturvedi @prabhatkhabar.in उत्तर प्रदेश इन दिनों कानून व्यवस्था की समस्या से जूझ रहा है. यूपी में भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला था और गाजे-बाजे के साथ योगी आदित्यनाथ सूबे के मुख्यमंत्री बने थे. योगी के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद उम्मीद जतायी जा रही थी कि […]

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आशुतोष चतुर्वेदी
प्रधान संपादक, प्रभात खबर
ashutosh.chaturvedi
@prabhatkhabar.in
उत्तर प्रदेश इन दिनों कानून व्यवस्था की समस्या से जूझ रहा है. यूपी में भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला था और गाजे-बाजे के साथ योगी आदित्यनाथ सूबे के मुख्यमंत्री बने थे. योगी के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद उम्मीद जतायी जा रही थी कि यूपी में कानून व्यवस्था की स्थिति सुधरेगी. यूपी के चुनाव में कानून-व्यवस्था एक बड़ा मुद्दा था, लेकिन कानून-व्यवस्था के मोरचे पर अब तक कोई सुधार नहीं हुआ है, स्थिति जस की तस है. यूपी में कहीं जातीय संघर्ष की घटनाएं सामने आ रही हैं, तो कहीं सामूहिक बलात्कार और लूट व हत्याएं घटित हो रही हैं. पुलिस प्रशासन पुराने रंग-ढंग से ही काम कर रहा है.
पश्चिमी यूपी में बुलंदशहर जा रहे एक परिवार के साथ लूटपाट और सामूहिक बलात्कार की शर्मनाक घटना हुई. पिछले साल अखिलेश सरकार के समय बुलंदशहर में हाईवे पर हुई लूट और बलात्कार का मामला राज्य सरकार और समाजवादी पार्टी के लिए मुसीबत बन गया था.
अब वैसी ही वारदात दिल्ली से थोड़ी दूर पर स्थित ग्रेटर नोएडा के पास हुई है. बदमाशों ने कार से जा रहे एक परिवार की चार महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया. इस दौरान एक व्यक्ति की गोली मार कर हत्या कर दी गयी और पूरे परिवार के साथ लूटमार की गयी. जैसी कि यूपी पुलिस की फितरत है कि सबसे पहले वह घटना से ही इनकार करती है. बाद में कुछ लोगों को गिरफ्तार कर केस सुलझाने की घोषणा हो जाती है. इस मामले में भी यूपी पुलिस ने बलात्कार की घटना से ही इनकार किया है. इससे पता चलता है कि यूपी में सत्ता परिवर्तन भले हो गया हो, पुलिस की फितरत नहीं बदली है. मान के चलिए जल्द ही पांच छह अपराधियों की गिरफ्तारी के साथ केस सुलझाने की घोषणा होने वाली है. बाद में इस मामले का क्या हश्र होगा, इसका अंदाज आप लगा सकते हैं.
पिछले साल अखिलेश सरकार के समय बुलंदशहर में हाईवे पर हुई लूट और बलात्कार का मामला राज्य सरकार और समाजवादी पार्टी के लिए राजनीतिक रूप से आखिरी कील साबित हुआ था. अब वैसी ही वारदात उसी क्षेत्र के आसपास घटित हुई है. साथ ही मथुरा में सरे बाजार दो व्यापारियों की हत्या और लूट ने पूरे सूबे को हिला दिया था. विरोध में पूरे सूबे के बाजार बंद रहे.
दूसरी बड़ी घटना सहारनपुर की है, जहां जातीय संघर्ष की घटनाएं घटित हुईं हैं और हालात पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका है. स्थिति की गंभीरता का अंदाज आप इससे लगा सकते हैं कि सहारनपुर की घटनाओं के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पिछले एक महीने में दो बार जिले के डीएम और एसएसपी बदल चुके हैं. बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती के दौरे के बाद एक बार हिंसा फिर भड़क उठी थी, जबकि मौके पर आला अधिकारी डटे हुए थे.
हालात इतने बिगड़े कि सहारनपुर में इंटरनेट और मोबाइल मैसेजिंग पर रोक लगानी पड़ी. एक महीने के दौरान कई हिंसक घटनाओं से चिंतित केंद्रीय गृह मंत्रालय ने योगी सरकार से सहारनपुर को लेकर रिपोर्ट तलब की है. गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से पूछा है, प्रशासन इतने दिनों से जारी हिंसा को रोकने में क्यों नाकाम रहा है.
केंद्र सरकार को डर है कि सहारनपुर की जातीय हिंसा कहीं यूपी के अन्य स्थानों में न फैल जाए. वैसे तो उत्तर प्रदेश का दलितों के खिलाफ अपराधों का रिकॉर्ड हमेशा से ही खराब रहा है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2015 में देश में सबसे ज्यादा 8,358 दलितों पर हुए अत्याचार के मामले यूपी में दर्ज हुए.
यूपी बड़ा राज्य है और मुख्यमंत्री योगी को सत्ता संभाले कुछ ही महीने हुए हैं, इसलिए कानून व्यवस्था के मोरचे पर सरकार को पूरी तरह से असफल करार देना थोड़ी जल्दबाजी होगी, लेकिन मौजूदा रंग-ढंग से लग रहा है कि सरकार की पुलिस प्रशासन पर पकड़ नहीं है. यूपी में पहले जैसा ही ‘रामराज’ कायम है यानी जो मरजी आए, करें. कोई रोकने- टोकने वाला नहीं है.
तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार पर सबसे बड़ा आरोप था कि उनके राज में कानून-व्यवस्था की स्थिति जर्जर थी. सपा की हार का एक बड़ा कारण कानून व्यवस्था की स्थिति ही थी. पुलिस प्रशासन में भारी राजनीतिक दखलंदाजी की जाती थी, नतीजतन कानून व्यवस्था लचर हो गयी, जिसकी कीमत मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को हार के रूप में चुकानी पड़ी. उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद खुद मुख्यमंत्री योगी ने कानून-व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े वादे किये थे, जो उन पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं.
हालांकि यूपी में बढ़ते अपराध और जातीय हिंसा की घटनाओं पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने बयान दिया है कि जब भाजपा में सत्ता में आयी, तो उसे विरासत में जंगलराज और अराजकता मिली. गैंगरेप और सहारनपुर जातीय हिंसा पर योगी ने कहा कि ये सभी घटनाएं बहुत जल्दी ही सामने आ गयीं और सरकार जल्द ही उन पर विराम लगायेगी. भाजपा सरकार जल्द ही यूपी में कानून का राज स्थापित करेगी. योगी ने घोषणा की है कि अब अपराधियों को राजनैतिक संरक्षण नहीं दिया जायेगा. अपराधियों के साथ अपराधियों की तरह ही सलूक किया जायेगा.
गौर करें, तो भाजपा ने बड़ी मशक्कत के बाद यूपी में जीत हासिल की है. यूपी जीतने के लिए भाजपा नेताओं ने पूरी ताकत झोंक दी थी. एक ओर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने मोरचा संभाला था, तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद प्रचार की कमान संभाली थी और पार्टी का धुंआधार प्रचार किया था. यह चुनाव भाजपा के लिए ऐतिहासिक साबित भी हुआ और भाजपा ने 403 सीटों में से 312 सीटों पर जीत दर्ज की थी. सहयोगी दलों ने भी 13 सीटों पर जीत हासिल की थी. एसपी-कांग्रेस 54 सीटों पर ही सिमट गयी थीं. बसपा और अन्य दलों की हालत तो और खराब रही.
विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के सभी शीर्ष नेता यूपी की जनता से वादा करते थक नहीं रहे थे कि अगर उनकी पार्टी की सरकार सत्ता में आयी, तो वे उत्तर प्रदेश की अपराध मुक्त और भयमुक्त कर देंगे, लेकिन अपराध की ताबड़तोड़ घटनाओं ने पुलिस पर लोगों के यकीन को हिला कर रख दिया है. लोगों के धैर्य की सीमा होती है. पुलिस के खिलाफ लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है. जिस दिन यह गुस्सा आक्रोश का रूप ले लेगा, उस दिन सरकार की मुश्किलें बढ़ जायेंगी. इसके गंभीर राजनीतिक निहितार्थ भी हैं.

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