17.1 C
Ranchi
Thursday, February 13, 2025 | 10:36 pm
17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

सरकार सुध भी ले

Advertisement

जब भी कोई बड़ा अतिवादी हमला होता है, उग्रवाद-प्रभावित इलाकों में तैनात जवानों के प्रशिक्षण की कमी, रणनीतिक चूक और लचर आतंरिक सुरक्षा नीति पर बहस केंद्रित हो जाती है. कुछ ही दिनों में यह बहस भी अगली वारदात तक स्थगित हो जाती है और परिस्थितियां जस-की-तस बनी रहती हैं. सुकमा हमले के बाद भी […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

जब भी कोई बड़ा अतिवादी हमला होता है, उग्रवाद-प्रभावित इलाकों में तैनात जवानों के प्रशिक्षण की कमी, रणनीतिक चूक और लचर आतंरिक सुरक्षा नीति पर बहस केंद्रित हो जाती है. कुछ ही दिनों में यह बहस भी अगली वारदात तक स्थगित हो जाती है और परिस्थितियां जस-की-तस बनी रहती हैं. सुकमा हमले के बाद भी यही हुआ है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि इन खामियों को तुरंत दुरुस्त करने की जरूरत है, पर जवानों के हौसले और क्षमता को बनाये रखने के लिए यह भी जरूरी है कि उनके लिए संसाधनों और सुविधाओं का समुचित इंतजाम किया जाये.
उग्रवाद-प्रभावित क्षेत्रों में अर्द्धसैनिक बलों को अक्सर अस्थायी शिविरों में रहना पड़ता है, जहां खाने, पीने और सोने की बुनियादी सुविधाएं भी ठीक से मयस्सर नहीं हैं तथा उन्हें हर मौसम की मार झेलनी पड़ती है. अशांत इलाकों में उन्हें खुजली और बुखार पैदा करनेवाले पौधों और कीड़े-मकोड़ों का भी सामना करना पड़ता है. कई शिविरों के लिए एक अस्थायी अस्पताल होता है और वह भी कई किलोमीटर दूर होता है.
छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा आदि राज्यों में अर्द्धसैनिक बालों को माओवादियों की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ उनका गाहे-ब-गाहे सामना भी करना पड़ता है, लेकिन बड़ी संख्या में जवानों को विभिन्न परियोजनाओं की सुरक्षा में भी लगाया गया है, जिनके ठेकेदार उनकी सुविधाओं की परवाह नहीं करते. धर-पकड़ या पेट्रोलिंग के समय उन्हें हथियारों के साथ राशन-पानी भी ढोना होता है. घंटों की ऐसी आवाजाही में आपात बचाव और राहत का भी पुख्ता इंतजाम नहीं होता. किसी जवान के अचानक बीमार पड़ने पर तुरंत हेलीकॉप्टर आने की बात तो छोड़ ही दें, मुठभेड़ में भी अतिरिक्त सहायता पहुंचने में घंटों लग जाते हैं. कई मामलों में आधिकारिक रूप से माना गया है कि अगर समय पर बचाव के उपाय किये जाते, तो कुछ घायलों को बचाया जा सकता है.
इसी के साथ संचार की कमजोर व्यवस्था, नियमित रूप से अवकाश न मिलना तथा परिवार से मिलने जाने में होनेवाली मुश्किलें भी जवानों को परेशान किये रहती हैं. जवानों की इन शिकायतों पर सुरक्षाबलों के आला अधिकारियों और सरकार की प्रतिक्रिया बहुत सुस्त और लापरवाही भरा रहा है.
सुकमा हमले के बाद केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के क्षेत्रीय मुख्यालय को कोलकाता से रायपुर ले जाया जा रहा है. उम्मीद है कि इससे समस्याओं के समाधान में मदद मिलेगी. हमें सिर्फ जवानों की हिम्मत और शहादत को ही सलाम नहीं करना चाहिए, उन्हें बेहतर सुविधाएं और संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने पर भी जोर देना चाहिए.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें