पिछले दिनों सरकार नें आइआइटी मद्रास के दलित छात्र संगठन की मान्यता रद्द कर दी. कारण बस इतना था कि छात्रों ने मोदी सरकार के खिलाफ में कुछ बयान दिया था. यह बात मुङो हास्यास्पद और अधिक निंदनीय लगती है. आखिर संगठन के छात्रों का कसूर ही क्या था, जिसके लिए उन्हें बैन कर दिया गया? सिर्फ इतना ही कि उन्होंने सरकार के खिलाफ अपनी बात रखी थी?
तो क्या इस देश में अब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी नहीं रही? हम भी छात्र हैं, कल हम भी अगर सरकार के बारे में अपनी राय रखें, तो हमें भी सोच-समझ कर रखना होगा? या यूं कहें कि सरकार की तारीफ में रखना होगा. सरकार की आलोचना नहीं कर सकते. आखिर क्या सरकार लोगों के मन में यह डर पैदा करना चाहती है कि कोई सरकार की आलोचना करने से पहले दस बार सोचे?
शशि शेखर बल, करौं, देवघर