लोकतंत्र में रिजॉर्ट का महत्व

आलोक पुराणिक वरिष्ठ व्यंग्यकार puranika@gmail.com चालू विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘लोकतंत्र में रिजाॅर्ट’ विषय पर निबंध प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त निबंध यह है- लोकतंत्र में रिजाॅर्ट का कितना महत्व है, यह हम देख चुके हैं. चुने हुए प्रतिनिधि , जिनसे उम्मीद होती है कि वे जनता की सेवा करते हुए दिखेंगे, वे अक्सर रिजाॅर्ट में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 21, 2019 6:30 AM
आलोक पुराणिक
वरिष्ठ व्यंग्यकार
puranika@gmail.com
चालू विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘लोकतंत्र में रिजाॅर्ट’ विषय पर निबंध प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त निबंध यह है- लोकतंत्र में रिजाॅर्ट का कितना महत्व है, यह हम देख चुके हैं. चुने हुए प्रतिनिधि , जिनसे उम्मीद होती है कि वे जनता की सेवा करते हुए दिखेंगे, वे अक्सर रिजाॅर्ट में पाये जाते हैं. रिजाॅर्ट का हिंदी अनुवाद है- आश्रय. यानी हम कह सकते हैं कि लोकतंत्र को अब जहां आश्रय मिलता है, उस ठिकाने का नाम रिजाॅर्ट है. रिजाॅर्ट फाइव स्टार भी होते हैं और सेवन स्टार भी होते हैं.
लोकतंत्र सितारों में पनाह पाता है. यद्यपि जो लोकतंत्र में प्रतिनिधि चुनते हैं, वे सड़कों, अस्पतालों आदि में ठोकरें खाते पाये जाते हैं. इससे मालूम होता है कि सबके अपने-अपने लोकतंत्र हैं. किसी का रिजॉर्टात्मक लोकतंत्र है, किसी की सड़क का ठोकरात्मक लोकतंत्र है.
लोकतंत्र की कई किस्में हैं, जिसकी जैसी औकात होती है, उसे वैसा मिल जाता है. रिजाॅर्ट में लोकतंत्र के चुने हुए प्रतिनिधि जनहित के मसलों पर विमर्श करते होंगे, ऐसा माना जा सकता है. एक बार वे चुन लिये जाएं, फिर उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. जैसे लोकतंत्र की तमाम किस्में होती हैं, वैसे ही रिजाॅर्ट की कई किस्में हैं. कई रिजाॅर्टों में कांग्रेस के प्रतिनिधि ठहरते हैं, कई में भाजपा के.
कांग्रेस पुरानी पार्टी है, इसलिए वहां लोकतंत्र इतना मजबूत हो लिया है कि वहां कई नेताओं के खुद के अपने रिजाॅर्ट हैं. रिजाॅर्ट में लोकतंत्र की बहुत रोचक तस्वीरें पेश होती हैं. भाजपा वाले रिजाॅर्ट में कुछ नेता कांग्रेस की साइड वाले भी हो सकते हैं, जो दिखते भाजपा की साइड हैं.
ऐसे ही कांग्रेसवाले रिजाॅर्ट में कुछ नेता भाजपा की साइड वाले भी हो सकते है, जो दिखते कांग्रेस की साइड ही हैं. कांग्रेस में भाजपा दिखती है, भाजपा में कांग्रेस दिखती है, यानी केजरीवालजी का वह बयान भी सही दिखता है कि सब मिले हुए हैं जी.
हालांकि, खुद केजरीवालजी कांग्रेस समेत जाने किस-किस पार्टी से मिल जाएं, पक्का नहीं कहा जा सकता. यही तो लोकतंत्र का सौंदर्य है. विधायक चुना जाता है विधानसभा के लिए, पर बरामद होता है रिजाॅर्ट में. लोकतंत्र का रिजाॅर्ट से गहरा संबंध है.प्राचीनकाल में लोकतंत्र क्यों न था, क्योंकि तब रिजाॅर्ट न था. लोकतंत्र के कुल पांच स्तंभ हैं- न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका, मीडिया और रिजाॅर्ट. कई बार तीसरा, चौथा और पांचवा स्तंभ एक ही साथ पाया जा सकता है. इस तरह से हम कह सकते हैं कि रिजाॅर्ट का जीवंत लोकतंत्र में घणा महत्व है.
जैसे-जैसे लोकतंत्र का विकास होगा, विधायकगण मांग करेंगे कि लोकतंत्र का स्वरूप ग्लोबल हो और उन्हें रुकने के लिए देशी रिजाॅर्ट नहीं, स्विट्जरलैंड या थाइलैंड के रिजाॅर्ट की व्यवस्था हो. वह दिन भी आयेगा, जब विधायक चुने जाने के फौरन बाद स्विट्रजलैंड या थाइलैंड के किसी रिजाॅर्ट में जाकर शपथ लेगा. ऐसी लोकतांत्रिक चेतना जब भारत में विकसित होगी, तब हम लोकतंत्र के उच्चतर स्तर पर पहुंच जायेंगे.

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