स्कूलों में विज्ञान

देश की स्कूली शिक्षा व्यवस्था की खामियों को दूर करने के लिए संरचनात्मक सुधार की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही है. केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित नयी शिक्षा नीति इसी दिशा में एक ठोस पहल है. प्रख्यात वैज्ञानिक के कंस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में गठित समिति इस नीति की रूपरेखा बना रही है. जून, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 6, 2018 6:51 AM
देश की स्कूली शिक्षा व्यवस्था की खामियों को दूर करने के लिए संरचनात्मक सुधार की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही है. केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित नयी शिक्षा नीति इसी दिशा में एक ठोस पहल है.
प्रख्यात वैज्ञानिक के कंस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में गठित समिति इस नीति की रूपरेखा बना रही है. जून, 2017 में बनी इस समिति की रिपोर्ट बीते दिसंबर तक अपेक्षित थी, परंतु मसले की व्यापकता के मद्देनजर इसका कार्यकाल बढ़ा दिया गया है. नौ सदस्यीय समिति टीएसआर सुब्रमण्यम पैनल के सुझावों का भी संज्ञान ले रही है. स्कूली शिक्षा की बेहतरी न सिर्फ तमाम छात्रों के भविष्य के लिए जरूरी है, बल्कि देश के सर्वांगीण विकास की मजबूत नींव तैयार करने में इसकी अहम भूमिका है.
आज दुनियाभर में तकनीक का प्रभाव और वैज्ञानिक सोच की महत्ता बढ़ रही है. ऐसे में उम्मीद है कि नयी शिक्षा नीति में विज्ञान की शिक्षा पर समुचित ध्यान दिया जायेगा. कस्तूरीरंगन ने भी जोर दिया है कि मौजूदा मानसिकता से ऊपर उठकर विज्ञान की शिक्षा को बहु-विषयक आयाम देना जरूरी है.
वैसे तो विज्ञान हमारे वर्तमान शिक्षा प्रणाली का एक विशेष विषय है, पर उसमें ऐसे बदलाव अपेक्षित हैं, जो छात्रों में अन्वेषणात्मक प्रवृत्ति, विश्लेषणात्मक कौशल और वैज्ञानिक चेतना को समृद्ध करें. यह एक दुर्भाग्यपूर्ण सच्चाई है कि शासन-प्रशासन के उच्च पदों पर आसीन और सामाजिक रूप से सफल कुछ लोग अवैज्ञानिक, अपुष्ट और असत्य तथ्यों को प्रस्तुत कर लोगों को भ्रमित करने का प्रयास करते हैं.
फर्जी खबरों और कट्टरपंथी धार्मिक सोच का साया भी गहरा हो रहा है. स्कूली छात्रों के मन और बुद्धि पर इनका खराब असर हो सकता है. यदि शिक्षा की दिशा सही होगी, तो गलत बातें बेमानी हो जायेंगी. सजग समाज के निर्माण के साथ रोजगार और आर्थिक अवसर पैदा करने में भी विज्ञान की शिक्षा बहुत मददगार हो सकती है.
प्राचीन काल से ही विज्ञान की कई शाखाओं में हमारे वैज्ञानिकों, गणितज्ञों, खगोलविदों, तकनीशियनों आदि ने उल्लेखनीय सफलताएं हासिल की हैं. चिकित्सा और अंतरिक्ष विज्ञान की हालिया उपलब्धियां वैश्विक स्तर पर दर्ज की गयी हैं.
सूचना तकनीक में भी हम विकसित देशों के साथ कदमताल कर रहे हैं. पर, हमारी प्रतिभा और क्षमता की संभावना के लिहाज से ये उपलब्धियां कम ही हैं. स्कूली शिक्षा में विज्ञान को प्राथमिकता दिये बिना इस संभावना को वास्तविकता के धरातल पर नहीं उतारा जा सकता है. इसके साथ स्कूलों को बेहतर संसाधन, अद्यतन पाठ्यक्रम, शिक्षक प्रशिक्षण, नामांकन की दर बढ़ाने जैसे उपायों की भी जरूरत है.
यदि शिक्षा की गुणवत्ता प्रारंभिक स्तर से ही उच्च कोटि की होगी, तो आगे के अध्ययन सहज और उपयोगी हो जायेंगे. ढाई दशक बाद शिक्षा नीति में सुधार की कवायद हो रही है. हालांकि, इसे अमली जामा पहनाने में वक्त लग सकता है, पर यदि अच्छी शिक्षा नीति लागू होती है, तो देर से ही सही, बहुप्रतीक्षित सुधार की प्रक्रिया का प्रारंभ होगा.

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