बसपा अध्यक्ष मायावती के लौटने के बाद सहारनपुर में फिर हिंसा भड़क उठी. उपद्रवियों के कारण प्रदेश जातीय हिंसा के चपेट में आ गया है. जाति के मुद्दे को लेकर सामाजिक वातावरण अशांत करना मतलब उसी मुद्दे पर अड़े रहना है. उससे सिर्फ समाज में जाति की दीवारें बनती जायेंगी.
समाज में एकजुटता कायम करना मुश्किल हो जायेगा. किसी छोटे प्रश्न पर जातिगत हंगामा और जातिगत राजनीति भी बढ़ जायेगी. जाति के आधार पर होने वाली लड़ाइयों ने राज्य का वातावरण बिगाड़ कर रखा है. खुद का घर महफूज कर दूसरों के घर को जलते हुए देखनेवालों को समाज से बाहर किया जाना जरूरी है. ऐसे लोग बेहतर समाज के विकास में बड़े बाधक ही हैं.
मानसी जोशी, इमेल से