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पेशावर हमला : विशेषज्ञ का नजरिया, कहीं भारत में भी न होने लगे…..

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कहीं भारत में भी न होने लगे पेशावर के आर्मी स्कूल में बच्चों की निर्मम हत्या पर पाकिस्तान में भारी आक्रोश है. वहां के पत्रकारों ने भी टीटीपी पाकिस्तान की कड़ी निंदा की. आप भी पढ़ें इनके विचार.. सी उदय भास्कर रक्षा मामलों के विशेषज्ञ मुझे यह कहते हुए बड़ा अफसोस हो रहा है कि […]

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कहीं भारत में भी न होने लगे
पेशावर के आर्मी स्कूल में बच्चों की निर्मम हत्या पर पाकिस्तान में भारी आक्रोश है. वहां के पत्रकारों ने भी टीटीपी पाकिस्तान की कड़ी निंदा की. आप भी पढ़ें इनके विचार..
सी उदय भास्कर रक्षा मामलों के विशेषज्ञ
मुझे यह कहते हुए बड़ा अफसोस हो रहा है कि पाकिस्तान में आज जो कुछ हुआ या हो रहा है, कहीं भारत में भी वही भविष्य में न होने लगे. दरअसल, जब-जब किसी भी देश में धार्मिक उन्माद को राजनीति से जोड़ कर देखा जाने लगता है और जनता को उसी भावना में डुबो कर लोकतंत्र का राग अलापा जाता है, तब-तब अनजाने में ऐसी ताकतों के लिए हम एक प्लेटफार्म तैयार कर रहे होते हैं.
जो कालांतर में तालिबान बन कर हमारी ही संतानों पर भारी पड़ती हैं. एक स्कूल के इतने सारे बच्चों को मौत के घाट उतार देना केवल पाकिस्तान के लिए नहीं, पूरी दुनिया के लिए शर्म की बात है. मैं तो कहूंगा कि आज पाकिस्तान में जो कुछ हो रहा है, वह भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है, क्योंकि भारत में भी आज वही माहौल बन रहा है, जिसके चलते पाकिस्तान में तहरीक-ए- तालिबान या हक्कानी नेटवर्कया लश्कर-ए-तैयबा का जन्म हुआ.
हिंदुस्तान में लव जिहाद, धर्मांतरण या बेंगलुरु में आइएस के लिए ट्वीट करने वाले युवक का पकड़ा जाना कोई बहुत अच्छी बात नहीं है, बल्किहमें पाकिस्तान में हुई घटना से नसीहत लेने की जरूरत है कि हम भी कहीं उसी माहौल की तरफ तो आगे नहीं बढ़ रहे हैं?
सदमें में है हमारा देश
आसमा जहांगीर
मानवाधिकार कार्यकर्ता, पाकिस्तान
आतंकी हमले में मासूम बच्चों की मौत से पूरा पाकिस्तान सदमे में हैं. आतंकियों की इस घिनौनी हरकत ने साबित कर दिया है कि वे अपने मकसद को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. ऐसा पहली बार नहीं है कि आतंकियों ने किसी स्कूल को निशाना बनाया हो पहले भी कई बार इस तरह के हमले किये जा चुके हैं. लेकिन पेशावर के स्कूल में किया गया हमला अब तक का सबसे बड़ा हमला है. सेना इस बाबत पहले भी स्कूलों से अपनी सुरक्षा बढ़ाने के लिए कह चुकी है.
आतंकी कहते हैं कि वे सेना की कार्रवाई का बदला ले रहे हैं. मैं पूछना चाहती हूं आखिर किस बात का बदला, हमला तो उन्होंने हमारे मुल्क पर किया है. सेना तो सिर्फ अवाम की हिफाजत के लिए अपनी जिम्मेदारी निभा रही है. अफसोस की बात यह है कि पाकिस्तान में जब बच्चे महफूज नहीं तो फिर दूसरों की हिफाजत की क्या बात की जाये. मेरा मानना है कि सरकार और सेना को आतंकियों के खिलाफ और सख्त रु ख अपनाना होगा और ऐसे लोगों पर नरमी बरतने की कोई गुंजाइश नहीं है.
स्कूल पर हमला, सेना का मनोबल गिराने की कोशिश
रहीमुल्ला यूसुफजई
पत्रकार
पाकिस्तानी तालिबान के हमले का मकसद सेना को नुकसान पहुंचाना था. सेना और उससे जुड़े संस्थानों को तालिबान पहले भी निशाना बनाते रहे हैं. लेकिन अब ऐसा करना उनके लिए मुश्किल हो रहा है, तो उन्होंने सेना से जुड़े स्कूल पर हमला कर मासूमों को निशाना बनाया. मेरा मानना है कि यह हमला पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति से जुड़ा है.
फिलहाल, इसका अंतरराष्ट्रीयकरण करना ठीक नहीं. तालिबान बदले की आड़ में सेना का मनोबल भी गिराना चाहता है. तालिबानी हमेशा इस तरह के हमले के बाद बदला लेने की दलील पेश करते हैं. लेकिन उनकी इस दलील को कोई भी मानने को तैयार नहीं है. यह हमला स्कूलों की सुरक्षा पर भी सवाल उठाता है.
लगा जैसे कयामत आ गयी
नादिया नकी
न्यूज एंकर
पाकिस्तान
पाकिस्तान में आतंकी हमला कोई नयी बात नहीं, लेकिन जिस तरह से इस बार बेरहमी से बच्चों को निशाना बनाया गया, वैसा आज तक नहीं हुआ. ऐसा लगा मानो कयामत आ गयी हो. इस हमले का मकसद तो साफ है और वह यह कि पाकिस्तानी तालिबान सेना से बदला लेना चाहते थे. इसकी सबसे बड़ी वजह है सेना का ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब जो पाक आतंकी संगठनों को नेस्तनाबूद करने के लिए चलाया जा रहा है.
इससे पहले भी सेना ने कई अभियान चलाये, लेकिन इस बार उसे अवाम के साथ राजनीतिक दलों का भी समर्थन हासिल है. सेना को कई अहम कामयाबियां भी मिलीं और तालिबान के कई अहम ठिकानों को तबाह कर दिया गया. तालिबान को भी कमजोर होने का अहसास होने लगा था, जिसके चलते जब वह कुछ और न कर सके तो बदले के नाम पर आर्मी स्कूल पर हमला कर सैकड़ों मासूमों को कत्ल कर दिया. तालिबान की इस हैवानियत से अवाम में बेहद गुस्सा है. पाक सेना भी पीछे हटने वालों में से नहीं है और मु उम्मीद है कि तालिबान की इस हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया जायेगा.

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