समाज में नशे को सदा बुराइयों का प्रतीक माना गया है. इसके बावजूद शराब का नशा आज के युवाओं के सिर चढ़ कर बोल रहा है. आज के युवा बड़े शौक से शराब का सेवन करते दिख रहे हैं.
समाज में घटित ज्यादातर घटनाओं में शराब भी एक बड़ा कारण है. शराब के सेवन के बाद व्यक्ति अपने सोचने समझने की क्षमता भी खो बैठता है. देश में पिछले 50 वर्षों से नशे का प्रचलन इतना बढ़ गया है कि मनुष्य तरह-तरह की बीमारियों से ग्रसित होकर अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठ रहे है.
शराब के अतिरिक्त गांजा, भांग, अफीम आदि नशीले पदार्थ का भी क्रय-विक्रय एक प्रांतों से दूसरे प्रांतों में चोरी छिपे किया जा रहा है. सरकार को राजस्व प्राप्ति का मोह त्याग कर लोगों के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए, तभी हमारा समाज व देश मजबूत होगा.
-संघर्ष यादव, कोलकाता