15.1 C
Ranchi
Friday, February 14, 2025 | 04:46 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

लोहड़ी पर विशेष : दादी का चरखा

Advertisement

राजलक्ष्मी सहाय बेटे का हाथ झटके से छुड़ा कर प्रीतो जलते हुए घर के भीतर दौड़ गयी. कुछ ही मिनटों में बाहर आती दिखी. जगह-जगह से जम्पर लहक रही थी. माथे के बाल झुलसे- पैरों में छाले. जोर से आंखे मींचे आग की लपटों के बीच से जब अवतरित हुई, तो लगा सीता मइया अग्नि […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

राजलक्ष्मी सहाय
बेटे का हाथ झटके से छुड़ा कर प्रीतो जलते हुए घर के भीतर दौड़ गयी. कुछ ही मिनटों में बाहर आती दिखी. जगह-जगह से जम्पर लहक रही थी. माथे के बाल झुलसे- पैरों में छाले.
जोर से आंखे मींचे आग की लपटों के बीच से जब अवतरित हुई, तो लगा सीता मइया अग्नि की ज्वाला से निकल रही हो. आखिर ऐसा क्या था जिसके लिए वह धधकती ज्वाला में कूद पड़ी थी? बेटा सतनाम डर से चीख रहा था- लोग हाहाकार मचाते रहे पर वह किसी की सुननेवाली नहीं. क्या उसकी आत्मा रह गयी थी उस मकान में? सचमुच अपनी आत्मा को ही थाम कर वह अग्निपुंज से निकली थी.
कंधे पर बड़ा सा चरखा रखे, आग की लपटों को छिटकाती हुई बाहर आयी और बेहोश होकर गिर पड़ी.
प्रीतो की जान बसी थी इस चरखे में. न जाने कौन-कौन सी स्मृतियां कैद थीं इसके चक्के में जो रह-रह कर नींद से जगाती रहती. लकड़ी का पहिया खट-खट घूमता और उसके मानस के द्वार खट-खट खुलने लगते. इसके चलते ही अनगिनत पेचों से कसी गुलामी की चादर धीरे-धीरे ढीली होने लगती.
चरखे का घर्र-घर्र स्वर ऐसा लगता मानो लोहे की दीवार रेती जा रही हो. वह दीवार जो हर हिंदुस्तानी के समक्ष खड़ी थी – रास्ता रोके. वह दीवार जिसने हर हिंदुस्तानी के सांस प्राण ही रोक रखे थे.
भगत और राजगुरु ने असेंबली में बम फोड़ कर इनकलाब का नारा लगाया तो प्रीतो के पति ने तीन-तीन फीट ऊंचे उछल कर ‘इनकलाब जिंदाबाद’ चिल्लाया था. तभी फिरंगियों ने धर दबोचा और डाल दिया सबके साथ सलाखों के पीछे.
उसी रोज सुबह में एक चरखा लाकर थमाया था प्रीतो के पति ने. कहा था –
इस जन्म की सबसे बड़ी अमानत है. संभाल कर रखना. गांधीजी कहते हैं चरखा चलाओ – सूत कातो – कपड़ा पहनो.
हे भगवान ! पांच बच्चों की परवरिश इस चरखे से?
क्यों नहीं ? हर घर में चरखा चलने लगे तो जानती हो क्या होगा? अंगरेजी मशीनों का शोर चालीस करोड़ चरखे की घर्र-घर्र में गुम होकर रह जायेगा.
मालूम था सुखविंदर को
असेंबली में बम फटेगा और उसके हाथों में भी हथकड़ियां लगेंगी. फिर प्रीतो का क्या होगा? रोटी-पानी का जुगाड़ कौन करेगा? सो चरखा थमा दिया और खुद सलाखों के पीछे.
शाम को पुलिसवाले घर का दरवाजा जोर-जोर से पीट रहे थे. डर के मारे बच्चों को पलंग के नीचे छिपा दिया. बड़े लड़के सतनाम को पिछवाड़े से भगाया. दरवाजा खोला. एक-दो गोरे खाकीवर्दी के साथ आठ-देसी पुलिसवाले धड़ाधड़ घर में घुस आये. एक-एक चीज को बिखेर दिया. कुछ ढूंढ़ रहे थे. बुङो चूल्हे से राख तक पलट दी. तकिये को चाकू से काटा पूरे कमरे में रूई बिखर गयी.
बच्चों को खींच कर निकाला. चपत भी लगाया. भयभीत प्रीतो – हाथ बांध कर खड़ी. नानक की तसवीर पर नजरें टिकी. प्रार्थना के शब्द को भूल गयी. कुछ नहीं मिला. बूट पटकते निकल गये थे सिपाही.
दूसरे दिन प्रीतो जेल गयी थी मिलने सुखविंदर से. पहले तो सिपाहियों ने ङिाड़क दिया. काफी गिड़गिड़ाया तो आधे मिनट का समय मिला.
कल सिपाही आये थे. कुछ ढूंढ़ रहे थे घर में.
कुछ मिला ?
नहीं. पूरा घर उलट-पुलट कर चले गये.
तुम्हें छुआ तो नहीं?
नहीं. मैं तो नानक की तसवीर के पास खड़ी थी.
तभी समय खत्म होने का ऐलान. आधी-अधूरी बातों को बीच में ही छोड़ कर प्रीतो जेल के हाते के बाहर. घर पहुंची तो बड़ा बेटा सतनाम हाथ में दस रुपया लेकर इंतजार कर रहा था.
मां इसका चावल ले आओ.
कहां से रुपया?
हसन चाचा की दर्जी की दुकान पर बैठा था. उनके कपड़ों में तुरपायी किया – बटन टांके तो दस रुपये दिया. कल फिर बुलाया है.
आठवीं जमात की डिग्री के साथ उतर पड़ा था दुनिया के जंग में सतनाम. रोज दो किलो आटा के लिए दस रुपये कम तो नहीं थे.
प्रीतो का चरखा चलने लगा. बुनकरों के मुहल्ले में सूत का गोला पहुंचा आती. एक गोले का दस पैसा. सुबह उठते ही चरखे को मत्था टेकती. फिर तब तक सूत कातती जब तक पीठ और पेट अकड़ने न लगते.
भगत और उनके साथियों ने जेल में खाना-पीना छोड़ दिया. सूखे हलक से निकलता ‘इनकलाब जिंदाबाद’ बेहोश होते क्रांतिकारियों की आंखों को खुलने पर विवश कर देता था. सूख कर कांटा हो गया सुखविंदर. रग-रग सूखा बालू. फिर एक दिन उसकी लाश पटक गये पुलिसवाले प्रीतो के आंगन में.
अपने घर के सारे आइने तोड़ डाले. सालों अपना चेहरा दर्पण में नहीं देखा. मुल्क आजाद हुआ, तब भी नहीं. वह जरा भी खुश नहीं थी आजादी की खबर से. अफवाहें उड़तीं. घर छोड़ कर जाना है. हिंदुओं को मुहल्ला छोड़ना होगा. लाहौर से गाड़ी दिल्ली जायेगी. न जाने कहां और किन शिविरों में सब रखे जायेंगे. और तभी अचानक रात में कोई मुहल्ले के घरों पर बाहर से केरोसिन फेंक कर आग लगा गया. एक एक घर धू-धू जलने लगा. चीखते-चिल्लाते लोग घरों से बाहर. प्रीतो भी बच्चों को खींचती घसीटती बाहर निकली. परंतु कुछ ही पल बाद फिर से वह अग्नि कुंड बने मकान में दौड़ गयी और जब बाहर थी तो चरखा कंधे पर रखे. क्या विकट घड़ियां थीं. सरकारी गाड़ियों में लद-लद कर जाते लोग. न रोटी न पानी. शरणार्थी शिविरों में गाय भैसों की भांति ठसम-ठास.
अपने बच्चों को घेर कर ट्रक में डाले में झूलती झुपती प्रीतो की गोद में सबसे छोटा बेटा. बुखार से तपता बदन. सरकारी अस्पताल में डाक्टर की डांट-जगह नहीं
– दवा के पैसे नहीं. इंजेक्शन लगेगा. ब्लैक में मिल सकता है. भगवान को लगा प्रीतो पर बोझ कुछ ज्यादा है. एक बेटे का भार कम कर दिया.
( जारी )

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें