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फिर मंदिर राग!

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राम मंदिर मुद्दे को गरमाने की कोशिशें फिर तेज हो गयी हैं. अयोध्या में विहिप की चार साल से बंद पड़ी राम मंदिर निर्माण कार्यशाला में दो ट्रक पत्थर मंगाये गये हैं और नक्काशी का काम शुरू कर दिया गया है. राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास ने शिला पूजन के साथ ऐलान […]

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राम मंदिर मुद्दे को गरमाने की कोशिशें फिर तेज हो गयी हैं. अयोध्या में विहिप की चार साल से बंद पड़ी राम मंदिर निर्माण कार्यशाला में दो ट्रक पत्थर मंगाये गये हैं और नक्काशी का काम शुरू कर दिया गया है. राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास ने शिला पूजन के साथ ऐलान किया, ‘ईश्वर की कृपा से राम मंदिर निर्माण का वक्त आ गया है.’ इस विवादित मुद्दे के इतिहास के मद्देनजर इन हलचलों से अनहोनी की आशंका स्वाभाविक है.
इसलिए इसकी गूंज अयोध्या से निकल कर संसद तक पहुंच गयी है. बुधवार को शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन राज्यसभा में जदयू ने जब यह मुद्दा उठाया, तो उसे सपा और कांग्रेस का भी साथ मिला. राम मंदिर निर्माण का मुद्दा जितना धार्मिक है, उससे कहीं ज्यादा इसके जरिये राजनीतिक स्वार्थ साधने की कोशिशें होती रही हैं. ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों की यह आशंका निराधार नहीं है कि यूपी में 2017 में होनेवाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ही विहिप ने फिर से मंदिर राग छेड़ा है. चुनाव जब भी करीब आते हैं, इस मुद्दे को गरमाने की कोशिशें शुरू हो जाती हैं.
2014 में लोकसभा चुनाव से पहले भी विहिप ने अचानक अयोध्या में 84 कोसी परिक्रमा का ऐलान कर दिया था, जिसे सरकार के साथ टकराव के हालात बन गये थे. आज हम जिस नये साल की दहलीज पर खड़े हैं, उसमें भी पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. हालिया चुनावों में प्रमुख दलों ने जिस तरह से आम लोगों में विकास की आकांक्षा जगायी थी, उसे देखते हुए लग रहा था कि समाज में धार्मिक आधार पर टकराव पैदा करने की कोशिशें थम जाएंगी. ऐसे में साल 2015 की विदाई वेला में फिर से टकराव की आशंका दुर्भाग्यपूर्ण है.
फिलहाल, वस्तुस्थिति यह है कि विवादित स्थल की करीब 67 एकड़ जमीन सरकार ने 1993 में कब्जे में ले ली थी, जहां सुप्रीम कोर्ट की इजाजत के बिना किसी तरह के निर्माण पर रोक है, पर किसी और स्थान पर पत्थर तराशने पर रोक नहीं है. विहिप का कहना है कि वह पत्थर इसलिए तराश रही है, ताकि उसके हक में फैसला आने पर वह फौरन मंदिर बना सके. उधर, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि अयोध्या में अमन है और कायम रहेगा.
राज्यसभा में केंद्र सरकार की ओर से भी कहा गया है कि राम मंदिर का मामला अदालत में विचाराधीन है और सरकार अदालत के फैसले का सम्मान करेगी. उम्मीद करनी चाहिए कि केंद्र व राज्य सरकारें राजनीतिक स्वार्थों को परे रख कर, अयोध्या के साथ-साथ पूरे देश में कानून-व्यवस्था और अमन-चैन कायम रखने के लिए कारगर कदम उठायेंगी.

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