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धन से ज्यादा उदार मन की जरूरत

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झारखंड की राजधानी रांची की बात करें तो यहां के लोगों की सबसे ज्यादा शिकायत अगर किसी चीज से है, तो वह है शहर की बदहाल यातायात व्यवस्था. किसी भी सड़क का रुख कीजिए, अगर जाम न मिले तो इसे महज संयोग और खुशकिस्मती समझिए. जाम रांचीवासियों की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है. इस […]

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झारखंड की राजधानी रांची की बात करें तो यहां के लोगों की सबसे ज्यादा शिकायत अगर किसी चीज से है, तो वह है शहर की बदहाल यातायात व्यवस्था. किसी भी सड़क का रुख कीजिए, अगर जाम न मिले तो इसे महज संयोग और खुशकिस्मती समझिए.
जाम रांचीवासियों की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है. इस दुश्वारी के लिए हम लोग अक्सर ट्रैफिक पुलिस को जिम्मेदार ठहरा देते हैं. उन्हें अवैध वसूली की ताक में लगे रहनेवाले इनसानों के रूप में देखते हैं. पर क्या कभी हमने उनका दर्द महससू करने की कोशिश की है? वो दिनभर धूप में खड़े रहते हैं. उनके लिए बूथ तक का इंतजाम ढंग से नहीं है.
कम संख्या में होने की वजह से तय समय से ज्यादा ड्यूटी करते हैं. गाड़ियों से निकलनेवाला जहरीला धुआं पीते हैं. शोर-गुल ङोलते हैं. क्या उनकी तनदुरुस्ती और दिमागी सेहत की किसी को परवाह है? शायद नहीं. हाल ही में राजधानी की ट्रैफिक पुलिस की सेहत की जांच एक निजी अस्पताल में करायी गयी. इसमें पता चला कि अधिकतर जवानों को फेफड़े में संक्रमण, उच्च रक्तचाप एवं मधुमेह की बीमारी है. अब तक 226 ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की जांच हुई है जिनमें से 72 को फेफड़े में संक्रमण है, 39 को उच्च रक्तचाप और 23 को मधुमेह की समस्या है. यह आंकड़ा चौंकानेवाला है.
अगर हम चाहते हैं कि ट्रैफिक पुलिस पूरी लगन, तत्परता और ईमानदारी से काम करे, तो सरकार को उसकी सेहत का भी ख्याल रखना होगा. ड्यूटी के दौरान उनके खाने-पीने का कोई इंतजाम नहीं होता. जो तला-भुना, उल्टा-सीधा मिला, भूख मिटाने के लिए पेट में डाल लिया. कहीं से भी पानी पी लिया. एक तो प्रदूषण की मार, ऊपर से खराब खान-पान, ऐसे में बीमार पड़ना ही है. सरकार को चाहिए कि ट्रैफिक पुलिस के लिए अच्छे और पोषक भोजन का इंतजाम करे.
उनसे लंबी ड्यूटी न करायी जाये, ताकि प्रदूषण का असर कम पड़े. ट्रैफिक पुलिसवालों की नियमित स्वास्थ्य जांच करायी जाये. उनके लिए अच्छी गुणवत्ता के मास्क उपलब्ध कराये जायें. कड़ी धूप में उन्हें कुछ छाया मिल सके, इसके लिए उनकी ड्यूटी की सभी जगहों पर ट्रैफिक बूथ बनाये जायें. इस काम के लिए बहुत ज्यादा धन की नहीं, बल्कि उदार मन की जरूरत है.

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