28.1 C
Ranchi
Wednesday, February 12, 2025 | 04:04 pm
28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

बेहद खास है नाहन का मुहर्रम

Advertisement

प्रभात कुमार टिप्पणीकार kumarprabhat1818@gmail.com कभी हिमाचल का बेंगलुरु कहे जानेवाले शहर ‘नाहन’ के पानी से लबालब तालाब मेहमानों व पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं. हर साल मुहर्रम नाहन में एक खास शोकोत्सव बनके आता है. ‘नाहन’ हमेशा से अपने सर्वधर्म सद्भाव के लिए जाना जाता रहा है. बुजुर्ग बताते हैं कि […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

प्रभात कुमार

टिप्पणीकार

kumarprabhat1818@gmail.com

कभी हिमाचल का बेंगलुरु कहे जानेवाले शहर ‘नाहन’ के पानी से लबालब तालाब मेहमानों व पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं. हर साल मुहर्रम नाहन में एक खास शोकोत्सव बनके आता है.

‘नाहन’ हमेशा से अपने सर्वधर्म सद्भाव के लिए जाना जाता रहा है. बुजुर्ग बताते हैं कि जब देश का बंटवारा हो रहा था, तब भी यहां कोई दंगा नहीं हुआ. सबने सांप्रदायिक सौहार्द बनाये रखा. निसंदेह, इसका श्रेय यहां के तत्कालीन शासकों को जाता है, जिन्होंने शहर को बसाने के दौरान सभी धर्म के लोगों को यहां जगह दी. उन्होंने हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई व अन्य के दिलों में अद्भुत आपसी सम्मान व सद्भाव को भरा, जो आज भी कायम है. नाहनवासी हमेशा एक-दूसरे के त्योहारों व अन्य आयोजनों में खुशी के साथ शामिल होते हैं.

शिया और सुन्नी अनेक स्थानों पर अपने वैचारिक मतभेदों के कारण झगड़ों व खून-खराबों में उलझे देखे गये हैं. मुहर्रम पर भी इनमें कई मतभेद हैं. शिया मुस्लिम ही मुहर्रम को शिद्दत से मनाते हैं. नाहन में वर्तमान में एक भी शिया परिवार नहीं है, फिर भी सैकड़ों साल पुरानी रिवायत को निभाते हुए हर साल यहां के सुन्नी मुस्लिम मुहर्रम मनाते हैं. इसलिए यह बेहद खास है. सांप्रदायिक सौहार्द की लाजवाब मिसाल है नाहन का मुहर्रम.

महाराजा शमशेर प्रकाश के जमाने से लेकर आज तक मुहर्रम यहां पारंपरिक श्रद्धा से मनाया जा रहा है. यहां कोई इमामबाड़ा और अश्रुखाना नहीं है, पर मोहल्ले के खुले स्थान से इसकी शुरुआत होती है. मुहर्रम का चांद दिखने के साथ ही ढोल-ताशे बजने शुरू हो जाते हैं और नाहन की चार मुस्लिम आबादियों- गुन्नुघाट, हरिपुर, कुम्हार गली आैर कच्चा टैंक में हाजिरी शुरू हो जाती है.

रस्म मेहंदी से शुरुआत होती है. सब इकट्ठे होकर अल्लाह से मांगते हैं कि उनकी दुआएं कबूल हों. मेहंदी, रोटी का चूरमा, चुन्नियां, सूखे मेवे, अन्य चीजें तबर्रुख (प्रसाद) के रूप में भेंट की जाती हैं. छोटे ताजियों के पास चिराग जलाये जाते हैं. दो अलम (लंबे बांस में झंडा) जिन पर तीर-कमान, तलवार-ढाल, चांद-तारे और ‘अली’ व ‘हुसैन’ के हाथों की सांकेतिक अनुकृतियां होती हैं, रात को निकाली मेहंदी में साथ चलते हैं.

चांद की नवीं रात को सजे-धजे, सेहरा बंधे बड़े ताजिये अलम के साथ अपने-अपने क्षेत्र में निकाले जाते हैं. मर्सिया (शोकगीत) पढ़नेवालों की तन्मयता एक गमगीन माहौल रच देती है. पुराने लोग याद आते हैं, जो इतने अदब, बाकमाल और सलीके से मर्सिया पढ़ते थे कि दिल रो उठता था.

ताजिया बनाना-सजाना एक कलात्मक कार्य है. ताजिये के अगले हिस्से में सेहरा बनाया जाता है, जिसमें फूल, सूखा नारियल, छुआरे, किशमिश पिरोयी जाती है. उसे रंगीन चमकदार कपड़ों-कागजों से सजाया जाता है. उसका ऊपरी हिस्सा गुंबदनुमा आकर्षक होता है. बहुत से लोगों को पता नहीं है कि मुहर्रम कोई उत्सव नहीं, बल्कि शोक दिवस है. आज ‘अली’ व ‘हुसैन’ की शहादत को याद करने का दिन है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें