बिहार चुनाव के अशुभ संकेत
बिहार विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो रहा है. दशहरा के बाद चुनाव कराये जायेंगे. चुनाव की घोषणा के पूर्व ही सड़कछाप नेताओं का जमावड़ा तथा उनका आपत्तिजनक बयान लोगों में भय पैदा करते हैं. जाति के नाम पर राजनेताओं की गोलबंदी भी अशुभ संकेत कर रही है. विभिन्न आपराधिक वारदातों को अंजाम देने के बाद […]
बिहार विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो रहा है. दशहरा के बाद चुनाव कराये जायेंगे. चुनाव की घोषणा के पूर्व ही सड़कछाप नेताओं का जमावड़ा तथा उनका आपत्तिजनक बयान लोगों में भय पैदा करते हैं. जाति के नाम पर राजनेताओं की गोलबंदी भी अशुभ संकेत कर रही है.
विभिन्न आपराधिक वारदातों को अंजाम देने के बाद जेल की सजा काटनेवाले नेता चुनाव आते ही बढ़-चढ़ कर बोलने लगे हैं. नेताओं की नयी जमात के पदार्पण से ऐसा प्रतीत होता है कि बिहार की राजनीति से शिष्टाचार लुप्त हो गया है.
छलनी द्वारा सूप की निंदा किये जाने का मुहावरा चरितार्थ होता दिखायी दे रहा है. जनता परिवार के आपसी गंठबंधन के बाद बिहार के निवासियों में कुछ उम्मीद बंधी थी, लेकिन अब तो वह भी धूमिल होती दिखाई दे रही है. पूरा राजनीतिक परिदृश्य ही अभी अंधेरे में है.
भगवान ठाकुर, तेनुघाट