अर्थव्यवस्था को उबारने की पहल

सतीश सिंहआर्थिक विशेषज्ञsinghsatish@sbi.co.in तेईस अगस्त की शाम को प्रेस काॅन्फ्रेंस में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था की सुस्ती दूर करने के लिए अनेक उपायों की घोषणा की. इस क्रम में विविध उत्पादों की मांग बढ़ाने एवं निवेश में वृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए विदेशी और घरेलू पोर्टफोलियो निवेशकों एवं छोटी व लंबी अवधि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 28, 2019 12:35 AM

सतीश सिंह
आर्थिक विशेषज्ञ
singhsatish@sbi.co.in

तेईस अगस्त की शाम को प्रेस काॅन्फ्रेंस में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था की सुस्ती दूर करने के लिए अनेक उपायों की घोषणा की. इस क्रम में विविध उत्पादों की मांग बढ़ाने एवं निवेश में वृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए विदेशी और घरेलू पोर्टफोलियो निवेशकों एवं छोटी व लंबी अवधि के कैपिटल गेन्स टैक्स पर लगाये गये अधिभार को भी वापस लिया गया.मंदी के दौर से गुजरते वाहन क्षेत्र को राहत देने के लिए वित्त मंत्री ने बीएस-4 गाड़ियों के उपयोग की समय-सीमा को बढ़ा दिया. अब 31 मार्च, 2020 तक पंजीकृत बीएस-4 गाड़ियां जैसे, पेट्रोल वाली 15 सालों तक और डीजल वाली 10 सालों तक चलेंगी.
पहले इलेक्ट्रिक या ई-वाहन को सड़क पर उतारनेवाली योजना को मूर्त रूप देने के लिए सरकार ने बीएस-4 गाड़ियों को तय समय-सीमा के अंदर बंद करने की घोषणा की थी, जिसके कारण इनकी बिक्री में कमी शुरू हुई और थोड़े ही समय के अंदर वाहन क्षेत्र मंदी की चपेट में आ गया. वित्त मंत्री की घोषणाओं के अनुसार गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) आधार के जरिये केवाईसी की औपचारिकता पूरी करके ऋण दे सकेंगी. आइएलएफएस और दीवान हाउसिंग जैसे एनबीएफसी के डूबने के बाद एनबीएफसी द्वारा ऋण देने के तरीकों पर आंशिक पाबंदी लगायी गयी थी.
नये प्रावधानों के अनुसार कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) का अनुपालन न करने पर कारोबारियों पर आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जायेगा, केवल दीवानी मुकदमा चलाया जा सकेगा. संशोधित सीएसआर कानून 2013 के अनुसार मुनाफा कमानेवाली कंपनियों को अपने तीन साल के शुद्ध मुनाफे का दो प्रतिशत हर साल सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करना होता है.
वित्त मंत्री के अनुसार, अब बैंक दरों में कटौती का फायदा ग्राहकों को देने में देरी नहीं करेंगे. ब्याज दर को रेपो दर से जोड़ने का भी प्रस्ताव है. ऐसा करने से रेपो दर में कटौती करने पर ऋण ब्याज दर में भी कटौती की जायेगी. बैंक बाहरी मानक दरों से जुड़ी ऋण योजनाएं भी शुरू करेंगे, जिनसे आवास, वाहन और अन्य खुदरा ऋणों की ब्याज दर कम होगी, साथ ही साथ कारोबारियों की कार्यशील पूंजी भी सस्ती होगी.मौजूदा समय में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमइ) क्षेत्र का सरकारी कंपनियों पर लगभग 60 हजार करोड़ रुपये बकाया है, जिसका जल्द भुगतान करने का प्रस्ताव रखा गया है. सरकार के इस कदम से एमएसएमइ क्षेत्र को कुछ राहत जरूर मिलेगी.
सरकार ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) और घरेलू निवेशकों के लिए दीर्घावधि और लघु अवधि के पूंजीगत लाभ पर बढ़े हुए अधिभार को भी वापस ले लिया है, जिससे सरकारी खजाने पर 1,400 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ने का अनुमान है.वित्त मंत्री ने स्टार्टअप इकाइयों के लिए एंजल टैक्स के प्रावधान को भी वापस ले लिया है. इससे उनकी फंडिंग की समस्या खत्म हो जायेगी यानी स्टार्टअप जब अपने शेयर को बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर बेचेंगे, तो उस पर टैक्स नहीं लगेगा.
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को आवास, वाहन, खुदरा आदि ऋण सस्ती करने में परेशानी न हो, इसके लिए सरकार उन्हें 70 हजार करोड़ रुपये मुहैया करायेगी. अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऋण चुकता होने के 15 दिनों के भीतर ऋण से जुड़े दस्तावेज ग्राहकों को लौटा देंगे. सरकार के इस निर्णय से गृह ऋण के ग्राहकों एवं वैसे खुदरा ऋण वाले ग्राहकों को फायदा होगा, जिनकी चल या अचल संपत्ति बैंक में बंधक रखी है.
नये प्रावधानों के अनुसार बैंकों द्वारा स्वीकृत किये जा रहे ऋणों की ऑनलाइन ट्रैकिंग की जा सकेगी. इससे जरूरतमंदों को बैंकों से कर्ज लेना आसान हो जायेगा. वित्त मंत्री ने आवास वित्त कंपनियों के लिए राष्ट्रीय आवास बैंक के माध्यम से अतिरिक्त 20 हजार करोड़ रुपये का समर्थन देने की घोषणा की है. इससे वे सस्ती दर पर आवास ऋण उपलब्ध करा सकेंगे.आगामी पांच सालों में विकास की गति को तेज करने एवं ज्यादा संख्या में रोजगार सृजित करने के लिए सरकार ने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की सूची का मसौदा बनाने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी कार्यबल का गठन किया है.
इस आलोक में नया कारोबार शुरू करने, कारोबार की क्षमता बढ़ाने, बुनियादी ढांचे को मजबूत करने आदि के लिए इक्विटी और ऋण की जरूरत होगी, जिसकी आपूर्ति सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक करेंगे. वित्त मंत्री ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) को निर्देश दिया है कि वह उन विदेशी कंपनियों पर नजर रखे, जो भारत की न्याय सीमा क्षेत्र में काम करते हुए भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी करते हैं. इससे भारतीय उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी.
भारत अब भी विश्व की तेज गति से बढ़नेवाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि सरकार बिना विमर्श या जांच-पड़ताल के नियमों या कानूनों को अमलीजामा पहनाये. देखा जाये तो अर्थव्यवस्था की मौजूदा सुस्ती के कुछ कारण नीतिगत हैं.उदाहरण के तौर पर, सरकार ने हाल ही में ई-वाहन को लागू करने, एंजेल टैक्स लगाने, छोटी एवं लंबी अवधि के कैपिटल गेन्स टैक्स और विदेशी संस्थागत निवेशकों पर अधिभार लगाने जैसे फैसले लिये थे, लेकिन थोड़े अंतराल के बाद ही उसे अपने फैसलों को वापस लेना पड़ रहा है. इसलिए, सरकार को इन मुद्दों पर मंथन करना चाहिए.

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