डीडीसीए में तथाकथित भ्रष्टाचार पर कांग्रेस व आम आदमी पार्टी वित्त मंत्री अरुण जेटली की पुनर्जांच चाहते हैं, यह अच्छी बात है. मगर, जांच तो सभी मामलों और घोटालों की भी बहुत जरूरी है, तभी सच्चाई सबके सामने आ सकती है. इसके लिए बेहद पारदर्शी और सशक्त लोकपाल जैसी निष्पक्ष व स्वतंत्र संस्था की जरूरत है.
ऐसे में कोई भी जांच सही कैसे हो सकती है? ऐसी जांच के ड्रामे और नौटंकियां पहले भी बहुत हो चुकी हैं, जिनमें समय, शक्ति और धन की बरबादी के सिवाय कुछ नहीं मिला. आज दुर्भाग्य से नेता एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने सिवा कुछ नहीं कर पाते और संसद को अवरोधित करते हैं.
इससे देश को बहुत बड़ी हानि हो रही है. संसद एक ऐसा प्लेटफार्म है, जहां सौहार्द व आपसी विचार विमर्श से सही निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है. मगर, दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं हो पा रहा है, तो इन्हें वेतन, भत्ते आदि लेने का क्या अधिकार है?
-वेद, नरेला